भारत अमेरिका की यारी, दुनियां हमारी – इसरो प्लस नासा इक्वल टू आकाश हमारा

भारत अमेरिका का अगला मुकाम अब अंतरिक्ष बनेगा
भारत अमेरिका द्विपक्षीय सहयोग में धरती ही नहीं आकाश में भी असीम संभावनाएं – एडवोकेट किशन भावनानी गोंदिया

किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर जिस प्रकार प्रौद्योगिकी, स्पेस इलेक्ट्रॉनिक्स और फार्मेसी सहित अनेक क्षेत्रों में भारत की अपार सफलताओं के शंखानंद गूंज रहे हैं और विशेष रूप से अभी चंद्रयान-3, आदित्य-एल1 की अपार सफलताओं के बाद विश्व की महाशक्ति अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा का ध्यान भी भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो ने खींचा है इससे यही महसूस हो रहा है कि इसरो प्लस नासा इक्वल टू आकाश हमारा है। हालांकि इसरो और नासा के आपस में सकारात्मक तालमेल व सहयोग का ही नतीजा है जिसका फायदा हमने चंद्रयान-3 में भी पाया है। उसे देखते हुएअंतरिक्ष क्षेत्र में भी अमेरिका और भारत का सहयोग बढ़ना स्वाभाविक है। यह विचार अमेरिका में भारतीय राजदूत ने भी अपने एक आर्टिकल के द्वारा व्यक्त किए हैं और यह स्वाभाविक भी है। अगर हम किसी क्षेत्र में अपार उपलब्धियां प्राप्त करते हैं तो उस क्षेत्र के किंग की नजरे उस ओर जरूर जाएगी और वह उन सफलताओं में अपनी गुंजाइश को देखते हुए कुछ आदान-प्रदान पर सहमति होने की कोशिश करेगा तो दोनों पक्षों की तकनीक को मिलाकर इतिहास रचने में कामयाबी हासिल होगी। बस !! यही सोच अब इसरो और नासा को मिलकर करनी होगी तो शीघ्र ही आकाश हमारा होगा। बता दें कि हाल ही में भारतीय पीएम के अमेरिका अधिकृत दौरे पर अनेक समझौते हुए थे जिनका क्रियान्वयन शुरू हो चुका है। इनमें सबसे महत्वपूर्ण समझौते, सेमीकंडक्टर प्रक्रिया में शुरू हो गया है। अब स्पेस क्षेत्र की बारी है। चूंकि भारत की संयुक्त राष्ट्र महासभा से लेकर करीब करीब हर अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक रुतबे के साथ तारीफ़ हो रही है और पूरी दुनियां की नजरे भारत अमेरिका रणनीतिक समझौते के सबसे महत्वपूर्ण इसरो और नासा की ओर देख रहे हैं। इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे। भारत अमेरिका द्विपक्षीय सहयोग में धरती ही नहीं आकाश से भी असीम संभावनाएं हैं।

kishan 1
एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

साथियों बात अगर हम अमेरिका में भारतीय राजदूत के मीडिया में 15 सितंबर 2023 को प्रकाशित एक लेख की करें तो उन्होंने लिखा, भारत और अमेरिका के द्विपक्षीय सहयोग के लिए धरती ही नहीं अंतरिक्ष में भी असीम संभावनाएं हैं। दोनों देशों के सहयोग का अगला मुकाम अब अंतरिक्ष बनेगा। यह बात अमेरिका में भारत के राजदूत ने कही है। भारतीय राजदूत ने कहा कि विश्व के दो सबसे बड़े लोकतांत्रिक देशों के लिए अंतरिक्ष में सहयोग बढ़ाना और नई संभावनाओं पर कार्य करना बिल्कुल स्वाभाविक है। भारतीय राजदूत ने भारत अमेरिका सहयोग का अगला मुकाम अंतरिक्ष, शीर्षक वाले लेख में लिखा कि पीएम ने भारत के चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के बाद कहा है कि यह केवल भारत का नहीं बल्कि पूरी मानवता का है। सहायता करने की यह भावना ही भारत और अमेरिका के संबंधों को मजबूत करती है। इसीलिए दोनों देशों के नेता इस दोस्ती को विश्व के लिए अच्छा कहा उन्होंने कहा कि इस दोस्ती का विस्तार सेमीकंडक्टर से लेकर रक्षा सहयोग और साफ सुथरी ऊर्जा से लेकर जटिल तकनीक तक है।

