दुनियां में विज्ञान पर सबसे बड़ी चुनौती, लाइलाज कैंसर को मात मिलेगी, वैक्सीन का काम अंतिम चरण में आया
दुनियां के कई देश कैंसर वैक्सीन विकसित करने में जुटे, परंतु रूस वैक्सीन बनाने में बहुत करीब- के ऐलान से दुनियां चौकी, उम्मीद जगी – एडवोकेट किशन सम्मुख दास भावनी गोंदिया
किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर दुनियां के कई देश बहुत तेजी से विज्ञान का हर रहस्य खोज कर नहले पर दहला मारकर नए-नए आयामो को स्थापित कर रहे हैं परंतु सबसे बड़ी विडंबना तो यह है कि दशकों से कई विकसित देश कैंसर को मिटाने, समाप्त करने या यूं कहें के लाइलाज बीमारी का रहस्य जानने में भिड़े हुए हैं पर रहस्य नहीं जान पाए हैं। यानें एंटी कैंसर वैक्सीन नहीं बना पाए हैं, जिसको आज के डिजिटल युग में रेखांकित करना जरूरी है। भारत में कैंसर के मरीज बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं इसका सटीक उदाहरण में अपने राइस सिटी गोंदिया व आसपास के इलाकों सहित अपने कुछ करीबी रिश्तेदारों में भी इसकी दस्तक देख रहा हूं। मैने स्वयं अस्पताल जाकर कैंसर मरीजों से भेंट की भी की उनसे पता चला कि उन्हें अचानक कुछ दर्द हुआ और डॉक्टर को दिखाने पर उसे रिपोर्ट्स कराई और कैंसर का पता चला, उसको तंबाकू, गुटका खाने की आदत थी तो कुछ को ऐसे ही हुआ है। हम दशकों से सुनते आ रहे हैं कि कैंसर एक लाइलाज बीमारी है परंतु इसके मरीज बहुत कम दिखते थे। जबकि मेरा मानना है कि कुछ वर्षों से इसमें मरीज की तादाद बेतहाशा बढ़ रही है क्योंकि अपने आसपास मैं बहुत मरीजों को देखा और उनसे बातचीत कर यह रिपोर्टिंग तैयार कर रहा हूं। फिर मीडिया में रिसर्च कर कैंसर के लक्षणों उसकी जानकारी उपचार सहित अनेक बातों को इस आर्टिकल में शामिल किया हूं। चूंकि रूसी राष्ट्रपति द्वारा तीन दिन पहले दिनांक 15 फरवरी 2024 को मीडिया में जानकारी दीकि कैंसर वैक्सीन का काम अंतिम चरण में है शीघ्र ही मरीज को वैक्सीन उपलब्ध होगी। मेरा मानना है कि यह बहुत बड़ी उपलब्धि होगी इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे दुनियां में कि कई देश कैंसर वैक्सीन विकसित करने में जुटे हैं परंतु रूस वैक्सीन बनाने के बहुत करीब- के ऐलान से दुनियां चौकी, उम्मीद जगी है।
साथियों बात अगर हम रूस के राष्ट्रपति द्वारा दिनांक 15 फरवरी 2024 को दिए बयान की करें तो, उन्होने कहा है कि उनका देश जल्दी ही कैंसर की वैक्सीन तैयार करने जा रहा है। रूसी वैज्ञानिक महत्वपूर्ण प्रगति करते हुए कैंसर का टीका बनाने के करीब हैं और जल्द ही ये मरीजों के लिए उपलब्ध हो जाएगा। उन्होने हालांकि यह खुलासा नहीं किया कि प्रस्तावित टीके कब से मिलने लगेंगे और किस प्रकार के कैंसर को होने से रोकेंगे। टीका किस तरह से लोगों तक पहुंचाया जाएगा, इस पर भी उन्होंने स्थिति साफ नहीं की है। उनके टीवी पर प्रसारित बयान में उन्होंने कहा, हम कैंसर के टीके और नई पीढ़ी की इम्यूनोमॉड्यूलेटरी दवाओं के निर्माण के बहुत करीब आ गए हैं। मुझे उम्मीद है कि जल्द ही इन्हें व्यक्तिगत चिकित्सा के तरीकों के रूप में प्रभावी ढंग से उपयोग किया जाएगा। मास्को में भविष्य की तकनीकों पर आयोजित कार्यक्रम में ये कहीं बातें। उन्होने उम्मीद जताई कि जल्द ही उनका प्रभावी ढंग से चिकित्सा के रूप में उपयोग किया जाएगा। दरअसल उन्होंने मास्को में भविष्य की तकनीकों पर आयोजित कार्यक्रम में ये बातें कहीं। उन्होने यह नहीं बताया कि प्रस्तावित टीके किस प्रकार के कैंसर को लक्षित करेंगे और न ही उन्होंने बताया कि यह कैसे काम करेगा। कई देश और कंपनियां कैंसर के टीकों पर काम