भारत को चीन से चुनौतियों में साथ की त्रिपक्षीय शिखर सम्मेलन में मोहर
त्रिपक्षीय शिखर सम्मेलन का आगाज – चीन मुद्दे पर भारत के समर्थन में संयुक्त बयान मील का पत्थर साबित होगा – एडवोकेट किशन भावनानी
किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर आज जिस तरह भारत की उपलब्धियों को सारी दुनियां पहचान रही है। वह हर भारतीय के लिए गर्व वाली बात है। इस पर भी सोने पर सुहागा यह है कि अमेरिका जैसा पूर्ण विकसित पूरे विश्व पर राज करने वाला देश प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से भारत के साथ खड़ा है। इससे 1975 के दशक में रिलीज हुई हिंदी फीचर फिल्म शोले का यह गीत – ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे, तोड़ेंगे दम मगर तेरा साथ नां छोड़ेंगे, ऐ मेरी जीत तेरी जीत तेरी हार मेरी हार, सुन ऐ मेरे यार, तेरा गम मेरा गम, मेरी जान तेरी जान, ऐसा अपना प्यार। हकीकत में तब्दील होते महसूस किया जा रहा है, जिसका मुख्य कारण अमेरिका का चीन और पाकिस्तान मामले में भारत के प्रति सकारात्मक रुख अपनाना है और भारत के समर्थन में बात करना है। पड़ोसी देश से तो अमेरिका ने कन्नी काट चुका है, अब चीन के प्रति भी उसी के घर में, के विरोधियों की एकजुटता कर अपने में मिलाने के लिए सफलता मिलती नजर आ रही है जिसका सटीक उदाहरण शुक्रवार दिनांक 18 अगस्त 2023 को अमेरिका में देखें जिसमें अमेरिका के साथ जापान दक्षिण कोरिया का त्रिपक्षीय शिखर सम्मेलन का सफल आगाज हुआ जो चीन विरोधी नीति पर नकेल कसना माना जा सकता है।
वैसे तो यह तीनों देश अनेक वैश्विक मंचों पर शिद्दत से मिल रहे थे परंतु यह प्रथम शिखर सम्मेलन घनिष्ठता की ओर एक बड़ा कदम है, जिससे चीन को टेंशन में आना लाजमी है। वैसे भी ताइवान और रूस यूक्रेन युद्ध में चीन को अमेरिका से टेंशन ही है। इस त्रिपक्षीय शिखर सम्मेलन के बाद द स्पिरिट ऑफ कैंप डेविड शीर्षक से एक संयुक्त बयान जारी कर साझा महत्वाकांक्षा को पूरे डोमेन और इंडो पेसिफिक और उससे आगे एक नई दिशा तक बढ़ाने की प्रतिबद्धता व्यक्त की है। इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, भारत अमेरिका की मंजिल एक, हिंद प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा में अमेरिका जापान व दक्षिण कोरिया का प्रथम शिखर सम्मेलन का सफ़ल आगाज।
साथियों बात अगर हम अमेरिका जापान दक्षिण कोरिया के प्रथम त्रिपक्षीय शिखर सम्मेलन के बाद संयुक्त साझा बयान की करें तो, शुक्रवार को अमेरिका, जापान और दक्षिण कोरिया ने एक संयुक्त बयान में चीन के खतरनाक और आक्रामक व्यवहार की निंदा की और भारत-प्रशांत में यथास्थिति को बदलने के किसी भी प्रयास के खिलाफ कड़ा विरोध व्यक्त किया। अमेरिका में आयोजित तीन देशों के बीच पहले त्रिपक्षीय शिखर सम्मेलन के बाद, उनके सामूहिक गठबंधन के लिए समर्थन व्यक्त करते हुए द स्पिरिट ऑफ कैंप डेविड शीर्षक से एक संयुक्त बयान जारी किया गया था। तीनों देशों ने त्रिपक्षीय रूप से सहयोग का विस्तार करने और साझा महत्वाकांक्षा को पूरे डोमेन और इंडो-पैसिफिक और उससे आगे एक नए क्षितिज तक बढ़ाने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।
