केदारनाथ धाम के कपाट शीतकाल तक के लिए बन्द

देहरादून। चार धामों में से एक प्रसिद्ध 11वें ज्योर्तिलिंग भगवान केदारनाथ मंदिर के कपाट शनिवार को सेना के बैंडबाजों की भक्तिमय धुनों के बीच पूरे विधि विधान से शीतकाल तक के लिए बंद कर दिये गये। ब्रह्म मुहूर्त से कपाट बंद होने की प्रक्रिया शुरू हुई और प्रात: छह बजे पुजारी बागेश लिंग ने केदारनाथ धाम के दिगपाल भगवान भैरवनाथ जी का आव्हान कर धर्माचार्यों की उपस्थिति में स्यंभू शिव लिंग को विभूति एवं शुष्क फूलों से ढककर समाधि रूप में विराजमान किया। इसके बाद ठीक सुबह आठ बजे मुख्य द्वार के कपाट बंद कर दिये गये।

वहीं आज दोपहर को तीसरे धाम श्री यमुनोत्री के कपाट बन्द किये जायेंगे। बर्फ की सफेद चादर ओढ़े श्री केदारनाथ धाम से पंच मुखी डोली ने सेना के बैंड बाजो की भक्तमय धुनों के बीच मंदिर की परिक्रमा कर विभिन्न पड़ावों से होते हुए शीतकालीन गद्दी स्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ हेतु प्रस्थान किया। उत्तराखंड के राज्यपाल गुरूमीत सिंह, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज, पूर्व सांसद मनोहर कांत ध्यानी, विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चंद्र अग्रवाल और चारधाम विकास परिषद पूर्व उपाध्यक्ष आचार्य शिव प्रसाद ममगाई ने धामों के कपाट बंद होने पर शुभकामनाएं दी।

कोरोना काल के बावजूद केदारनाथ धाम यात्रा सफलतापूर्वक संपन्न हुई तथा चारो धामों में साढ़े चार लाख से अधिक तीर्थ यात्री पहुंचे है। देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया कि कपाट बंद होने के बाद भगवान केदारनाथ जी की पंचमुखी डोली ने मंदिर की परिक्रमा के बाद जय श्री केदार के उदघोष के बाद पहले पड़ाव रामपुर के लिए प्रस्थान किया।

कल सात नवम्बर को डोली विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी प्रवास हेतु पहुंचेगी तथा दूसरे दिन आठ नवम्बर को डोली के पंच केदार गद्दी स्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ विराजमान हो जायेगी। इसी के साथ भगवान केदार नाथ जी की शीतकालीन पूजा शुरू हो जायेंगी।
उल्लेखनीय है कि चारधामों में से गंगोत्री धाम के कपाट चार नवम्बर को बंद हुए थे।

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