बसंत पंचमी पर की जाती है कामदेव व रति की पूजा

कोलकाता। गुरुवार 26 जनवरी, 2023 को बसंत पंचमी का पर्व है। बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती का जन्मोत्सव मनाया जाता है। पौराणिक तथ्यों के अनुसार माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी पर देवी सरस्वती की कृपा से संसार के सभी जीव-जंतुओं को वाणी के संग बुद्धि और विद्या मिली थी। मान्यताओं के अनुसार कामदेव प्राणियों के अंदर प्रेम भावना जागृत करते हैं वहीं देवी रति श्रृंगार करने की इच्छा को बढ़ाती हैं। हिंदू धर्म शास्त्रों के मुताबिक, कामदेव के धनुष से निकला बाण सीधा दिल पर लगता है। इस बाण के लगने से दिल प्रेम की भावना से भर जाता है।

बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा-अर्चना करने के बाद ही कामदेव और उनकी पत्नी रति की पूजा करनी चाहिए।
मान्यताओं के अनुसार, कामदेव को भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का पुत्र कहा गया है। कामदेव को भगवान ब्रह्मा का पुत्र भी माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि कामदेव महिलाओं की आंखों, खूबसूरती, मधुर आवाज, महिलाओं के यौवन, फूलों के रस, मनोहर जगह, मानव शरीर के छुपे हुए अंग आदि में वास करते हैं।

बसंत पंचमी 2023 पूजा मुहूर्त
बसंत पंचमी 26 जनवरी 2023 शुभ मुहूर्त सुबह 07.07 मिनट से दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक रहेगा।
शिक्षा, कला, संगीत, साहित्य के क्षेत्र से जुड़े व्यक्ति विशेषतौर पर बसंत पंचमी के दिन माँ सरस्वती की पूजा करते हैं। इसके अतिरिक्त धर्म ग्रंथों के अनुसार बसंत पंचमी के दिन प्रेम के देवता कामदेव और उनकी पत्नि रति की उपासना का भी विधान है। ऐसा कहा जाता है कि बसंती पंचमी के दिन कामदेव का पूजन करने से प्यार पाने की इच्छा पूर्ण होती है। आज हम अपने पाठकों को बसंती पंचमी के अवसर पर कामदेव की पूजा विधि और उसका महत्त्व बताने जा रहे हैं—

बसंत पंचमी पर कैसे करें कामदेव और रति की पूजा?
पुराणों के अनुसार, बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करने के बाद कामदेव और उनकी पत्नी रति की पूजा करनी चाहिए। कामदेव और देवी रति की पूजा करने के लिए सबसे पहले एक लकड़ी की चौकी रखिए और उस पर पीले रंग का वस्त्र बिछा लीजिए। अब वस्त्र पर अक्षत का कमल दल बनाइए फिर चौकी के आगे वाले भाग में हल्दी से गणेश जी और पीछे वाले भाग में चंदन की मदद से कामदेव और उनकी पत्नी देवी रति की स्थापना कीजिए।

कामदेव और देवी रति की पूजा करने से पहले भगवान गणेश की पूजा कीजिए फिर कामदेव और देवी रति की पूजा कीजिए। पूजा करने के बाद इन दोनों के ऊपर अबीर और फूल डालिए। पूजा करने के बाद 108 बार कामदेव मंत्र का जाप कीजिए। बसंत पंचमी के दिन पति और पत्नी को ब्रह्माचार्य का पालन जरूर करना चाहिए इससे अत्यधिक लाभ मिलता है।

बसंत पंचमी पर कामदेव-रति की पूजा का महत्व
शास्त्रों के अनुसार प्रेम के स्वामी कामदेव और उनकी पत्नी के नृत्य से ही पशु, पक्षियों और मनुष्यों में प्रेम और काम के भाव जागृत होते हैं। कामदेव की कृपा से ही प्रेम और वैवाहिक सम्बन्धों में मधुरता आती है। वहीं देवी रति को प्रेम, जुनून और मिलाप की देवी माना गया है।

पौराणिक मान्यता के अनुसार बसंत पंचमी के दिन कामदेव और रति स्वर्ग से पृथ्वी पर आते हैं। उनके आगमन से ही धरती पर बसंत ऋतु का आगमन होता है। इनके कारण ही मन में एक नई उमंग जागती है, पेड़-पौधों की नई कोपलों एवं सरसों के पीले फूलों से सृष्टि नए श्रृंगार करती है। सृष्टि में प्राणियों के बीच प्रेम भावना बनी रहे, इसलिए बसंत पंचमी पर कामदेव और रति की पूजा अवश्य की जाती है।

कामदेव-रति की पूजा विधि
बसंत पंचमी पर माँ सरस्वती की पूजा के बाद कामदेव एवं रति की तस्वीर स्थापित करें। सुगंधित फूल, चंदन, रोली, मौली, इत्र, गुलाबी वस्त्र, सौंदर्य सामग्री, धूप, दीप, अगरबत्ती, पान, सुपारी आदि से इनकी पूजा करें। देवी रति को श्रृंगार का सामना चढ़ाएं।

कामदेव-रति की पूजा का मंत्र
वैवाहिक जीवन में मधुरता और मनचाहा प्यार पाने के लिए इस दिन पीले कपड़े पहनकर इस मंत्र का 108 बार जाप करें – ओम कामदेवाय विद्महे, रति प्रियायै धीमहि, तन्नो अनंग प्रचोदयात्।

बसंत पंचमी पर कामदेव के शाबर मंत्र का जाप करने से व्यक्तित्व में निखार आता है। इससे व्यक्ति की आकर्षण शक्ति बढ़ती है और जीवन आनंद से भरपूर रहता है। कामदेव के शाबर में एक माला जाप करें – ओम नमो भगवते कामदेवाय यस्य यस्य दृश्यो भवामि यस्य यस्य मम मुखं पश्यति तं तं मोहयतु स्वाहा।

Note : आलेख में दी गई जानकारियों को लेकर हम यह दावा नहीं करते कि यह पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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