इसके अतिरिक्त अमेरिका, जापान और दक्षिण कोरिया की संयुक्त घोषणा में दक्षिण चीन सागर में गैरकानूनी समुद्री दावों के समर्थन में चीनी कार्रवाइयों पर साझा चिंता व्यक्त की गई। साथ ही भारत में मौजूदा स्थिति को बदलने के उद्देश्य से बीजिंग द्वारा किसी भी एकतरफा कार्रवाई का कड़ा विरोध किया गया। -प्रशांत जल, संयुक्त बयान में तीनों देशों ने दक्षिण चीन सागर में बढ़ रहे गैरकानूनी चीनी कार्रवाई पर साझा चिंता व्यक्त की। इसके साथ ही उन्होंने भारत को लेकर भी बात की। उन्होंने कहा कि हम भारत पर चीन के एकतरफा कार्रवाई का कड़ा विरोध करेंगे। हम अंतरराष्ट्रीय कानून के प्रति प्रतिबद्ध हैं। संयुक्त बयान में तीनों देशों ने कहा कि आर्थिक भागीदारी और समावेशी अर्थव्यवस्थाओं का निर्माण करना चाहते हैं, जिसमें महिलाओं के साथ-साथ हाशिये पर रहने वाले सभी लोग सफल हो सकें।
हम अपने देश के युवाओं और छात्रों के साथ संबंधों को मजबूत करेंगे। त्रिपक्षीय शिखर सम्मेलन हमारे नए संबंधों को दर्शाता है। हमारे त्रिपक्षीय संबंधों में एक नया अध्याय शुरू हुआ है। हम तीनों ही देश हमारे समय की सभी बड़ी चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हैं। हम निडर हैं। हमें विश्वास है कि जापान, दक्षिण कोरिया और अमेरिका हम बड़ी चुनौती का सामना करने में सक्षम है। उन्होंने कहा कि हमारे लिए सभी लोगों, क्षेत्र और दुनिया की सुरक्षा और समृद्धि मायने रखती है। संयुक्त बयान में उन्होंने कहा कि हम अपनी अर्थव्यवस्थाओं को मजबूत, लचीला और समृद्ध करने के लिए प्रयास करेंगे। स्वतंत्र और खुली अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्थाओं का समर्थन करेंगे। हमारे लिए क्षेत्रीय और वैश्विक शांति सर्वोपरी है। हम लोकतंत्र और मानवाधिकारों की रक्षा को मजबूत करके अपने त्रिपक्षीय सुरक्षा सहयोग को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे।
साथियों बात अगर हम इस प्रथम त्रिपक्षीय शिखर सम्मेलन से चीन में टेंशन की करें तो, अमेरिका, दक्षिण कोरिया और जापान तीनों देशों ने कहा है कि वो चीन के विस्तारवादी रवैये को चुनौती देंगे। हर साल त्रिपक्षीय सैन्य अभ्यास किया जाएगा। बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस पर काम होगा और हिंद-प्रशांत को लेकर एक दूसरे से लगातार जानकारियां साझी की जाएंगी।
चीन के लिए सबसे बड़ी चिंता अब ये हो गई है कि उसकी हर हरकत पर ना सिर्फ नजर रखी जाएगी, बल्कि जवाबी कार्रवाई की जाएगी. इसके अलावा मिसाइल डिफेंस सिस्टम को लेकर भी चीन परेशान है। वैसे तो तीनों देश अलग अलग मंचों पर मिलते रहते हैं, लेकिन इस बार तीनों देशों की मुलाकात एक त्रिपक्षीय शिखर सम्मेलन के तौर पर हुई। दरअसल, बैठक में चीन से निपटने पर बात हुई है। इस मुलाकात को काफी महत्वपूर्ण करार दिया गया है। इसकी प्रमुख वजह ये है कि जापान और दक्षिण कोरिया के रिश्ते तनावपूर्ण रहे हैं, इसमें दोनों का इतिहास भी शामिल है। एक वक्त कोरियाई प्रायद्वीप पर जापान का कब्जा था। इस दौरान कोरियाई लोगों को तरह-तरह की यातनाएं दी गईं, फिर जब दक्षिण कोरिया एक आजाद मुल्क बना, तो भी जापान के साथ उसके रिश्ते तल्ख रहे हैं। लेकिन चीन के मुद्दे पर दोनों देश साथ ही रहे हैं।
