कोलकाता। साहित्यिक संस्था नव सृजन : एक सोच द्वारा रविवार को एक भव्य कार्यक्रम दिलकश दिसम्बर का आयोजन किया गया जिसमें देश के प्रख्यात साहित्यकारों ने भाग लिया। कार्यक्रम दो सत्र में आयोजित किया गया। पहला सत्र संस्मरण का तो वहीं दूसरा सत्र कविता, गीत व गजल का था। कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना से अनुराधा सिंह अनु ने किया एवं कार्यक्रम का संचालन कोलकाता की प्रसिद्ध कवियत्री व सामाजिक कार्यकर्ता अनु नेवटिया ने किया। सभी ने संस्मरण सत्र में एक से बढ़कर एक ज्ञानप्रद संस्मरण सुनाकर भाव विह्वल कर दिया।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में दिल्ली के कवि राजेंद्र सिंह रावत ने उलझनें दिल में क्यों रखो, कोलकाता के अमित कुमार अम्बष्ट “आमिली” ने कभी खुद पर भी जरूरी है बंदिशें, दिल्ली से छाया सिंह ने ‘बे-वजह सय्यादी में ख़ुद को न बरबाद कर लेना’ नज़्म सुनाकर खूब वाहवाही लूटी। अनु नेवटिया ने कविता – अंत में जीत तुम्हारी होगी, मुरादाबाद के अशोक कुमार सैनी ने ताटक छन्द में जन जन की भाषा है हिन्दी सुनाया। पटना के रवि कुमार रवि ने आप कभी आईए तो मेरी जनपथ में कविता प्रस्तुत की।
वाराणसी से राजीव नन्दन मिश्र ने कभी सोचा है आपने पिता के दर्द को कविता सुनाया, अनुराधा सिंह अनु ने अपनी मधुर आवाज में जब बेटियों पर लिखा छंद पढा तो सब भावुक हो गए, प्रसिद्ध कवयित्री मौसमी प्रसाद ने भी बेटी पर लिखी अपनी रचना सुनाकर सबका मन मोह लिया। दिल्ली से जुड़े वरिष्ठ कवि दिनेश शर्मा ने भी अपनी प्रस्तुति से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम में अनेक श्रोताओं की भी ऑनलाइन उपस्थिति रही। कार्यक्रम की समाप्ति धन्यवाद ज्ञापन से किया गया।
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