- 142वीं जयंती समारोह में वक्ताओं ने कहा
- भारत रत्न दिए जाने की मांग भी की
कोलकाता। हिन्दी के प्रसिद्ध साहित्यकार व स्वतंत्रता सेनानी डॉ. काशी प्रसाद जायसवाल आधुनिक भारत के प्रथम इतिहासकार थे। एपीसी रोड स्थित राममोहन हॉल में काशी प्रसाद जायसवाल स्मृति समिति की ओर से आयोजित उनकी 142वीं जयंती समारोह को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने यह बातें कही। कोरोना के चलते 2 साल बाद हुए समारोह में उन्हें आधुनिक भारत का प्रथम इतिहासकार बताते हुए उन पर डाक्यूमेंट्री फिल्म के साथ अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार पर जोर दिया गया। सडक़ोंं व चौराहों का नाम इनके नाम पर करने के साथ भारत रत्न दिए जाने की भी मांग की गई।
समारोह में बतौर अतिथि वरिष्ठ पत्रकार विश्वम्भर नेवर, प्रेस क्लब कोलकाता के पूर्व अध्यक्ष व वरिष्ठ पत्रकार राज मिठौलिया, राजस्थान पत्रिका के वरिष्ठ पत्रकार केडी पार्थ, कौशल किशोर त्रिवेदी, एनआईओएच के हिंदी अधिकारी हिमांशु श्रीवास्तव, युवा उद्योगपति विष्णु अग्रवाल, वीमेंस कॉलेज के प्रोफेसर जीनव सिंह आदि मौजूद थे। राज मिठौलिया ने कहा कि डॉ. जायसवाल पर डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाई और दिखाई जाए। इससे जायसवाल समाज के युवा प्रेरित होंगे।जायसवाल समाज में प्रतिभाओं की कमी नहीं है।
जर्मनी में उनके नाम पर सडक़ : नेवर ने कहा कि जर्मनी में उनके नाम पर एक सडक़ है। युवा पीढ़ी को उनके बारे में ज्याादा से ज्यादा जानकारी देनी चाहिए। वे विलक्षण, प्रतिभायुक्त, प्रसिद्ध साहित्यकार, इतिहासकार, पुरातत्ववेत्ता व बहुभाषी विद्वान थे। समारोह का संचालन काली प्रसाद जायसवाल दुबेला ने किया।
गुरु-शिष्य द्वैत सम्मानित : इस मौके पर राजस्थान पत्रिका के वरिष्ठ पत्रकार केडी पार्थ, शिक्षाविद हीरालाल जायसवाल को डॉ. काशीप्रसाद जायसवाल प्रतिभा सम्मान -2022 से सम्मानित किया गया। केडी पार्थ ने कहा कि हीरालाल जायसवाल उनके गुरु हैं। गुरु के साथ वे सम्मानित हो काफी गौरवांति महसूस कर रहे हैं। वे जब 1984 में पश्चिम बंगाल माध्यमिक की परीक्षा पास कर आदर्श हिंदी हाई स्कूल में 11वीं में कॉमर्स पढऩे के लिए दाखिला लिए, तब हीरालाल जी उनके गुरु थे।
जारी हुआ था विशेष डाक टिकट : भारत सरकार ने 1961 में कुछ विशिष्ट महापुरूषों के सम्मान में विशेष डाक टिकटों को जारी करने का निर्णय लिया था। उनमें एक नाम डा. काशी प्रसाद जायसवाल का भी था। समारोह को सफल बनाने में प्रकाश जायसवाल, अमृतलाल जायसवाल, शंभूनाथ जायसवाल, अरविन्द कुमार साव आदि सक्रिय रहे।