कर रही हैं। पिछले साल ब्रिटिश सरकार ने जर्मनी स्थित बायोएनटेक के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जो कैंसर उपचार प्रदान करने के लिए परीक्षण शुरू करेगा। जिसका लक्ष्य 2030 तक 10 हज़ार रोगियों तक पहुंचना है। फार्मास्युटिकल कंपनियां माडर्ना और मर्क एंड कंपनी एक प्रयोगात्मक कैंसर वैक्सीन विकसित कर रही हैं, जो एक मध्य चरण अध्ययन में तीन साल के उपचार के बाद मेलेनोमा (सबसे घातक त्वचा कैंसर) से मृत्यु की संभावना को आधा कर देती है। वर्तमान में 6 लाइसेंस प्राप्त टीके उपलब्ध।विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, वर्तमान में छह लाइसेंस प्राप्त टीके हैं जो कई तरह के कैंसरों का कारण बनने वाले मानव पेपिलोमाविरस (एचपीवी) के उपचार के लिए हैं, जिनमें सर्वाइकल कैंसर भी शामिल है। साथ ही हेपेटाइटिस बी (एचबीएस) के खिलाफ टीके भी हैं, जो लीवर कैंसर का कारण बनता है।
साथियों बात अगर हम कैंसर को जानने की करें तो, कैंसर शरीर में होने वाली एक असामान्य और खतरनाक स्थिति है। कैंसर तब होता है, जब शरीर में कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने और विभाजित होने लगती हैं। हमारा शरीर खरबों कोशिकाओं से बना है। स्वस्थ कोशिकाएं शरीर की आवश्यकताओं के अनुसार बढ़ती और विभाजित होती हैं। कोशिकाओं की उम्र जैसे-जैसे बढ़ती या क्षतिग्रस्त होती है, ये कोशिकाएं मर भी जाती हैं। इनकी जगह नई कोशिकाओं का निर्माण होता है। जब किसी को कैंसर होता है, तो कोशिकाएं इस तरह से अपना काम करना बंद कर देती हैं। पुरानी और क्षतिग्रस्त कोशिकाएं मरने की बजाय जीवित रह जाती हैं और जरूरत नहीं होने के बावजूद भी नई कोशिकाओं का निर्माण होने लगता है। ये ही अतिरिक्त कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से विभाजित होती हैं, जिसके परिणामस्वरूप ट्यूमर होता है। अधिकतर कैंसर ट्यूमर्स होते हैं, लेकिन ब्लड कैंसर में ट्यूमर नहीं होता है। हालांकि, हर ट्यूमर कैंसर नहीं होता है। कैंसर शरीर के किसी भी हिस्से में विकसित हो सकता है। आमतौर यह आसपास के ऊतकों में फैलता है। असामान्य और क्षतिग्रस्त कैंसर कोशिकाएं शरीर के दूसरे भागों में पहुंचकर नए घातक व मैलिग्नेंट ट्यूमर बनाने लगती हैं। ब्रेस्ट कैंसर, ओवेरियन कैंसर , स्किन कैंसर, लंग कैंसर, कोलोन कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर, लिंफोमा सहित सौ से अधिक प्रकार के कैंसर होते हैं। इन सभी कैंसर के लक्षण और जांच एक-दूसरे से भिन्न होते हैं। कैंसर का इलाज मुख्यरूप से कीमोथेरेपी, रेडिएशन और सर्जरी द्वारा की जाती है।
साथियों बात अगर हम कैंसर के कारणों की करें तो, कैंसर क्यों होता है, इसके पीछे कोई ज्ञात कारण नहीं है। हालांकि, कुछ कारक कैंसर होने की संभावना को बढ़ा सकते हैं। हमें इस घातक स्थिति से खुद को बचाने के लिए संभावित कार्सिनोजेनिक कारकों के संपर्क में आने से बचना होगा। हालांकि, अनुवांशिक कारणों से होने वाले कैंसर को रोकना हमारे बस में नहीं है, जो कैंसर होने का एक प्रमुख जोखिम कारक है। बावजूद इसके, जिनके परिवार में कैंसर होने का इतिहास है, उन्हें अतिरिक्त सावधानी बरतते हुए स्क्रीनिंग जरूर करवानी चाहिए। इससे कैंसर का पता जल्दी चलने से उपचार भी समय रहते शुरू किया जा सकता है। कुछ प्रमुख कारक, जो कैंसर होने की संभावनाओं को बढ़ा सकते हैं:- तंबाकू चबाना या सिगरेट पीना इन चीजों में मौजूद निकोटीन के सेवन से शरीर के किसी भी अंग में कैंसर हो सकता है। तंबाकू और धूम्रपान करने से आमतौर पर मुंह का कैंसर, फेफड़ों का कैंसर, एलिमेंटरी ट्रैक्ट और