जापान और चीन के बीच दक्षिण चीन सागर में कई द्वीपों को लेकर विवाद है। चीन की नौसेना की सैन्य गतिविधियों से जापान हमेशा ही परेशान रहा है। ऊपर से चीन की तरफ से उत्तर कोरिया को मिसाइल तैयार करने के लिए मदद भी मिलती है। इन मिसाइलों को जापान की ओर ही आए दिन दागा जाता रहा है। दक्षिण कोरिया भी कहीं न कहीं चीन की इन्हीं हरकतों से परेशान है। चीन ने कई बार दक्षिण कोरिया को डराने का काम भी किया है। कुल मिलाकर दोनों देशों के रिश्ते चीन के साथ बिल्कुल भी अच्छे नहीं हैं। 2017 में अमेरिका और दक्षिण कोरिया ने टर्मिनल हाई एल्टिट्यूड एरिया डिफेंस (टीएचएएडी) मिसाइल डिफेंस सिस्टम को तैयार करने का प्लान किया था, मगर चीन ने नाराज होकर दक्षिण कोरिया पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए। चीन ने दक्षिण कोरिया में ग्रुप टूर पर प्रतिबंध लगा दिया और चीन में के-पॉप म्यूजिक कॉन्सर्ट और के-ड्रामा की ब्रॉडकास्टिंग पर रोक लगा दी। इससे दक्षिण कोरिया को 24 अरब डॉलर का नुकसान हुआ था। हालांकि, अब फिर से दक्षिण कोरिया मिसाइल डिफेंस सिस्टम लगाने वाला है।
साथियों बात अगर हम इस प्रथम त्रिपक्षीय शिखर सम्मेलन से अमेरिका की रणनीति की करें तो, गौरतलब है कि अमेरिका लंबे समय से इस प्रयास में है कि दक्षिण कोरिया और जापान की कोशिशों को एक सतत साझेदारी का रूप दिया जाए। अब जबकि दोनों देशों के नेताओं ने मार्च में बिगड़े संबंधों को सुधार लिया है। अमेरिका की कोशिशों नें साकार रूप ले लिया है। बीते अक्टूबर, फरवरी, अप्रैल और जुलाई में उत्तर कोरिया के मिसाइल प्रक्षेपण के जवाब में अमेरिका, दक्षिण कोरिया और जापान ने संयुक्त बैलिस्टिक मिसाइल अभ्यास किया था। इन युद्धाभ्यासों को उत्तर कोरिया के खिलाफ तीनों देशों के सहयोग में और गहराई के रूप में देखा जा रहा है। अब, सियोल और टोक्यो से उम्मीद की जाती है कि वे अपने दो निरंकुश पड़ोसियों से खतरों के खिलाफ अपने प्रयासों को मजबूत करेंगे। इससे पहले, यून ने मंगलवार को अपने राष्ट्रीय मुक्ति दिवस भाषण में इस बात पर जोर दिया कि उत्तर कोरियाई हमले से बचाव में जापान की भूमिका महत्वपूर्ण है। बता दें कि अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता वेदांत पटेल ने मंगलवार को एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा था कि इस शिखर सम्मेलन का उद्देश्य चीन के साथ भड़काऊ या तनाव भड़काना नहीं है। बावजूद इसके बीजिंग इसे शत्रुतापूर्ण मानता है। चीनी दूतावास के प्रवक्ता ने कहा है कि चीन इस तरह की प्रथाओं का दृढ़ता से विरोध करता है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भारत अमेरिका की मंजिल एक – हिन्द प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा में त्रिपक्षीय शिखर सम्मेलन का सफ़ल आगाज। भारत को चीन से चुनौतियों में साथ की त्रिपक्षीय शिखर सम्मेलन में मोहर त्रिपक्षीय शिखर सम्मेलन का आगाज – चीन मुद्दे पर भारत के समर्थन में संयुक्त बयान मील का पत्थर साबित होगा।