अमेरिका मिस्र और कतर की मध्यस्थता का सराहनीय परिणाम – मानवीय संघर्ष विराम समझौता
कूटनीतिक जीत का सफल नतीजा – इजराइल कैबिनेट ने मानवीय संघर्ष विराम समझौता 35/3 से पारित किया – वार्ता से ही सफलता की सुनिश्चिता पर मुहर – एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया
किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर कुछ देशों में आपसी मनमुटाव के संघर्ष जैसे रूस-यूक्रेन व इजरायल-हमास युद्ध का रूप धारण कर लिया है, जिसके पीछे पूरी दुनिया के देशों का पक्ष, विपक्ष समर्थन और न्यूट्रल रहने से दुनियां तीन खेमों में बट गई थी या है, जिसका परिणाम तीसरे विश्व युद्ध की ओर बढ़ते कदमों से पूरी मानव जाति चिंतित है। परंतु दिनांक 22 नवंबर 2023 को अमेरिका मिस्र और कतर की मध्यस्थता का सराहनीय परिणाम मानवीय संघर्ष विराम समझौता जो अभी चार-पांच दिनों का है और पूरी संभावना है कि इसकी अवधि जरूर बढ़ेगी। उसने फिर एक बार दिखा दिया है कि आपसी वार्ता में दम है, यही वह अस्त्र है जिससे बढ़ती मानवीय जनहानि, प्राकृतिक संसाधनों का विनाश और भयंकर युद्ध के प्रकोप को रोका जा सकता है। एक ओर यह सफलता मिली है तो दूसरी ओर अब रूस-यूक्रेन युद्ध में भी यह प्रयास किए जाने चाहिए। चूंकि कूटनीतिक जीत के सफल नतीजे आए हैं। इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, इजराइल कैबिनेट ने मानवीय संघर्ष विराम समझौता 35/3 से पारित कर वार्ता से सफलता मिलने की कहावत पर मोहर लगाई है।
साथियों बात अगर हम इजराइल हमास युद्ध विराम के लिए मानवीय संघर्ष विराम समझौते की करें तो, बुधवार को सुबह कतर के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में इसकी घोषणा की गई और इसे मिस्र, अमेरिका और कतर द्वारा मानवीय संघर्ष विराम के लिए की गई मध्यस्थता की वार्ता का नतीजा बताया। बयान में कहा गया है, युद्धविराम चार दिन का होगा। इसमें विस्तार की भी संभावना है। बयान के अनुसार, समझौते के तहत, इजराइल द्वारा पकड़े गए फलस्तीनी कैदियों की रिहाई के बदले में हमास द्वारा कब्जे में लिए गए 50 बंधकों की रिहाई होगी। दोनों पक्षों द्वारा रिहा किए जाने वालों में महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। बाद के चरणों में रिहा किए जाने वाले बंधकों की संख्या बढ़ सकती है। बयान के मुताबिक, इस समझौते से गाजा में मानवीय सहायता की आपूर्ति भी बढ़ेगी और युद्धविराम से बड़ी संख्या में मानवीय सहायता एवं राहत सामग्री आपूर्ति वाहनों के काफिलों को जाने की अनुमति मिल जाएगी, जिनमें ईंधन की आपूर्ति भी शामिल है। इजराइल कैबिनेट बैठक से पहले जोर दिया कि समझौता इजराइल की सेना के अभियान से हमास पर दबाव बढ़ने का नतीजा है। उन्होंने कहा कि हमास को खत्म करने, सभी बंधकों की रिहाई सुनिश्चित करने और इजराइल की सुरक्षा को गाजा से कोई खतरा नहीं होने की पुष्टि समेत सारे लक्ष्य हासिल होने तक युद्ध जारी रहेगा। इजराइल और हमास बुधवार को चार दिन के अस्थायी युद्ध विराम पर सहमत हो गए जिससे 150 फलस्तीनी कैदियों की रिहाई के बदले गाजा में चरमपंथी समूह द्वारा बंधक बनाए गए 50 लोगों की रिहाई होगी और क्षेत्र में मानवीय सहायता आपूर्ति की अनुमति मिलेगी।
