जाने कलावा बांधने का महत्व तथा शास्त्रीय विधान, पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री से

पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री, वाराणसी : कलाई में बांधने वाली वस्तु को कलावा कहते हैं और शास्त्रों में इसे रक्षासूत्र कहते है। कलावा में तीन धागे होते हैं पीला, लाल तथा सफेद। तीनों धागे ही बात, पित्त, कफ को संयमित करते हैं। विभिन्न प्रकार की कामना के लिए अलग-अलग मंत्रों द्वारा अलग-अलग प्रकार के कलावा बांधे जाते हैं। आइए जाने किस उद्देश्य के लिए कौन सा कलावा बाधना चाहिए।

१) विवाह, संतान रक्षा, विद्या बुद्धि के लिए कलावा बांधना कलाई पर उचित होता है।

२) शिक्षा में एकाग्रता बढ़ाने के लिए नारंगी रंग का धागा बृहस्पतिवार के दिन धारण करें।

३) शीघ्र विवाह के लिए पीले तथा सफेद रंग का कलावा शुक्रवार के दिन धारण करें।

४) नजर दोष से बचने के लिए काले रंग का धागा शनिवार के दिन धारण करें।

५) अपयश की चपेट में ना आए इससे बचने के लिए लाल, पीले तथा सफेद रंग का धागा धारण करें।

६) बुद्धि की प्रखरता प्राप्ति के लिए पीले रंग का धागा धारण करें।

७) किसी अच्छे विद्वान पंडित जी या पुजारी जी अथवा बहन या माता पिता के हाथ से ही कलावा धारण करे।

८) व्यापार में नित्य प्रति आपको सफलता प्राप्त हो इसके लिए हर माह के पक्ष में कलावा को परिवर्तित करे।

९) कलावा सूत का ही शास्त्रों में उत्तम बताया गया है क्योंकि कलावा में ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास सन्निहित होता है।

१०) धार्मिक कार्यों में, किसी भी पूजन कारियों में और मांगलिक कार्यों में, कलावा का विशेष महत्व है। इसलिए कलावा धारण कलाई पर अवश्य करना चाहिए।

अपनी जन्मकुंडली व वर्षकुण्डली बनवाने तथा भविष्य की जानकारी के लिए हम से सम्पर्क करें।
जोतिर्विद वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
9993874848

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *