नयी दिल्ली। लोकसभा ने आज एक प्रस्ताव पारित करके मणिपुर के मैतेई और कूकी समुदायों से अपील की कि वे अपने मतभेदों के समाधान के लिए हिंसा का रास्ता छोड़ें और बातचीत से शांतिपूर्ण समाधान खोजें ताकि राज्य पुन: शांति एवं प्रगति की ओर अग्रसर हो।
लोकसभा में सरकार के विरुद्ध विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा में भाग ले रहे गृह मंत्री अमित शाह के अनुरोध पर अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा प्रस्तुत इस प्रस्ताव को सदन ने ध्वनिमत से मंजूर किया। गृह मंत्री ने दो घंटे से अधिक लंबे भाषण में विपक्ष द्वारा उठाये गये विभिन्न राजनीतिक मुद्दों का एक एक कर जवाब दिया और मणिपुर की घटना के बारे में विस्तार से अपनी बात रखी।
शाह ने मणिपुर की घटनाओं को ‘परिस्थितिजन्य नस्लीय हिंसा’ बताते हुए कहा कि इस हिंसा में 152 लोगों की मौत हुई है। सरकार ने तत्परता से कार्रवाई करके हिंसा को नियंत्रित किया और भारत म्यांमार सीमा पर तारबंदी करने, अर्द्धसैनिक बलों की तैनाती, प्रशासनिक पुनर्गठन, खाद्य एवं अन्य आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति समेत हर जरूरी कदम उठाया और स्थिति पर नियंत्रण प्राप्त किया। गृह मंत्री ने कहा कि मणिपुर के दोनों समुदायों से करबद्ध निवेदन है कि हिंसा किसी समस्या का समाधान नहीं होती है।
वे वार्ता करें, वह स्वयं मैतई समुदाय और कूकी समुदाय से वार्ता करेंगे। अफवाहों से अविश्वास का वातावरण बनता है और सबका नुकसान होता है। उन्होंने अपील की कि विपक्षी दल मणिपुर को लेकर राजनीति नहीं करें। इसमें किसी की जान गयी है, किसी का सम्मान गया है, किसी के साथ दुर्व्यवहार हुआ है। सरकार की कोई मंशा नहीं है कि वहां जनसांख्यिकीय अनुपात बदले। शांति के लिए हम हर वह प्रयास करेंगे जो हम कर सकते हैं। वे कितना भी दूर रहते हैं लेकिन वे भारतीय हैं और हम सब उनके प्रति संवेदना रखते हैं।
शाह ने कहा कि घटना के बाद वह स्वयं मणिपुर में तीन दिन रह कर आये हैं, गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय 23 दिन रहे। उन्होंने जांच के लिए उच्च न्यायालय के एक पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक आयोग गठित किया है जिसमें आईपीएस अधिकारी भी हैं। मैतई और कूकी समुदाय के रिहाइशों के बीच बफर ज़ोन बनाने के लिए करीब 36 हजार अर्द्धसैनिक बलों के जवान तैनात हैं।
विभिन्न अर्द्धसैनिक बलों, सेना एवं पुलिस के बीच तालमेल के लिए एक एकीकृत कमान प्रणाली स्थापित की गयी है। षड्यंत्र वाले 6 मुकदमे दर्ज किये गये हैं और केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को दिये गये हैं बाद में उच्चतम न्यायालय के आदेश पर 11 और केस सीबीआई को सौंपे गये हैं।