रौशनी नज़र मंज़र उजाला और तलाश में भटकते हम लोग 

डॉ. लोक सेतिया, स्वतंत्र लेखक और चिंतक

आज शुरुआत करते हैं इंसान के इंसान को समझने से और चर्चा करेंगे भगवान तक को समझने पाने की तलाश की। देखते हैं कोई बैठा समझा रहा था कोरोना से कैसे बचते हैं क्या लापरवाही नहीं करनी चाहिए , शायद उसको मालूम भी नहीं था जो नहीं करना बतला रहा था खुद वही कर भी रहा था।

साथ इक बात कही भारत देश की कमियां बुराईयां और विदेश की बढ़ाई की बात। जो अपने देश अपने पिता माता अपने भाई बहन अपने गुरु अपने दोस्तों की बुराई करता है मुझे वो कभी अच्छा नहीं लगता है। देश और समाज हमसे बनता है और उसको अच्छा बनाना हमारा ही कर्तव्य है मगर देश की बुराई करने से देश को अच्छा नहीं बनाया जा सकता है।
आपको खुद अच्छा बनकर अच्छाई को बढ़ावा देना होगा जो लोग करते नहीं सुधार उनको आलोचना का भी हक नहीं होना चाहिए। मुझे भी दोस्तों से अपनों से शिकायत हो सकती है मगर वो खराब नहीं लगते क्योंकि मुझे उनसे बहुत कुछ मिला है कभी न कभी , और कभी कोई अनबन या मतभेद भी रहे तो वो जीवन का अंग हैं। हर इंसान अपनी तरह का है हर कोई अपने अनुसार आचरण करता है और जब कोई किसी से अनुचित भी करता है तब भी कोई और उसको नहीं समझा सकता कभी खुद अपनी गलती उसकी आत्मा उसका ज़मीर समझाता है।
आपको किसी और को नहीं खुद अपने आप को समझना है तभी आप भगवान को भी समझ सकते हैं। जब तक आपको किसी बात की सही परख ही नहीं आपको उसकी तलाश से मिलेगा कैसे। मन को समझना सबसे कठिन है मन चंचल है आपको भटकाता है मन जानता है सच क्या है आपकी सोच आपका दिमाग झूठ को सच साबित करता है। मन मन करते हैं मन क्या है और आपकी सोच कैसी है यही नहीं जानते , मन से कुछ नहीं छिपा आपने दुनिया से क्या क्या नहीं छिपाया हुआ खुद भी चाहते हैं भूल जाना भूलने से आपकी कास्तविक्ता बदलती नहीं है।
आप मंदिर मस्जिद जाते हैं वो भगवान नहीं वहां कोई भगवान नहीं है भगवान अर्थात धर्म अर्थात मानवता अर्थात सच्चाई की राह। आपको ये उस का मार्ग समझा सकते हैं आपको चलना खुद उस मार्ग पर है। भगवान का नाम जपने से भगवान कभी नहीं मिलते हैं भगवान क्या है समझने से मिलेंगे। नीरज जी की बात ठीक है ” उस से मिलना नामुमकिन है , जब तक खुद पर ध्यान रहेगा “। आपने रौशनी को देखा है रौशनी आपको अंधकार से निकालने का नाम है जब हर तरफ चकाचौंध हो आपको कुछ भी दिखाई नहीं देता है।
धर्म के नाम पर आपको गुमराह किया गया है भगवान किसी चकाचौंध रौशनी की तरह हैं आपकी आंखें चुंधिया जाती ऐसा हैं। यही समझाया गया तस्वीरों से फिल्मों से और कथा कहानियों से। भगवान सत्य की रौशनी है जो आपके विचारों की धुंध को मिटाकर साफ करती है उचित अनुचित को समझने को विवेक देकर।
मगर जो आपको आपका भविष्य बताते हैं खुद अपना भविष्य नहीं समझ सके और इक ज्योतिष दुनिया को उपाय बताते रहे खुद कोरोना से चल बसे बिना जाने बिना उपाय। आपको इक छोटी सी बात समझनी है आप घटों बात कर सकते हैं आपस में किसी से भी मगर अगर आपको सच बोलना हो और रत्ती भर भी झूठ नहीं बोलना हो आपके लिए कुछ क्षण भी बात करना आसान नहीं है।
मुझे हैरानी होती है जब कोई किसी से किसी और को लेकर चर्चा करता है सौ क्या हज़ार खामियां जानता है मगर उसी से मिलते बात करते उसकी महिमा का बखान करता है। इतना ही नहीं जिसको किसी और की बुराई करते हैं बाद में उसी की भी बुराई को लेकर सोचते हैं। अब आपको बेकार की चर्चा में उलझाना नहीं है सौ टके की एक बात समझनी समझानी है।
हम सभी में अच्छाई भी कमी भी रहती है मगर समस्या ये है कि हम सच झूठ के आधार पर नहीं बल्कि अपने मतलब के आधार पर निर्णय करते हैं अच्छा या बुरा क्या है। वास्तव में इंसान का मन इक आईना है और आईने में आपको वही दिखाई देता है जो आपके भीतर मन में है। जब आप बुराई की तलाश करते हैं आपको दुनिया बेहद खराब नज़र आती है जब आप अपनी सोच को बदल कर भलाई को खोजोगे तब आपको हर किसी में कोई अच्छाई भलाई दिखाई देगी।
जिस दिन हमने औरों की कमियां ढूंढना छोड़ खुद अपनी कमियां देखना उनको समझना उनको दूर करना सीख लिया इंसान भी बन जाएंगे और भगवान को भी पा लेंगे। हर कोई दूसरों की गलतियां देख सकता है जैसे दूसरों के चेहरे लिबास हर भाव को मगर खुद को कोई नहीं देख सकता है दर्पण कहते हैं सच दिखलाता है मगर हम हैं कि आईने में अपनी सूरत अच्छी लगती है और कभी कोई दाग़ दिखाई देता है तो दोष आईने को देते हैं।
ये बात कुछ अजीब लग सकती हम अपनी बाहरी सुंदरता का बहुत ध्यान रखते हैं अपने भीतर मन में कितनी मैल भरे बैठे रहते हैं जबकि कपड़ों की सज धज की खूबसूरती रहती नहीं है कुछ देर में असलियत खुल जाती है। जिनके मन व्यवहार सच्चाई ईमानदारी से वास्तविक मायने में खूबसूरत होते हैं उनकी सुंदरता कभी कम नहीं होती है।  बनाव शृंगार से नहीं प्यार से हर किसी को इंसान समझ कर भेदभाव मिटा अपनाने से आप बिना किसी कोशिश सबका दिल जीत लेते हैं। भगवान मिलना यही है।
नोट : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी व व्यक्तिगत हैं । इस आलेख में दी गई सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं।

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