जयेश जायसवाल की कविता : अखबार हैं आप!

अखबार हैं आप!
जयेश जायसवाल

अखबार सी है जिंदगी, किस्से रोज बदलते हैं।
मगर,
मजेदार किस्सों पर लोगों के नजर जरूर ठहरते हैं।
तो बनिए “interesting” ताकि लोग रहे साथ,
क्योंकि मजेदार का ही लोग थामते हैं हाथ।
वैसे, सच का स्वाद तो हर किस्से में था वहां,
मगर “boring” में है मजे की मिठास कहां!

पलटते हैं पन्नों की तरह आपके अपने भी,
रंग दिखते हैं सभी के, समय आने पर।
“Headline” बनिए, रहेंगे सब साथ ही,
और आप हुकूमत जमा सकेंगे जमाने पर।

“Talent” मजेदार नही होता, ए मेरे दोस्त!
मजेदार की परिभाषा ही अलग होती है।

वरना शायद “editorials” पढ़ने वाले कई ज्यादा होते,
वरना शायद आपके पास सच्चे दोस्त भी कई ज्यादा होते।

अखबार हैं आप, और
अखबार से है जिंदगी,
किस्से रोज बदलते हैं!

जयेश जायसवाल

jayeshjaiswal@gmail.com

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