कोलकाता। नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अमर्त्य सेन को भेजे गए एक नए पत्र में विश्व भारती विश्वविद्यालय ने शुक्रवार को कहा कि वह शांति निकेतन में कथित तौर पर अपने ‘अवैध कब्जे’ वाले भूखंड के कुछ हिस्सों को तुरंत खाली करें। केंद्रीय विश्वविद्यालय की ओर से तीन दिन में जाने-माने अर्थशास्त्री को यह दूसरा ऐसा पत्र भेजा गया है। इससे पहले बीते 24 जनवरी को एक पत्र भेजकर सेन से शांतिनिकेतन में जमीन के एक हिस्से को सौंपने को कहा था।
विश्व भारती के एक अधिकारी ने कहा कि पत्र अर्थशास्त्री के शांति निकेतन निवास पर पहुंचा दिया गया है, जो अधिकांश समय अमेरिका में रहते हैं। अमर्त्य सेन ने पहले जोर देकर कहा था कि शांति निकेतन परिसर में उनके पास जो जमीन है, उनमें से अधिकांश को उनके पिता ने खरीदा था जबकि कुछ अन्य भूखंड पट्टे पर लिए थे। पत्र में कहा गया, ‘24 जनवरी का संलग्न पत्र और अन्य दस्तावेज स्वयं मामले को स्पष्ट करते हैं।
आपके कब्जे में 1.38 एकड़ भूमि है, जो आपके 1.25 एकड़ भूमि के कानूनी अधिकार से अधिक है। कृपया जितनी जल्दी हो सके भूमि को विश्व भारती को लौटा दें क्योंकि कानूनी कार्रवाई करने से आपको और विश्व भारती को भी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ेगा, जिसे आप बहुत प्यार करते हैं। पत्र में संकेत दिया गया है कि यदि सेन की ओर से अभी कदम नहीं उठाए गए तो विश्वविद्यालय कानून के तहत कार्रवाई करेगा।
इस बीच, सेन ने कहा है कि आरोपों का समर्थन करने वाले साक्ष्य भी पेश किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा, ‘शब्दों का आदान-प्रदान अनिश्चितकाल तक जारी रह सकता है। इससे क्या हासिल होगा। सेन ने आरोप लगाया, ‘जो व्यक्ति सच और झूठ में फर्क नहीं कर सकता, अगर वह विश्व भारती का कुलपति है, तो यह एक दुखद स्थिति है। मुझे नहीं पता कि वह (विश्व भारती के कुलपति बिद्युत चक्रवर्ती) मुझे क्यों निशाना बना रहे हैं।