साथियों बात अगर हम समझौते पर अमेरिका इजरायल की टिप्पणियों की करें तो, अमेरिका के राष्ट्रपति ने एक बयान में कहा, मैं कतर के शेख और मिस्र के राष्ट्रपति के अहम नेतृत्व और इस समझौते पर पहुंचने में उनकी भागीदारी के लिए उनका शुक्रिया अदा करता हूं।उन्होंने कहा, मैंइजराइल प्रधानमंत्री और उनकी सरकार की उस प्रतिबद्धता की सराहना करता हूं जिन्होंने इस समझौते को पूरी तरह से लागू करने और गाजा में निर्दोष फलस्तीनी परिवारों की पीड़ा को कम करने के लिए अतिरिक्त मानवीय सहायता के प्रावधान सुनिश्चित करने के वास्ते एक विस्तारित विराम का समर्थन किया। यह घोषणा इजराइल के प्रधानमंत्री की उस टिप्पणी के बीच आई है जिसमें उन्होंने कहा था, हमारे सभी लक्ष्य हासिल होने तक युद्ध जारी रहेगा। तेल अवीव में करीब छह घंटे चली बैठक बुधवार को सुबह खत्म हुई। बैठक के बाद इजराइल कैबिनेट ने कतर, मिस्र और अमेरिका की मध्यस्थता वाले समझौते को तीन के मुकाबले 35 वोट से मंजूरी दी।
साथियों बात अगर हम इस समझौते में अमेरिका, कतर, मिस्त्र, तुर्की के योगदान की करें तो, बाइडेन ने इस डील को संभव बनाने के लिए कतर के शेख और मिस्र के राष्ट्रपति को धन्यवाद दिया। कतर पिछले समय में भू-राजनीतिक गतिविधियों का बड़ा केंद्र बनकर उभरा है। बता दें कि अमेरिका हमास के साथ डायरेक्ट डील में शामिल न होकर कतर के जरिये इसमें साथ रहा। ऐसा इसलिए है क्योंकि इजरायली हमले में अमेरिकी नागरिक भी मारे गए थे और कुछ अमेरिकी अभी हमास की कैद में हैं। कतर के प्रधान मंत्री ने रविवार को कहा था कि अस्थायी युद्धविराम के बदले में कुछ बंधकों को मुक्त करने का समझौता मामूली व्यावहारिक मुद्दों की वजह से रुका है और इसमें जल्द कामयाबी मिलेगी।
वहीं सोमवार को, अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा था कि उनका मानना है कि बंधकों को मुक्त करने का समझौता करीब है। जब उनसे पूछा गया कि क्या बंधक समझौता निकट है, तो उन्होंने कहा मुझे ऐसा विश्वास हैइस पीस डील के सिलसिले में पिछले कुछ दिनों में मोसाद चीफ कतर की राजधानी दोहा के दौरे पर भी गए थे। यहां उनकी कई शीर्ष नेताओं से गुप्त मुलाकात हुई थी, लेकिन तब बात नहीं बनी थी। दरअसल इजरायली पीएम अपने रुख में किसी किस्म की नरमी का संकेत दुनिया को नहीं देना चाहते थे। वे हमेशा से यही कहते रहे कि वे अपने सभी 240 बंधकों की रिहाई चाहते हैं इसके अलावा वे हमास का खात्मा भी चाहते हैं। यही वजह है कि सीजफायर के बावजूद वे कह रहे हैं कि जंग को बंद समझना बकवास है।
