आओ परिवार रूपी बाग को स्नेह, प्यार रूपी खाद से हरा-भरा रखें

परिवार से बड़ा कोई धन नहीं – पिता से बड़ा सलाहकार, मां के आंचल से बड़ी कोई दुनिया, भाई से बड़ा भागीदार और बहन से बड़ा कोई शुभचिंतक नहीं है
परिवार की शांति विश्व शांति का आधार – आधुनिक डिजिटल युग में युवाओं में परिवार के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करना जरूरी -एडवोकेट किशन भावनानी

किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। एक अच्छा परिवार बच्चे के चरित्र निर्माण से लेकर व्यक्ति की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। परिवार के बीच रहकर ही वह अच्छे बुरे आचरण में फर्क करने तथा अपने भविष्य को अच्छा बनाने के लिए प्रेरित होता है। साथियों परिवार को एकजुट रखने के लिए हर सदस्य को त्याग रूपी स्वभाव का आभूषण पहनना होगा! अपने से अधिक महत्व घर के दूसरे बड़े बुजुर्गों, सदस्यों को देना होगा मैं-मैं का भाव हृदय से निकालकर, पहले आप, की पवित्र वाणी को धारण करना होगा तभी हम परिवार को एकजुट रखने में सफल होंगे जो आज के समय की मांग है। जिसको प्रेरित करने के लिए परिवारों को विघटन से बचाने, परिवारों को प्रभावित करने वाले आर्थिक जनसांख्यिकीय और सामाजिक प्रतिक्रियाओं के बारे में जानकारी साझा करना जरूरी है।

साथियों मेरा मानना है कि परिवार को विघटन से बचाने के लिए परिवार के हर एक सदस्य के अलावा शासन, प्रशासन और समाज की भी महत्वपूर्ण जवाबदारी होती है इसीलिए हर क्षेत्र को अपने-अपने स्तर पर सबका परिवार एकजुट रहे इसके लिए त्याग की भावना, प्रोत्साहन, प्रोत्साहित नीतियां, लाभकारी नियम और सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार प्रोत्साहन देकर जनजागृति फैलाना अति आवश्यक है।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

साथियों बात अगर हम परिवार की करें तो, किसी भी सशक्त देश के निर्माण में परिवार एक आधारभूत संस्था की भांति होता है, जो अपने विकास कार्यक्रमों से दिनों दिन प्रगति के नए सोपान तय करता है। कहने को तो प्राणी जगत में परिवार एक छोटी इकाई है लेकिन इसकी मजबूती हमें हर बड़ी से बड़ी मुसीबत से बचाने में कारगर है। परिवार से इतर व्यक्ति का अस्तित्व नहीं है इसलिए परिवार के बिना अस्तित्व के कभी सोचा नहीं जा सकता। लोगों से परिवार बनता है और परिवार से राष्ट्र और राष्ट्र से विश्व बनता हैं।

साथियों परिवार का प्राथमिक कार्य बुनियादी जरूरतों को पूरा करना है जो भोजन, आश्रय, शिक्षा, स्वास्थ्य और भावनात्मक समर्पण आदि लेकिन एक परिवार की भूमिका केवल इन कार्यों तक ही सीमित नहीं है वास्तव में यह नागरिक कक्षा का पहला स्कूल है जिसका बुनियादी मूल्य देशभक्ति, अखंडता, इमानदारी, सहिष्णुता, बंधुत्व और दया है।

साथियों बात अगर हम परिवार की खूबसूरती और उसके गुणों की करें तो, परिवार एक ऐसी सामाजिक संस्था है जो आपसी सहयोग व समन्वय से क्रियान्वित होती है और जिसके समस्त सदस्य आपस में मिलकर अपना जीवन प्रेम, स्नेह एवं भाईचारा पूर्वक निर्वाह करते हैं। संस्कार, मर्यादा, सम्मान, समर्पण, आदर, अनुशासन आदि किसी भी सुखी-संपन्न एवं खुशहाल परिवार के गुण होते हैं। कोई भी व्यक्ति परिवार में ही जन्म लेता है, उसी से उसकी पहचान होती है और परिवार से ही अच्छे-बुरे लक्षण सीखता है। परिवार सभी लोगों को जोड़े रखता है और दुःख-सुख में सभी एक-दूसरे का साथ देते हैं।

साथियों बात अगर हम आधुनिक डिजिटल युग में युवाओं में परिवार के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करने की करें तो, पश्चिमी संस्कृति का प्रभाव बढ़ने के कारण आधुनिक पीढ़ी का अपने बुजुर्गों व अभिभावकों के प्रति आदर कम होने लगा है। वृद्धावस्था में अधिकतर बीमार रहने वाले माता-पिता अब उन्हें बोझ लगने लगे हैं। वे अपने संस्कारों और मूल्यों से कट कर एकाकी जीवन को ही अपनी असली खुशी व आदर्श मान बैठे हैं। यदि संयुक्त परिवारों को समय रहते नहीं i गया तो हमारी आने वाली पीढ़ी ज्ञान संपन्न होने के बाद भी दिशाहीन होकर विकृतियों में फंसकर अपना जीवन बर्बाद कर देगी। अनुभव का खजाना कहे जाने वाले बुजुर्गों की असली जगह वृद्धाश्रम नहीं बल्कि घर है। छत नहीं रहती, दहलीज नहीं रहती, दर-ओ-दीवार नहीं रहती, वो घर घर नहीं होता, जिसमें कोई बुजुर्ग नहीं होता।

साथियों बात अगर हम परिवार से बड़ा कोई धन नहीं इस बात की पुष्टि की करें तो मेरा मानना है कि इसका ताजा उदाहरण पिछले सालों में कोविड-19 त्रासदी में पीड़ित परिवारों, जिनके परिवार के सदस्यों को महामारी ने निगल लिया उनसे बात करेंगे और जिनके परिवार इस त्रासदी में मृत्यु के कारण टूटे वो हमें दिल से बताएंगे कि परिवार क्या होता है, उसका सुख क्या होता है! क्योंकि इसका एक उदाहरण मैं भी हूं हमारा आज भी संयुक्त परिवार है परंतु मेरे माता-पिता और छोटी बहन की मृत्यु के कारण हमारे संयुक्त परिवार में हर पल उनकी कमी महसूस होती है उनकी कमी दिल को छू गई है जीवन नीरस लगने लगा है। यह है संयुक्त परिवार का सिदक जहां एक परिवार के एक सदस्य की कमी दिल को छू जाती है!

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि आओ परिवार रूपी बाग को स्नेह प्यार रूपी खाद से हरा-भरा रखें। परिवार से बड़ा कोई धन नहीं है पिता से बड़ा सलाहकार, मां के आंचल से बड़ी कोई दुनिया, भाई से बड़ा भागीदार और बहन से बड़ा कोई शुभचिंतक इस दुनिया में नहीं है।परिवार की शांति में विश्व शांति का आधार है। आधुनिक डिजिटल युद्ध में युवाओं में परिवार के महत्व के बारे में जागरूकता।

पैदा करना जरूरी है
हम जात पात धर्म नहीं मानते हैं
इंसान को सिर्फ इंसान ही मानते हैं
खून सब का लाल है इसको जानते हैं
वसुधैव कुटुम्बकम् की रीत मानते हैं।

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