डॉ.विक्रम चौरसिया, नई दिल्ली । आज ही से खूब पेड़ लगाओ, शुद्ध हवा पाओ, इस धरती को स्वर्ग बनाओ, अभी से हमें हर उस काम के खिलाफ आवाज उठानी ही चाहिए जो पृथ्वी को नुकसान पहुंचाता है। देखे तो विषाक्त वातावरण, वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग, वनों का उन्मूलन, बढ़ती वैश्विक महामारी व अन्य बहुत से पर्यावरणीय मुद्दों के कारण पृथ्वी पर स्वस्थ्य जीवन के अस्तित्व के लिए वर्तमान परिस्थितियाँ बहुत ही चुनौतिपूर्ण है।
इसीलिए जागरूक करने के लिए ही विश्व भर में हम सभी 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस मनाते हैं, इस वर्ष पृथ्वी दिवस की थीम ‘इन्वेस्ट इन अवर प्लैनेट’ है, जो हमें हरित समृद्धि से समृद्ध जीवन बनाने के लिए प्रोत्साहित करती है, यह थीम संदेश दे रही है कि हमारे स्वास्थ्य, हमारे परिवारों, हमारी आजीविका और हमारी धरती को एक साथ संरक्षित करने का समय आ गया है। हम लोग कुछ आसान से तरीकों को भी अपनाकर अपने ग्रह को बचा सकते हैं, इसके लिए पर्यावरण के अनुकूल तकनीकियों को बढ़ावा देना होगा, ताकि वे ग्रह को हानि नहीं पहुंचाए।
हम लोगों को हानिकारक चीजों के प्रयोग की आदत में कमी के साथ ही कम मात्रा में कचरे की उत्पत्ति के लिए वस्तुओं के पुनः प्रयोग की आदत को अपनाना होगा। हमे अपने युवाओं में पृथ्वी बचाओ से संबंधित जागरुकता को बढ़ावा देने के संदर्भ में उनके अध्ययन में भी यह विषय को शामिल करना चाहिए, पर्यावरण के बारे में जागरुकता लाने के लिए स्कूल या कॉलेजों में आयोजित वृक्षारोपण करने, समूह चर्चा, निबंध लेखन, वाद-विवाद, बैनर बनाने, नारे लिखने, निर्धारित विषय पर आधारित नाट्य प्रदर्शन आदि में भाग लेना चाहिए, पृथ्वी को बचाने के सन्दर्भ में लोगों के बीच में जागरुकता लाने ही होंगे।
पृथ्वी बहुत व्यापक है जिसमें जल, हरियाली, वन्यप्राणी, प्रदूषण और इससे जुड़े अन्य कारक भी हैं, धरती को बचाने का आशय है हमे इन सभी के रक्षा के लिए पहल करना ही होगा जिससे मानव का आस्तित्व रहे लेकिन इसके लिए किसी एक दिन को ही माध्यम बनाया जाए, क्या यह उचित है? हमें हर दिन को पृथ्वी दिवस मानकर उसके बचाव के लिए कुछ न कुछ उपाय करते रहना चाहिए।
चिंतक/आईएएस मेंटर/दिल्ली विश्वविद्यालय/इंटरनेशनल यूनिसेफ काउंसिल दिल्ली डायरेक्टर