कोच्चि : केरल में हाल के महीनों में मनुष्यों और वन्यजीवों के बीच संघर्ष की बढ़ती घटनाएं आगामी लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार के दौरान चर्चा का अहम विषय बनेंगी। इडुक्की और वायनाड जिलों में बीते तीन महीनों के दौरान वन्यजीवों, खासकर हाथियों, बाघ व जंगली सुअरों के हमलों में कम से कम नौ लोगों की मौत हुई है और कई अन्य जख्मी हुए हैं।
इसके अलावा हाथी और जंगली सुअर भटक कर खेतों में पहुंच जाते हैं और फसलों को तबाह कर देते हैं जिससे किसान परेशान होते हैं। यह मुद्दा आगामी लोकसभा चुनावों के लिए प्रचार के दौरान चर्चा का प्रमुख विषय बनेगा। विभिन्न राजनीतिक दल इस मुद्दे को उठा रहे हैं।
सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) और कांग्रेस के नेतृत्व वाला विपक्षी संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 में संशोधन पर जोर दे रहा है, जो समवर्ती सूची के अंतर्गत आता है। उनका तर्क है कि मानव-पशु टकराव की बढ़ती घटनाओं से निपटने के लिए अधिनियम में संशोधन जरूरी हैं।
इडुक्की के पूर्व सांसद और आगामी लोकसभा चुनाव के लिए एलडीएफ के उम्मीदवार जॉइस जॉर्ज ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि वन्यजीव और पारिस्थितिकी के स्थायी प्रबंधन में शिकार-शिकारी संतुलन बहुत महत्वपूर्ण है।
जॉर्ज ने कई अंतरराष्ट्रीय अध्ययनों का हवाला देकर दावा किया, ” अगर वन्यजीवों की संख्या बढ़ती है तो उन्हें मारने का कोई तरीका अपनाया जा सकता है। यह सिर्फ मानव-पशु टकराव को कम करने के लिए नहीं है बल्कि संरक्षण, वन और पारिस्थितिकी के बेहतर हित के लिए भी जरूरी है।”
कांग्रेस नेता और वायनाड जिला पंचायत के अध्यक्ष शमशाद मराक्कर ने भी मौजूदा वक्त के हिसाब से कानूनों को अद्यतन करने की जरूरत पर जोर दिया।
उन्होंने वन्यजीव के मुद्दों को ‘गैर-जिम्मेदाराना’ तरीके से संभालने के लिए राज्य और केंद्र सरकार दोनों की आलोचना की। वायनाड से कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी सांसद हैं।
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मराक्कर ने कहा, ” आने वाले चुनाव में यह चर्चा का विषय होगा। यह सिर्फ वायनाड में ही नहीं बल्कि उन अन्य जिलों में भी चर्चा का विषय होगा, जहां जंगल हैं। लोगों को शांतिपूर्ण जीवन चाहिए। वे निश्चित रूप से उन्हें वोट देंगे जो उनके जीवन की सुरक्षा के लिए सक्रिय कदम उठाएंगे।”
उन्होंने वन्यजीव को मारने या बेहोश करने में शामिल प्रक्रियात्मक जटिलताओं को सरल बनाने के लिए संशोधन का आह्वान किया।
दूसरी ओर, भारतीय जानता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार का तर्क है कि अधिनियम के मौजूदा प्रावधान जंगली जानवरों के हमले की स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त हैं।
प्रदेश भाजपा के महासचिव जॉर्ज कुरियन ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ” केंद्रीय वन मंत्री ने साफ कहा था कि जंगली जानवरों को मारने का प्रावधान (मौजूदा कानून में) है। हालांकि, राज्य सरकार कानून को लागू करने में असमर्थ है, और वे बेकार बहाने ढूंढ रहे हैं।”
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