#Khela Hobe : बंगाल ही नहीं अब इन राज्यों में भी मनाया जाएगा : ‘खेला होबे दिवस’

Kolkata Desk : 16 अगस्त को TMC के बैनर तले ‘खेला होबे दिवस’ अब बंगाल के अलावा देश के कई राज्यों में भी मनाया जाएगा। उत्तर प्रदेश, बिहार, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, त्रिपुरा और अन्य राज्यों में भी मनाया जाएगा, ‘खेला होबे दिवस’। 16 अगस्त को TMC के बैनर तले होंगे कार्यक्रम। ‘खेला होबे’ ये नारा बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले पूरे बंगाल में गूंज रहा था और अब भी यह नारा पूरें देश में सुनाई पड़ रहा है। दरअसल तृणमूल कांग्रेस ने 16 अगस्त को पूरे पश्चिम बंगाल में ‘खेला होबे दिवस’ मनाने का ऐलान किया है।

TMC नेता मदन मित्रा का कहना है कि खेला होबे दिवस अब केवल पश्चिम बंगाल में ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश, बिहार, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, त्रिपुरा और अन्य राज्यों में भी मनाया जाएगा। उन्होंने बताया कि कुछ राज्यों में इसे TMC के झंडे तले मनाया जाएगा और बहुत से राज्यों में इसे टीएमसी के झंडे के बिना ही मनाया जाएगा।

बीजेपी ने भी ‘खेला होबे दिवस’ के जवाब में किया जिलों में फुटबॉल टूर्नामेंटों का आयोजन : बीजेपी ने टीएमसी के ‘खेला होबे दिवस’ के जवाब में शुक्रवार को राज्य के विभिन्न हिस्सों में फुटबॉल टूर्नामेंट का आयोजन किया। तृणमूल ने राज्य में खेल गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए इस आयोजन का निर्णय किया था। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली सरकार ने घोषणा की थी कि वह 16 अगस्त को उन फुटबॉल प्रशंसकों की याद में ‘खेला होबे’ दिवस मनाएगी, जो 1980 में इडेन गार्डन में एक मैच के दौरान मची भगदड़ में मारे गए थे।

भाजपा ने तृणमूल की इस योजना पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि मुस्लिम लीग ने 1946 में इसी दिन ‘डायरेक्ट एक्शन डे’ मनाने की घोषणा की थी, जिसके परिणामस्वरूप बंगाल में खास कर कलकत्ता में बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी। सत्तारूढ़ तृणमूल का कहना है कि इस अवसर पर वह राज्य के विभिन्न स्पोर्ट्स क्लबों में खिलाड़ियों को फुटबॉल बांटेगी।

भाजपा की बंगाल इकाई के महासचिव सायंतन बसु ने टीएमसी पर निशाना साधते हुए कहा है कि 16 अगस्त को खेला होबे दिवस के रूप में चुनकर तृणमूल अन्याय और अत्याचारों के उस दौर को वापस लाना चाहती है। बसु ने कहा दो मई को विधानसभा चुनाव परिणामों की घोषणा के बाद से तृणमूल ने भाजपा कार्यकर्ताओं के खिलाफ हिंसा शुरू कर दी है। खेला होबे दिवस के जरिए तृणमूल ऐसी हिंसक घटनाओं को और भी बढ़ावा देना चाहती है।

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