पैंक्रियाटिक कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। जीन : परिवार में यदि कैंसर होने की हिस्ट्री है, तो इस खतरनाक बीमारी के होने की संभावना काफी हद तक बढ़ जाती है। कैंसर एक दोषपूर्ण जीन के कारण भी हो सकता हैउदाहरण के लिए, स्तन कैंसर, वंशानुगत गैर पॉलीपोसिस कोलोरेक्टल कैंसर आदि वंशानुगत हो सकते हैं। पर्यावरण में कार्सिनोजेन्स का होना : हम जो कुछ भी खाते या पीते हैं, जिस हवा में हम सांस लेते हैं, उनमें कई ऐसे तत्व या पदार्थ मौजूद होते हैं, जो कैंसर होने की जोखिम को बढ़ाने की क्षमता रखते हैं। एज्बेस्टस , बेंजीन, आर्सेनिक, निकल जैसे कम्पाउंड फेफड़े के कैंसर के अलावा कई अन्य कैंसर होने के जोखिम को बढ़ाते हैं। फूड्स: आजकल अधिकतर फल और सब्जियां कीटनाशकों से दूषित होते हैं, जिनके सेवन से शरीर पर अवांछनीय प्रभाव पड़ता है। दोबारा गर्म किए गए भोजन, अधिक पके हुए फूड्स, दोबारा गर्म किए गए तेल कार्सिनोजेनिक हो जाते हैं। कल-कारखानों से निकलने वाले अपशिष्ट पदार्थों की वजह से प्रदूषित जल भी काफी नुकसानदायक होता है, क्योंकि इसमें भारी खनिजों की मात्रा अधिक होती है। वायरस : हेपेटाइटिस बी और सी वायरस लिवर कैंसर के लिए 50 प्रतिशत तक जिम्मेदार होते हैं, जबकि ह्यूमन पैपिलोमा वायरस 99.9 प्रतिशत मामलों में सर्वाइकल कैंसर होने के लिए जिम्मेदार होता है। साथ ही, रेडिएशन और सन एक्सपोजर भी कैंसर के जोखिम को काफी हद तक बढ़ाते हैं।
साथियों बात अगर हम कैंसर के स्टेज की करें तो अधिकांश कैंसर में ट्यूमर होता है और इन्हें पांच चरणों में विभाजित किया जा सकता है। कैंसर के ये सभी स्टेजेज दर्शाते हैं कि आपका कैंसर कितना गंभीर रूप ले चुका है।
स्टेज 0 : यह दर्शाता है कि आपको कैंसर नहीं है। हालांकि, शरीर में कुछ असामान्य कोशिकाएं मौजूद होती है, जो कैंसर में विकसित हो सकती हैं।
पहला चरण : इस स्टेज में ट्यूमर छोटा होता है और कैंसर कोशिकाएं केवल एक क्षेत्र में फैलती हैं।
दूसरा और तीसरा चरण : पहले और दूसरे स्टेज में ट्यूमर का आकार बड़ा हो जाता है और कैंसर कोशिकाएं पास स्थित अंगों और लिम्फ नोड्स में भी फैलने लगती हैं।
चौथा चरण : यह कैंसर का आखिरी और बेहद खतरनाक स्टेज होता है, जिसे मेटास्टेटिक कैंसर भी कहते हैं। इस स्टेज में कैंसर शरीर के दूसरे अंगों में फैलना शुरू कर देता है।
साथियों बात अगर हम कैंसर के निदान, उपचार की करें तो, शारीरिक लक्षणों और संकेतों को देखते हुए डॉक्टर कैंसर का पता लगाने की कोशिश करते हैं। आपकी मेडिकल हिस्ट्री को देखने के बाद शारीरिक परीक्षण की जाती है। टेस्ट के लिए मूत्र, रक्त या मल का सैंपल लिया जाता है। कैंसर की आशंका होने पर एक्स-रे, कंप्यूटेड टोमोग्रैफी, एमआरआई, अल्ट्रासाउंड और फाइबर-ऑप्टिकएंडोस्कोपी परीक्षणों से आपको गुजरना पड़ सकता है। इन सभी टूल्स के जरिए डॉक्टर आसानी से ट्यूमर के स्थान और आकार के बारे में जान पाते हैं। किसी को कैंसर है या नहीं इसका पता बायोप्सी के जरिए आसानी से चल जाता है। बायोप्सी में जांच के लिए ऊतक के नमूने लिए जाते हैं। यदि बायोप्सी के परिणाम सकारात्मक आते हैं, तो कैंसर के प्रसार का पता लगाने के लिए आगे कई अन्य टेस्ट भी किए जाते हैं।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि कैंसर को मात देने वैक्सीन जल्द आने की संभावना? दुनियां में विज्ञान पर सबसे बड़ी चुनौती, लाइलाज कैंसर को मात मिलेगी, वैक्सीन का काम अंतिम चरण में आया। दुनियां के कई देश कैंसर वैक्सीन विकसित करने में जुटे, परंतु रूस वैक्सीन बनाने में बहुत करीब- के ऐलान से दुनियां चौकी, उम्मीदें जगी है।