तारकेश कुमार ओझा, खड़गपुर : झाड़ग्राम जिले के पथसाथी सभागृह में प्रचेष्टा समूह द्वारा “प्रचेष्टा” पत्रिका का अनावरण समारोह और “साहित्यिक पत्रिका की गतिशील प्रकृति और वर्तमान समाज में इसके महत्व” पर एक कार्यशाला और चर्चा सत्र का आयोजन किया गया। समाचार पत्र के संपादक मुकुंदराम चक्रवर्ती ने कार्यक्रम में सभी का स्वागत किया। अतिथि वक्ताओं के रूप में प्रमुख लोक संस्कृति शोधकर्ता एवं निबंधकार डॉ. मधुप डे, निबंधकार डॉ. अमृत कुमार नंदी, मानवशास्त्रीय शोधकर्ता और निबंधकार डॉ..शांतनु पंडा, कवि जयंत दास, झाड़ग्राम साहित्य मंच के संपादक बंशी मोहन प्रतिहार, निबंधकार व स्वर्णरेखा भाषा के शोधकर्ता उपेन पात्रा व अन्य शामिल रहे।
इसके अलावा, झाड़ग्राम और मेदिनीपुर जिलों के 52 प्रमुख कवि और साहित्य प्रेमी भी समारोह में उपस्थित थे I कार्यक्रम की शुरुआत कवि रवींद्रनाथ टैगोर के चित्र पर माल्यार्पण, दिवंगत कवि दिलीप दास की स्मृति में मौन पालन के साथ हुई। कॉलेज की छात्रा अदिति चक्रवर्ती ने अतिथियों का स्वागत परंपरागत तरीके से किया। सबसे पहले स्वागत भाषण “प्रचेष्टा” समाचार पत्र के सम्पादक मुकुन्द राम चक्रवर्ती ने सबके समक्ष “प्रचेष्टा समूह” नामक स्वयंसेवी संस्था की स्थापना, प्रगति इतिहास एवं गतिविधियों को प्रस्तुत कर किया।
उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे उन्होंने 2015 में केवल 6 सदस्यों के साथ अपनी यात्रा शुरू की और आज वे काम के जरिए 90 लोगों तक पहुंच गए हैं। उन्होंने समाज को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से साहित्यिक साधना के अलावा अन्य गतिविधियों जैसे वृक्षारोपण, राहत सामग्री बांटना, वस्त्र दान करना, पुस्तकें बांटना आदि पर प्रकाश डाला।
उन्होंने प्रकाशन के माध्यम से अपनी प्रगति के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। डॉ। .अमृता कुमार नंदी कविगुरु रवींद्रनाथ टैगोर के जीवन और साहित्यिक अभ्यास के बारे में विस्तार से चर्चा करते हैं। डॉ. मधुप डे ने अपने भाषण में स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में जंगल महल की भूमिका पर चर्चा की।
डॉ. शांतनु पंडा जंगलमहल की विरासत, संस्कृति, खोई हुई चीजों की बहाली के विभिन्न पहलुओं के बारे में विस्तार से डाला । साथ ही उन्होंने साहित्यिक और सांस्कृतिक पत्रिकाओं को कैसे बचाया जाए, इस पर प्रकाश डाला कि वे खो न जाएं। निबंधकार उपेन पात्रा ने कहा, छोटे अखबार साहित्य का चूल्हा होते हैं..वह चाहते हैं कि समाचार पत्र झाड़ग्राम जिले की लोक संस्कृति, जनसंख्या संरचना, लोक भाषा, स्थानीय इतिहास, स्थानीय भूगोल, वन संसाधन, जैव विविधता आदि को अन्य मुद्दों के साथ प्रतिबिंबित करे।
समस्त अतिथियों की उपस्थिति में संयुक्त रूप से “प्रचेष्टा” पत्रिका का अनावरण किया गया। चर्चा के अलावा कविता पाठ, गायन और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। पूरे समारोह का संचालन सुमन चटर्जी ने कुशलतापूर्वक किया। समस्त अतिथियों की उपस्थिति में संयुक्त रूप से “प्रचेष्टा” पत्रिका का अनावरण किया गया। चर्चा के अलावा कविता पाठ, गायन और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए ।