भारत कौशलता, कुशल बौद्धिक क्षमता का धनी

भारत का दुनियां में कौशलता दम दिखा ख़ास – किसी पीएम ने चरण छुए तो किसी पीएम ने कहा बॉस

भारतीय जनसंख्यकिय तंत्र को कौशलता संसाधनों के हब में परिवर्तित करने वैश्विक मंच, प्लेटफार्म प्रदान करनें की रणनीति सराहनीय – एडवोकेट किशन भावनानी

किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर पीएम के 6 दिवसीय 3 देशों के दौरे पर पूरी दुनिया की नजरें टिकी रही। जिसमें भारतीय कौशलता, नेतृत्व, बौद्धिक क्षमता, सभ्यता, संस्कृति सभी अभूतपूर्व योग्यताओं का एक खास दम दिखा। हर भारतीय का सीना गर्व से फूल उठा और महसूस हो रहा है भारत का दुनियां में कौशलता दम दिखा ख़ास, किसी पीएम ने चरण छुए तो किसी ने कहा बॉस। चूंकि अभी भारतीय जनसंख्या विश्व में 140 करोड़ पार कर नंबर वन पर आ चुकी है कि उसी तरह दिनांक 24 मई 2023 को आई मूडीज रिपोर्ट ने कहा कि भारत की जीडीपी 2022 में 3.5 ट्रिलियन डॉलर को पार कर गई है और अगले कुछ वर्षों में सबसे तेजी से बढ़ने वाली जी-20 अर्थव्यवस्था होगी। इसीलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, भारत कौशलता, कुशल बौद्धिक क्षमता का धनी है जिसमें सोने पर सुहागा आम जनता की सहभागिता होगा।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

साथियों बात अगर हम भारतीय खासियत की करें तो, भारत की सभ्यता, संस्कृति, इतिहास कई हजारों वर्ष पुराना माना जाता है। जिसमें विभिन्न सभ्यताएं, साहित्य भाषाई मिठास, उच्च बौद्धिक क्षमता, हस्तशिल्प, मानवीय कलाएं हजारों वर्ष पूर्व से ही रही है, यह हमें इतिहास खंगालने से पता चलता है। इसलिए यह मानने में कोई दो राय नहीं है कि भारतीय मिट्टी में ही कला रूपी अस्त्र निहित है। जहां जन्म लेने वाले प्रत्येक मानव में यह कला अपने आप समाहित हो जाती है बस, जरूरत है मानव में समाहित इस अंतर्निहित प्रतिभा को पहचान कर उसे प्रकट करनें और उसका क्रियान्वयन कर उसका उपयोग अपने दैनिक जीवन से लेकर, उसका लाभ मानवीय जीवन और अर्थतंत्र में मजबूती करने की।

साथियों बात अगर हम वर्तमान परिस्थितियों, आत्मनिर्भर भारत के संकल्प, विजन 2047, विजन 5 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था की करें तो अब यह ज़रूरी हो गया है कि भारत माता की मिट्टी में पैतृक रूप से गॉड गिफ्टेड इस अंतर्निहित प्रतिभा को हम पहचान कर उसे बाहर प्रकट कर उसका उपयोग करें। जिसके लिए हमें एक ऊर्जावान अस्त्र की ज़रूरत है। वह है, कौशलता विकास अस्त्र।

साथियों बात अगर हम आज हमारी 140 करोड़ पार जनसंख्या की करें तो आज ज़रूरत है हमें इस जनसंख्यकीय पक्ष को सकारात्मकता में लेने की और कौशलता विकास का उपयोग कर हर व्यक्ति में अंतर्निहित प्रतिभा को तराश कर उसे कार्यबल के रूप में परिणित करना होगा, तो हम फिर भारत को सोने की चिड़िया बना सकते हैं। हम देखते हैं कि उत्तर भारत, दक्षिण भारत, मध्य भारत इत्यादि अनेक क्षेत्रों में विभिन्न कौशलता के धनी नागरिकों में कुशल बौद्धिक क्षमता कूट-कूट कर भरी है वहां की विभिन्न वस्तुएं विश्व प्रसिद्ध हैं जिसे कौशलता विकास अस्त्र से निखार कर उसे एक वैश्विक मंच या प्लेटफार्म प्रदान कर तेज़ी के साथ विकास किया जा रहा है।

साथियों बात अगर हम वर्तमान परिपेक्ष की करें तो सरकारों द्वारा इस लक्ष्य पर काम करना शुरू हो गया है, अलग से कौशलता विकास मंत्रालय, राष्ट्रीय सुशासन केंद्र, कई रणनीतिक साझेदारीयां, प्रोग्राम, आजादी का 75 वां अमृत महोत्सव इत्यादि जो इसके सशक्त उदाहरण है, मार्ग से तीव्र गति से हर वर्गीय मनीषियों के लिए एक रणनीति के तहत उसकी अंतर्निहित प्रतिभा को पहचान कर उसे उसकी कौशलता का विभिन्न साधनों से विकास करने का कार्य किया जा रहा है।
साथियों बात अगर हम जनसंख्यकीय तंत्र के परिपेक्ष में करें तो भारतीय जनसंख्या वैश्विक स्तर पर आज प्रथम प्रथम स्थान पर पहुंच गई है।

अब दूसरे स्थान पर विस्तारवादी देश की जनसंख्या है परंतु उस देश ने कुछ वर्ष पूर्व सिर्फ़ एक बच्चा पैदा करने का कानून पारित किया था, जिसके कारण कुछ वर्षों में उसकी जनसंख्या में भारी गिरावट हुई, फिर इसे रेखांकित करते हुए दो बच्चे पैदा करने का कानून पास किया गया, जो अब तीन बच्चों तक कर दिया गया है फ़िर भी उस अनुपात में उसकी जनसंख्या नहीं बढ़ रही है। जिसके लिए अब ज़रूरी हो गया है कि हम अपने जनसंख्यकीय अंश और देश के युवाओं में अंतर्निहित प्रतिभा को प्रकट करने, कौशलता विकास रूपी ऊर्जावान अस्त्र का उपयोग तेज़ी से करें।

