मुझे इक महान विदेशी जानकार की कही बात याद आई है। उनका नाम भूल गया बात कभी नहीं भूला। उन्होंने कहा था सबसे खुशहाल होने को थोड़ी ज़मीन कुछ भेड़ बकरियां कुछ जानवर खेती किसानी की ज़रूरत के लिए पास होने पर व्यक्ति आत्मनिर्भर बनकर जीवन बिता सकता है। खाने को अनाज दाल सब्ज़ी और बदन ढकने को कपड़ा बनाने को कपास और ऊन अपनी भेड़ों की। घर बनाने को मिट्टी अपनी और पेड़ छांव देने को अर्थात ज़िंदा रहने को किसी से कुछ भी मांगना ज़रूरी नहीं रह जाता है।
मेरे गांव के बज़ुर्ग मेहता खेमराज जी की दो बातें गांववाले सुनाया करते हैं। उनका कहना था किसान ज़मीन पर खड़ा जानता है कि जितनी ज़मीन उसकी है पांव के नीचे उतना ऊपर का आसमान भी उसी का है। इक बात तब अजीब लगती थी जब वो कहते थे ऊंची ज़मीन के भाव ऊंचे। वास्तव में जो ज़मीन ऊंची होती है उसकी सिंचाई करना उस समय बेहद मुश्किल होता था। लेकिन उनको पता था कि किसान चाहे तो रेतीली ज़मीन पर हरे भरे खलियान बना सकता है जिसे कोई बाढ़ या बारिश बर्बाद नहीं कर सकती है।
आपको इक ऐसे राजनेता की बात बताता हूं जो केवल कहता नहीं था बल्कि सच में नामुमकिन को मुमकिन कर दिखाता था। हरियाणा में अपने इलाके के लोगों से मिलने गया और पूछा बताओ आपकी कौन सी समस्या है लोगों ने मांग की कि उनके खेतों तक नहर का पानी पहुंचना चाहिए। उनकी ज़मीन ऊंचे टिब्बे थे जिन पर ऊपर पानी ले जाना असंभव लगता था मगर चौधरी बंसी लाल जी ने अपने सिंचाई विभाग के इंजीनियर को बुलवाकर समस्या का समाधान करने को कहा। उस पढ़े लिखे अधिकारी ने जवाब दिया ऐसा मुमकिन नहीं है और मोटर लगाकर ऊपर सिंचाई करना इतना महंगा पड़ेगा कि पछताना पड़ेगा। बंसी लाल जी ने उनसे कहा था आपसे नहीं हो सकता है तो आप इस्तीफ़ा दे दो विभाग में कोई अवश्य होगा जो ऐसा कर दिखाने का यकीन रखता होगा। और उन्होंने घोषणा कर दी थी इतने समय बाद ये कर दिखाएंगे। और उन्होंने ऐसा कर दिखाया था पानी को नीचे से ऊपर पहुंचाने का काम। ये भगीरथ के पहाड़ से गंगा उतारने से कठिन कार्य था।
राजनेता बंसी लाल बड़े जीवट वाले व्यक्ति थे क्योंकि खुद किसान थे और किसान जो ठान लेता है भगवान भी उसको रोक नहीं सकता है। कथाओं में वर्णित है कि हनुमान जी को उनकी शक्ति का पता नहीं रहता था उनको याद दिलाना पड़ता था कि आप सब कर सकते हैं। किसान को भी जिस वक़्त ये राज़ समझ आ गया कोई सरकार कोई धनपशु कोई चालाक साहूकार कोई बड़े से बड़ा उद्योग कारोबार चलाने वाला उसके सामने टिक नहीं पाएगा। किसान को उनकी शक्ति को समझना है और आज़माना है अभी तलक उसकी ताकत को कोई और लोग अपने स्वार्थ की खातिर उपयोग करते रहे हैं।