तारकेश कुमार ओझा, खड़गपुर : तुली दास का घर झाड़ग्राम जिले के सांकराइल ब्लॉक के रोहिणी में है। उनके पिता उत्तम दास को यह समझने में देर नहीं लगी कि तुली को बचपन से ही पेंटिंग में विशेष रुचि थी।इसलिए शिक्षक ने उन्हें बचपन में ही पेंटिंग सीखने के लिए अलक दास के पास भर्ती करा दिया। अलक दास तुली की विशेष प्रतिभा को समझते थे। उसने जगह-जगह प्रतियोगिताओं में भाग लिया और प्रशंसा बटोरी, हाथों-हाथ पुरस्कार भी जीते। तुली की प्रतिभा को विभिन्न सरकारी अधिकारियों से प्रशंसा मिली है।
कुछ दिन पहले बांग्लादेश में ऑल बंगाल सोसाइटी और विजय-71 की संयुक्त पहल पर एक अंतरराष्ट्रीय चित्रकारी मेला आयोजित किया गया था। इस मेले में पश्चिम बंगाल के कई प्रतिभाशाली चित्रकारों को आमंत्रित किया गया था। तुली की प्रतिभा के कारण आयोजकों द्वारा तुली को इस अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में भाग लेने के लिए भी आमंत्रित किया गया था।
इस मेले में तुली को विशेष सम्मान से सम्मानित किया गया। तुली की पेंटिंग्स देखकर बांग्लादेश के प्रमुख चित्रकार काफ़ी प्रभावित हुए। उन्हें नेपाल जाने का भी अवसर मिला। कौन जानता था कि झाड़ग्राम जिले के एक दूरदराज के गांव की लड़की तुली को अपनी पेंटिंग के साथ देश-विदेश में आमंत्रित किया जाएगा। तुली की सफलता पर सांकराइल में खुशी की लहर दौड़ गई। कई बार तुली की पेंटिंग्स भी सुर्खियों में आई हैं।
तुली अपनी पेंटिंग के साथ भविष्य में कुछ बड़ा करना चाहती हैं और उनके पिता उत्तम दास उनके हर सपने को पूरा करने की कोशिश कर रहे हैं। गोपीवल्लभपुर में उत्तम दास विद्युत विभाग की एलटी वैन में संविदा कौशल कर्मी के रूप में कार्य करते हैं। वह कम वेतन में भी यथासंभव समाज सेवा के कार्यों में शामिल होने का प्रयास करते हैं।
इसलिए, अंतर्राष्ट्रीय पेंटिंग महोत्सव में सम्मानित होने के बाद, कुलटिकरी ने अर्थ केयर सोशल वेलफेयर ऑर्गनाइजेशन में आकर कई पेड़ लगाए और वहां स्कूल के छात्रों को किताबें, नोटबुक और पेन सौंपे। तुली की सफलता की सराहना पूर्व सरकारी कवि व लेखक प्रदीप कुमार माईती, पर्यावरणविद् पूर्व शिक्षक गौर साधन दास चक्रवर्ती, कवि व समाजसेवी तपन डे, शिक्षक सुमन मंडल, विष्णु मुर्मू व अन्य छात्रों ने की है।