साथिया बात अगर हम कौशलता विकास, इस अस्त्र के उपयोग की करें तो इसमें सबसे अधिक ज़वाबदारी, दिल से साथ, सकारात्मक सहयोग, हर उम्र के स्टेज, खासकर युवाओं को देना होगा, क्योंकि सरकार कितने भी जन जागरण अभियान चलाएं परंतु जब तक जिसमें प्रतिभा है वह कौशलता विकास रूपी अस्त्र से उसे बाहर नहीं निकालेगा, ट्रेनिंग नहीं लेगा, तब तक पूरी रणनीति अधूरी रह जाएगी।

साथियों बात अगर हम ग्रामीण क्षेत्र की करें तो सबसे अधिक ज़रूरत इस अंतर्निहित प्रतिभा को प्रकट करने की इस क्षेत्र के युवाओं की है क्योंकि सर्वविदित है कि हमारे ग्रामीण क्षेत्र के भाई निष्ठावान, ईमानदारी से कार्य करना, सीखने में कुशल व योग्य हैं। मेरा मानना है आज वह कोयले की खदान में पड़े हीरे हैं, जिन्हें कौशता विकास रूपी अस्त्र से तराश कर अनमोल कार्यबल रूपी हीरा तैयार किया जा सकता है। जिसके कौशलता की कीमत भी अनमोल होगी, जो हमारे विज़न आत्मनिर्भर भारत, विज़न 2047, विज़न 5 ट्रिलियन डॉलर की भारतीय अर्थव्यवस्था को पूरा करने में अहम भूमिका अदा करने में सक्षम होंगे।

साथियों बात अगर हम इस रणनीतिक रोडमैप में महिलाओं की करें तो दिनांक 23 मई 2023 को यूपीएससी के सिविलसर्विसेज रिजल्ट में यदि पिछले 10 वर्षों में देखें तो लड़कियों की संख्या लगातार सबसे बड़ी परीक्षा में बढ़ती जा रही है। इस वर्ष भी टॉप 10 में 6 लड़कियों ने अपनी जगह पक्की की है, जो ये दर्शाता है कि सिविल सेवा जैसी परीक्षाओं में लड़कियों की न केवल रूचि बढ़ रही है, बल्कि तेजी से सफलता भी प्राप्त कर रही हैं। महिलाओं को कौशलता विकास अस्त्र से उनकी अंतर्निहित प्रतिभा को प्रकट करनें से महिला सशक्तिकरण को ज़बरदस्त प्रतिसाद मिलेगा, महिलाएं अपने बल पर बड़े से बड़ा काम कर सकती है। वैसे भी भारतीय नारी की प्रतिभा, बौद्धिक कौशलता जग प्रसिद्ध है जिनकी कौशलता प्रसिद्धि हमने वैश्विकस्तर पर देखी है, आखिर हैं तो वे मूल भारतीय ही।

साथियों बात अगर हम आने वाले समय में कौशलता के महत्व की करें तो, वैश्विक कामकाजी आबादी का 25 प्रतिशत हिस्सा भारत से आएगा, ऐसे में हमें अपनी युवा जनसांख्यिकी को स्किल, री-स्किल और अप-स्किल किया जाना आवश्यक है। किसी भी देश के लिए बढ़ती जनसंख्या या तो बोझ हो सकती है या फिर संपति। ये दोनों ही बातें अपने आप में कई मायनों में महत्वपूर्ण हैं। चूंकि बढ़ती जनसंख्या का दबाव वहां के संसाधनों के दोहन की गति को तेज कर देती है, चूंकि आबादी के अनुरूप संसाधन हमेशा से सिमित रहे हैं, इसके लिए फिर हमें आबादी के बड़े हिस्से को संसाधनों का सही इस्तेमाल करने के लिए उसे न सिर्फ उसे शिक्षित करना होता है, बल्कि उसे खुद में एक संसाधन के रूप में भी तैयार करना होता है, इससे न सिर्फ हम सिमित संसाधन का सही इस्तेमाल कर पाएंगे बल्कि हम उसका विकल्प भी ढूंढ पाने में सफल हो सकते हैं।

ये बात इसलिए कही जा रही है चूंकि भारत यानी हम अब दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश बन गए हैं। भारत की बढ़ती आबादी पर भी ये बातें लागू होती है। चूंकि हम अपने आप को वर्ष 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने का सपना लेकर आगे बढ़ रहे हैं। पीएम नें विजन@2047 का विजन दिया है। इसमें भारत को हर क्षेत्र में आगे बढ़ने और एक वैश्विक आर्थिक शक्ति बनने के लिए दृष्टिकोण को स्पष्ट किया गया है। हाल ही में यूनाइटेड नेशन द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक हमने जनसंख्या के मामले में चीन को पीछे छोड़ दिया है। इसमें बड़े पैमाने पर युवा शक्ति का एक बड़ा वर्ग है। जिसे स्कील किया जाना आवश्यक है।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भारत कौशलता, कुशल बौद्धिक क्षमता का धनी।भारत का दुनियां में कौशलता दम दिखा ख़ास – किसी पीएम ने चरण छुए तो किसी पीएम ने कहा बॉस। भारतीय जनसंख्यकिय तंत्र को कौशलता संसाधनों के हब में परिवर्तित करने वैश्विक मंच, प्लेटफार्म प्रदान करनें की रणनीति सराहनीय है।

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