इन सभी का उद्देश्य मानवता की सेवा है। यह पूरी तरह से स्वाभाविक और इसे हमें निरंतर मजबूत करना है। भारत और अमेरिका साथ हों तो आकाश में भी कोई सीमा नहीं होगी। उन्होंने कहा कि भारत वन क्षेत्र में लगने वाली आग, सौर ऊर्जा का आकलन और मौसम संबंधी आंकड़ों की सूचनाएं देकर कई देशों का सहयोग कर रहा है जबकि, अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा अपने अर्थ ऑब्जर्वेशन के आंकड़ों और अन्य नए कार्यों से विश्व के कई भागों को लाभान्वित कर रही है। दोनों देश मिलकर विश्व को लाभ पहुंचाने वाले कई अन्य कार्य भी कर सकते हैं। आगे कहा कि भारत और अमेरिका मिलकर अंतरिक्ष संबंधी फायदे अर्जित कर सकते हैं और उन्हें विश्व के अन्य देशों तक पहुंचा सकते हैं। इस समय भी भारत कई देशों को कई फायदे पहुंचा रहा है। उन्होंने कहा कि विश्व के दो सबसे बड़े लोकतांत्रिक देशों के लिए अंतरिक्ष में सहयोग बढ़ाना और नई संभावनाओं पर कार्य करना बिल्कुल स्वाभाविक है।

साथियों बात अगर हम अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा भारत अमेरिका के बढ़ते सहयोग पर प्रसन्नता व्यक्त करने की करें तो, जो बाइडन ने भारत और अमेरिका के बढ़ते सहयोग पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए उसे महात्मा गांधी के परस्पर विश्वास के सिद्धांत पर आधारित बताया। उन्होंने इस विश्वास को कायम करने के लिए भारतीय पीएम को धन्यवाद दिया। बाइडन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (ट्विटर) के जरिये यह बात नई दिल्ली से वियतनाम की राजधानी हनोई के लिए रवाना होते हुए कही है। इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ने जी-20 देशों के अन्य साथी नेताओं के साथ राजघाट पहुंचकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की।

बाइडन ने उस समय का एक फोटो भी इंटरनेट मीडिया साइट पर पोस्ट किया है। बाइडन ने जी-20 की अध्यक्षता के भारत के एक वर्ष के कार्यकाल पर सफलता की मुहर लगाते हुए, राष्ट्रपति जो बाइडन ने इसे समाधान वाला वर्ष बताया। उन्होंने कहा, इस वर्ष ने साबित किया कि बड़े मसलों का किस तरह बातचीत से समाधान निकाला जा सकता है। बड़ी अर्थव्यवस्थाओं वाले देश मिलकर किसी भी समस्या का समाधान निकाल सकते हैं। बाइडन ने कहा कि ऐसे समय में जबकि वैश्विक अर्थव्यवस्था पर्यावरण से जुड़ी समस्याएं, यूक्रेन युद्ध के दुष्प्रभावों और आपूर्ति व्यवस्था में पैदा हुई बाधाओं को झेल रही है, तब जी 20 ने हमें समाधान की राह दिखाई है। हम मिलजुलकर समस्याओं के दुष्प्रभावों से बाहर आ सकते हैं।

