भारत-श्रीलंका रिश्तों के बारे में सोचे बिना कच्चातिवु को चुनावी मुद्दा बनाया गया: यशवंत सिन्हा

नयी दिल्ली : पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कच्चातिवु द्वीप को लोकसभा चुनाव में मुद्दा बनाने में भारत-श्रीलंका के संबंधों पर इसके असर के बारे में नहीं सोचा।

कच्चातिवु द्वीप के आसपास दशकों पुराना क्षेत्रीय और मछली पकड़ने के अधिकार से जुड़ा विवाद एक बार फिर सुर्खियों में है और भाजपा और विपक्षी दलों के बीच इस पर जुबानी जंग चल रही है।

भारत के वित्त मंत्री और विदेश मंत्री रह चुके सिन्हा ने कहा कि यह द्वीप समुद्री सीमा के श्रीलंका की तरफ वाले हिस्से में पड़ता है।

उन्होंने कहा, ”मैं बेहद निराश हूं कि इस मुद्दे को किसी और ने नहीं बल्कि देश के प्रधानमंत्री ने उठाया। मैं इस तथ्य से अवगत हूं कि कच्चातिवु एक द्वीप था जो समुद्री, अंतरराष्ट्रीय समुद्री रेखा खींचे जाने पर श्रीलंका की तरफ था और इसलिए श्रीलंका में चला गया।”

सिन्हा ने कहा, ”और इसलिए विदेश मंत्रालय ने बार-बार कहा है कि श्रीलंका को कोई द्वीप देने का कोई सवाल ही नहीं है क्योंकि यह द्वीप श्रीलंका की तरफ पड़ता है।”

“अब इस मुद्दे को उठाने पर मैं सिर्फ इतना ही कह सकता हूं कि इससे श्रीलंका के साथ रिश्ते खराब होंगे। और आप क्या करेंगे? क्या आप द्वीप को वापस लेने के लिए बल प्रयोग करने जा रहे हैं? इसलिए यह एक चुनावी मुद्दे के अलावा और कुछ नहीं है।”

सिन्हा ने कहा, ” आप चुनाव में कई मुद्दे उठा सकते हैं। लेकिन आपको उन मुद्दों को लेकर सतर्क रहना होगा जिन्हें आप उठाते हैं। यहां, प्रधानमंत्री ने श्रीलंका के साथ हमारे द्विपक्षीय संबंधों पर पड़ने वाले असर पर विचार किए बिना इस मुद्दे को उठाया है।”

मोदी ने 1974 में तत्कालीन कांग्रेस नीत सरकार द्वारा इस द्वीप को श्रीलंका को सौंपे जाने को लेकर विपक्षी पार्टी के साथ-साथ द्रमुक पर भी पिछले दिनों निशाना साधा था।

उन्होंने मीडिया में आई एक खबर का हवाला देते हुए दावा किया था कि नए तथ्यों से पता चला है कि कांग्रेस ने कच्चातिवु को ‘संवेदनहीन’ रवैया अपनाते हुए श्रीलंका को दे दिया।

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