Img 20231201 Wa0059

कोलकाता : लिटरेरिया 2023 का पहला दिन सम्पन्न

कोलकाता। तीन दिवसीय लिटरेरिया के पहले दिन की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन और युवा नृत्यांगना सोनाली पांडेय द्वारा काव्य नृत्य की प्रस्तुति से हुई। स्वागत वक्तव्य देते हुए संस्था के संरक्षक मृत्युंजय कुमार सिंह ने कहा कि नीलांबर का हर सदस्य अपनी भूमिका से संस्था का प्रतिनिधित्व करता है। उन्होंने आगे कहा कि हमें सोचना चाहिए कि वैचारिक स्तर पर हम कहाँ थे और कहाँ जा रहे हैं।

सेमिनार के पहले सत्र ‘श्रद्धा का विकलांग दौर और परसाई’ विषय पर अपनी बात रखते हुए सुपरिचित आलोचक इतु सिंह ने कहा कि यह दौर वैचारिक विकलांगता का दौर है लेकिन शारीरिक विकलांगता के प्रति सहानुभूति उत्पन्न होती है, इसके ठीक‌ उल्टे वैचारिक विकलांगता अक्षम्य है। साथ ही वे कहती हैं‌ कि राजनैतिक प्रतिबद्धता के बावजूद परसाई पाठकों को वैचारिक स्वतंत्रता ‌देते थे।

सुपरिचित कवि एवं आलोचक प्रियंकर पालीवाल ने कहा कि परसाईं के व्यंग्य के शीर्षक अपने आप में शोध का विषय है। वे आगे कहते हैं कि विवेक के अभाव में हम‌ विरोध के स्थान पर ताली बजा रहे हैं, व्यंग्य इस फांक को पूरा करता है। प्रतिष्ठित आलोचक मोहन श्रोत्रिय ने आज के दौर को श्रद्धा का विकलांग दौर कहने के बजाय इसे दिव्यांग श्रद्धा का दौर कहना ज्यादा उचित माना।

उन्होंने कहा कि विश्व साहित्य और विश्व राजनीति की गहरी समझ परसाई में थी, जिसके नजदीक एकमात्र मुक्तिबोध ठहरते हैं। इस सत्र की अध्यक्षता करते हुए सुप्रसिद्ध कथाकार एवं कवि उदय प्रकाश ने कहा कि वर्तमान में जो सरोकार मात्र स्वास्थ्य तक सीमित है उसे विचार पर भी केंद्रित करना होगा। आगे उन्होंने कहा कि अब वह राजनीति बची नहीं है, जिससे आधुनिकता का जन्म हुआ था।

सेमिनार के दूसरे सत्र में ‘आज़ाद मुल्क का दरबारी राग’ विषय पर चर्चित युवा कवि विहाग वैभव ने ‘गोदान’, ‘मैला आंचल’, ‘महाभोज’ और ‘वारेन हेस्टिंग्स का सांड़’ के मार्फत अपनी बात रखी।‌ वे कहते हैं कि आज के लोकतंत्र को देखते हुए ऐसा लगता है कि यह लोकतंत्र बिना‌ संघर्ष के ही मिला‌ है। स्वप्न भंग इसकी परिणति है। सुपरिचित आलोचक वेद रमण ने आलोच्य विषय पर बात रखते हुए कहा कि आज़ाद मुल्क का दरबारी राग मात्र राजनीति तक‌ सीमित ‌न‌हीं‌ बल्कि साहित्य में भी यह संस्कृति व्याप्त है।

Img 20231201 Wa0055वे प्रेमचंद के ‘सूरदास’, रेणु के ‘बामनदास’ और उदय प्रकाश के ‘मोहनदास’ के बीच संबंध को रेखांकित करते हैं। प्रतिष्ठित आलोचक एवं चिंतक मणीन्द्रनाथ ठाकुर ने कहा कि आज ज्ञान की राजनीति ने हमारे पारंपरिक ‌ज्ञान को समाप्त कर दिया है। आज जो ज्ञान की परम्परा चल रही है वह आजादी के समय के ज्ञान की परम्परा से भिन्न है।

प्रतिष्ठित आलोचक सुधीश पचौरी अपने अध्यक्षीय वक्तव्य के माध्यम से व्यंग्य के महत्व को रेखांकित करते हुए कहते हैं कि हम‌ सबके‌ भीतर ‌एक‌ परसाई है जो ताकतवर,‌ शोषक‌ वर्ग के विरुद्ध व्यंग्य के‌ माध्यम से प्रतिरोध व्यक्त करता है। व्यंग्य लोकतंत्र का एक‌ हिस्सा है जिसमें असहमति व्यक्त होती है। सेमिनार के दोनों सत्रों का कुशल संचालन विनय मिश्र ने किया। इसके उपरांत नीलांबर की टीम द्वारा कविता कोलाज ‘बहुत सारा चारा, बहुत कम दूध’ (अविनाश मिश्र की कविताएँ) की प्रभावशाली प्रस्तुति की गयी।

इसमें हिस्सा लेने वाले मुख्य कलाकार थे – दीपक ठाकुर, निखिल विनय, अमित मिश्रा, ज्योति भारती एवं प्रज्ञा सिंह।‌ इस दिन ‘गजल की एक शाम’ का आयोजन किया गया। इसमें आमंत्रित शायरों में शामिल थे अविनाश दास, सुनील कुमार शर्मा, परवेज़ अख्तर, शैलेश गुप्ता और अयाज खान अयाज। गजल की इस शाम का संचालन शायरा रौनक अफरोज ने किया। अंत में नीलांबर द्वारा फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी पर निर्मित लघु फिल्म ‘संवदिया’ की प्रस्तुति की गई। प्रथम दिन के कार्यक्रम के लिए धन्यवाद ज्ञापन पूनम सोनछात्रा ने किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

16 − two =