साथियों बात अगर हम अमेरिकी विदेश मंत्री द्वारा 14 सितंबर 2023 के बयान कि भारत अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी कभी इतनी गतिशील नहीं रही जितनी आज है की करें तो, भारत द्वारा हाल ही में जी-20 शिखर सम्मेलन की सफल मेजबानी के कुछ दिनों बाद ही अमेरिकी विदेश मंत्री ने तारीफ की है। उन्होंने उम्मीद जताते हुए कहा कि भारत और अमेरिका के आपसी सहयोगों से दोनों देशों को लाभ होगा। उन्होंने दोनों देशों के संबंधों की सराहना करते हुए कहा कि अमेरिका-भारत की रणनीतिक साझेदारी कभी भी इतनी अधिक गतिशील नहीं रही है। उन्होंने उम्मीद जताते हुए कहा कि भारत और अमेरिका के आपसी सहयोगों से दोनों देशों को लाभ होगा। अमेरिकी विदेश मंत्री ने भारत और अमेरिका के बीच सहयोगों की तारीफ की है। विदेश मंत्री ने नए युग में अमेरिकी कूटनीति की शक्ति और उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा अमेरिका भारत की रणनीतिक साझेदारी कभी भी इतनी अधिक गतिशील नहीं रही है। हम एडवांस सेमीकंडक्टर से लेकर रक्षा सहयोग तक हर चीज साथ काम करते हैं। अमेरिकी विदेश मंत्री ने क्वाड की तारीफ में कहा कि बाइडनप्रशासन ने भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के सहयोग से क्वाड साझेदारी को मजबूत किया है। उन्होंने कहा कि इसे बढ़ाने के पीछे की वजह है कि हम सब साथ मिलकर दुनिया में आने वाले चुनौतियों से लड़ सके। उन्होंने कहा कि समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने और जलवायु चुनौतियों से निपटने तक हर चीज पर काम किया जाएगा। आगे कहा कि पिछले हफ्ते जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान राष्ट्रपति बाइडन और भारतीय पीएम ने एक महत्वपूर्ण और महत्वाकांक्षी परिवहन, ऊर्जा और प्रौद्योगिकी कॉरिडोर की घोषणा की है। ये कॉरिडोर एशिया, मिडिल ईस्ट और यूरोप को एक साथ जोड़ेगा उन्होंने कहा कि हम (अमेरिका) भारत, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात फ्रांस जर्मनी इटली और यूरोपीय संघ के साथ मिलकर स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन और डिजिटल कनेक्टिविटी को बढ़ावा देंगे। साथ ही इसके तहत पूरे क्षेत्र में महत्वपूर्ण आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूती प्रदान करेंगे।

साथियों बात अगर हम संयुक्त राष्ट्र महासभा यूएनसी के अध्यक्ष द्वारा 13 सितंबर 2023 को जी20 दिल्ली घोषणा पत्र में भारतीय नेतृत्व की तारीफ की करें तो, संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष ने कहा है कि नई दिल्ली शिखर सम्मेलन में संयुक्त बयान जारी होना पीएम और उनकी टीम के कूटनीतिक कौशल और निपुणता का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि सबसे पहले मैं जी-20 शिखर सम्मेलन के शानदार नतीजे के लिए भारत सरकार और लोगों को बधाई देता हूं। उन्होंने कहा कि आज हमें चुनौतियों के प्रति एक समाधानकारी दृष्टिकोण की जरूरत है। जी-20 की अध्यक्षता को लेकर भारत की विश्वभर में सराहना हो रही है। अब संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष ने कहा है कि नई दिल्ली शिखर सम्मेलन में संयुक्त बयान जारी होना पीएम और उनकी टीम के कूटनीतिक कौशल और निपुणता का प्रमाण है। 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र के अध्यक्ष के रूप में इसी माह जिम्मेदारी संभालने वाले अध्यक्ष ने कह कि वे नई दिल्ली घोषणापत्र जारी कराने में जी-20 समूह को एकजुट रखने में सक्षम रहे।उन्होंने कहा कि आज हमें एकजुट होने, सहयोग करने और चुनौतियों के प्रति एक समाधानकारी दृष्टिकोण की जरूरत है। ये सभी चीजें नई दिल्ली घोषणापत्र में हैं।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भारत अमेरिका की यारी दुनियां हमारी इसरो प्लस नासा इक्वल टू आकाश हमारा। भारत अमेरिका का अगला मुकाम अब अंतरिक्ष बनेगा।भारत अमेरिका द्विपक्षीय सहयोग में धरती ही नहीं आकाश में भी असीम संभावनाएं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

18 + 8 =