कोलकाता : कोरोना की इस महामारी के वक्त में लोग एक दूसरे की मदद कर रहे हैं। वहीं दूसरी ओर अब तक कुछ ऐसे भी प्राइवेट नफाखोर अस्पतालों के नाम सामने आए जो खुद के फायदे के लिए मरीज के रिश्तेदारों तक को नहीं छोड़े। ऐसा ही एक वाकया महानगर में फिर से सामने आया है। लेकिन यह मामला किसी प्राइवेट अस्पताल का नहीं बल्कि महानगर के सरकारी सुपर स्पेसीयालिटी अस्पतालों में शुमार एसएसकेएम अस्पताल का है।
एसएसकेएम के वुडबर्न वार्ड में केबिन नंबर 202 में इलाज करा रहे एक मरीज के शव को छोड़ने से अस्पताल ने मना कर दिया। जानकारी के मुताबिक, 38 हजार रुपये बकाया थे। राज्य के एक प्रमुख सरकारी अस्पताल की घटना से लोग स्तब्ध हैं।
मृतका के परिजनों ने आरोप लगाया कि बिल नहीं चुकाने के कारण एसएसकेएम अस्पताल प्रबंधन ने मृतक का शव नहीं दिया। आरोप है कि उनके मरीज की मौत के बाद डेड बॉडी देने से अस्पताल ने साफ इनकार कर दिया। अस्पताल की मांग थी कि पहले अस्पताल का पूरा बिल दें, उसके बाद ही उनको डेड बॉडी दी जाएगी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार महानगर के गड़िया की रहने वाली बरनाली मंडल (47) 4 जून को आग लगाकर आत्महत्या करने की कोशिश की थी। इस दौरान शरीर का अधिकांश हिस्सा बरनाली का जल गया था। इलाज के लिए उन्हें महानगर के एसएसकेएम अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इलाज के दौरान रविवार को बरनाली की मौत हो गई। किंतु आरोप है कि महानगर के इस सरकारी ने बिल नहीं चुका पाने पर शव देने से इनकार कर दिया।
मृतिका के परिजनों का दावा है कि बिल नहीं चुकाने पर सव मार्ग में नहीं भेजा जाएगा अस्पताल की तरफ से इस प्रकार की चेतावनी दी गई। बता दें कि सरकारी अस्पतालों में जहां स्पष्ट दिशानिर्देश हैं कि पैसे के लिए शवों को रोक कर नहीं रखा जा सकता है। ऐसी घटनाएं अभूतपूर्व हैं। हालांकि कुछ घंटों के भुगतान के बाद शव को छोड़ दिया गया। इस बीच इस घटना को लेकर निंदा की आंधी चली है।
सीपीएम नेता और डॉक्टर फुआद हलीम ने कहा कि ऐसी घटनाएं अपराध हैं। पारिवारिक मुकदमा दर्ज करें, फिर दोषियों को सजा मिलेगी। उन्होंने कहा कि कोरोना की स्थिति में लगभग हर कोई आर्थिक रूप से परेशान है। ऐसे में हमेशा सुनने में आता है कि शव को निजी अस्पताल में रोका गया है, लेकिन अब सरकारी अस्पताल को भी वही बदनामी मिल रही है। उन्होंने इसे असाधारण और अभूतपूर्व बताया।
इस बीच स्वास्थ्य विभाग की तरफ से एसएसकेएम से इस संबंध में संपर्क किया गया है। स्वास्थ्य विभाग ने जानना चाहा कि घटना में कौन शामिल है और घटना की सच्चाई क्या है। तृणमूल विधायक और डॉक्टर निर्मल मांझी के मुताबिक मुख्यमंत्री ऐसी घटनाओं को बर्दाश्त नहीं करती हैं।