इस पीस डील को मुकाम पर पहुंचाने में कतर, मिस्र के अलावा तुर्किये ने भी अहम भूमिका निभाई है। तुर्किये कुछ मुस्लिम देशों के सीनियर अधिकारियों को मिलाकर बने ग्रुप में सक्रियता से काम कर रहा था। ये ग्रुप इजरायल हमास में सीजफायर के लिए सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों और दूसरे अहम देशों से बात कर रहा था। इस ग्रुप में तुर्किये, कतर, मिस्र, जॉर्डन, नाइजीरिया, सऊदी अरब, इंडोनेशिया, फिलिस्तीन के विदेश मंत्री और प्रतिनिधि शामिल हैं। इजरायली पीएम को युद्ध विराम का फैसला लेने के लिए कैबिनेट की मंजूरी लेनी पड़ी। कैबिनेट की मीटिंग शुरू होने से पहले पीएम ने कहा- आज रात हमारे सामने एक कठिन फैसला लेना है, लेकिन ये सही फैसला है। दरअसल उनपर बंधकों के परिवारों का दबाव है जो चाहते हैं कि उनके प्रियजन हमास की कैद से बाहर निकलें। लेकिन वे नरमी का कोई संकेत नहीं देना चाहते हैं।
इधर बिना नरमी यानी कि युद्धविराम के हमास से बात बनने वाली नहीं है। कैबिनेट मीटिंग के दौरान इजरायल की विपक्ष ने सरकार को आगाह किया कि इस डील से हमास की कैद में मौजूद सभी इजरायली बंधकों को छुड़ाने की इजरायल की काबिलियत पर नकारात्मक असर पड़ेगा। इसके अलावा हमास को मिटाने के इजरायल के मिशन को और भी जटिल बनादेगा। विपक्षी नेताओं ने कहा कि एक बार जंग को अस्थायी रुप से रोकने के बाद इसे फिर से शुरू करने में कई दिक्कतें आएंगी। उन्होंने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि आइडीएफ युद्धविराम की मियाद खत्म होते ही और बंधकों के वापस आते ही फिर से जंग शुरू करेगा। चीन इस पीस डील को मुकम्मल कराने में प्रत्यक्ष रूप से शामिल नहीं था, लेकिन ब्रिक्स सम्मेलन में राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने सीजफायर की मांग करके इजरायल पर नैतिक दबाव बना दिया था।
इसके अलावा चीन ईरान के जरिये भी कहीं न कहीं इस मामले में अपनी बात रख रहा था। राष्ट्रपति ने कहा था फिलिस्तीन के प्रश्न के उचित समाधान के बिना मध्य पूर्व में कोई स्थायी शांति और सुरक्षा नहीं हो सकती। चीन एक अंतरराष्ट्रीय शांति सम्मेलन शीघ्र बुलाने का आह्वान करता है जो शांति के लिए अंतरराष्ट्रीय सहमति बनाने और फिलिस्तीन के प्रश्न के शीघ्र समाधान की दिशा में काम करने के लिए अधिक व्यापक, न्यायसंगत और टिकाऊ हो। फिलिस्तीन इजरायल मुद्दे पर ब्रिक्स के वर्चुअल शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था कि बार बार होने वाले फिलिस्तीनी इजरायल संघर्षों से बाहर निकलने का मूल तरीका टू स्टेट समाधान को लागू करना है, फिलिस्तीनी राष्ट्र के वैध अधिकारों को बहाल करना और एक स्वतंत्र फिलिस्तीन राज्य की स्थापना करना है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि इसराइल हमास युद्ध – सीमित अवधि का मानवीय संघर्ष विराम समझौता लागू अमेरिका मिस्र और कतर की मध्यस्थता का सराहनीय परिणाम- मानवीय संघर्ष विराम समझौता। कूटनीतिक जीत का सफल नतीजा- इजराइल कैबिनेट ने मानवीय संघर्ष विराम समझौता 35/3 से पारित किया- वार्ता से ही सफलता की सुनिश्चिता पर मुहर।