जिज्ञासा संसार प्रकाशन समूह का भव्य कवि सम्मेलन संपन्न

रांची । जिज्ञासा संसार प्रकाशन का रविवार शाम 5 बजे से ऑनलाइन कवि सम्मेलन का भव्य और शानदार आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में छगन लाल मुथा ने श्री गणेश जी और मां शारदे का छायाचित्र प्रतिस्थापित किया और छायाचित्र पर माल्यार्पण कर जिज्ञासा संसार प्रकाशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने दीप प्रज्वलित किया। तत्पश्चात अनुराधा प्रियदर्शिनी ने अपनी सुमधुर आवाज में सरस्वती मां की वंदना गाकर कार्यक्रम का आरंभ किया। गीता कुमारी गुस्ताख ने स्वागत गीत गाकर मुख्य अतिथि छगन लाल मुथा, विशिष्ट अतिथि चंद्र प्रकाश गुप्त चंद्र, सभा अध्यक्ष भास्कर सिंह माणिक का स्वागत किया।

सुधीर श्रीवास्तव ने स्वागत भाषण प्रस्तुत करते हुए मुख्य अतिथि, विशिष्ठ अतिथि और सभा अध्यक्ष का स्वागत किया। मुख्य अतिथि, विशिष्ठ अतिथि और सभा अध्यक्ष ने मार्गदर्शक उद्बोधन प्रस्तुत किया। संतोष श्रीवास्तव विधार्थी ने मंच का बेहतरीन संचालन कर कार्यक्रम में शमां बांध कर रखा। करीब 40 से अधिक कवियों/कवयित्रियों ने जमकर काव्य रंग बिखेरे। जिसमें मुख्य रूप से संध्या सिंह पुणे, प्रज्ञा आम्बेरकर, अनुभव छाजेड़, डॉ. गीता पांडे अपराजिता रायबरेली, मधु माहेश्वरी गुवाहाटी, असम, छगनलाल मुथा महाराष्ट्र, डॉ. आर.के. मतङ्गश्री अयोध्या धाम, राजकांता राज पटना, रूपा कुमारी “अनंत” राँची (झारखंड), रजनी प्रभा बिहार, प्रतिभा जैन, एम पी, प्रियंका साव बंगाल, गीता कुमारी गुस्ताख बोकारो, संगीता बहुगुणा उत्तराखंड, चंद्रप्रकाश गुप्त “चंद्र” अहमदाबाद, भास्कर सिंह माणिक, कोंच, डॉ. निराला पाठक, रश्मि पांडेय, शुभि, डिंडोरी, नगेंद्र बाला बारैठ दिल्ली।

संतोष श्रीवास्तव “विद्यार्थी, डॉ. मीना कुमारी परिहार, बृंदावन राय सरल सागर, डॉ. गुलाब चंद पटेल गुजरात, अरविंद सोनी सार्थक मंदसौर, खालिद हुसैन सिद्धिकी लखनऊ, रज्जोवाला, संगीता श्रीवास्तव वाराणसी, कल्पना भदौरिया “स्वप्निल” लखनऊ, प्रदीप श्रीवास्तव, शिवपुरी, बृजबाला श्रीवास्तव सुमन आजमगढ़, कल्पना झा बोकारो, अनुराधा पांडे अंजनी रीवा, प्रकाश कुमार मधुबनी चंदन, अंजनी कुमार सुधा कर बिलास पुर, प्रदीप मिश्र अजनबी जी दिल्ली, महेश प्रसाद शर्मा बरेली, ममता प्रीति श्रीवास्तव गोरखपुर आदि ने अपनी अपनी काव्य प्रस्तुति से सबका मन मोह लिया। कार्यक्रम देर रात तक चला। अंत में प्रदीप मिश्र अजनबी ने आयोजन पर अपने विचार प्रस्तुत किया, और सुधीर श्रीवास्तव ने सभी अतिथियों, कवियों/कवयित्रियों का आभार, धन्यवाद व्यक्त कर कार्यक्रम के समापन की घोषणा की।

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