कोलकाता : आज भारतीय भाषा परिषद में कोरोना के अनुशासन का पालन करते हुए सात दिवसीय हिंदी मेला का उद्घाटन प्रसिद्ध स्त्री कथाकार मधु कांकरिया ने किया। उनका कहना था कि हिंदी मेला इस बार ऑनलाइन सुविधाओं के कारण राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक हुआ है। यह हम सब के लिए गौरव की बात है। युवा और विद्यार्थी ही आनेवाले दिनों में सांस्कृतिक प्रदूषण से बचकर मानवता और साहित्य का काम करेंगे। भाषाविद डॉ. अवधेश प्रसाद सिंह ने कहा कि संकट के दौर में भी शिशुओं से लेकर नौजवान हिंदी मेला में भाग ले रहे हैं। यह परंपरा और नवीनता का समय है। टिप्पणीकार और रंगकर्मी मृत्युंजय ने कहा कि हिंदी मेला ने पिछले 26 सालों में हिंदी के सांस्कृतिक समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह इसके कर्मठ और दक्ष सांस्कृतिक कर्मियों की महानता का सुफल है।
उद्घाटन समारोह में अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार डॉ शंभुनाथ ने कहा कि हिंदी मेला देशभर के साहित्यकारों और युवाओं-विद्यार्थियों का सांस्कृतिक संगम है। आज युवाओं को कबीर-मीरा- तुलसी से लेकर प्रेमचंद-निराला-नागार्जुन तक हिंदी साहित्य की परंपरा से प्रेरणा लेने की जरूरत है। हिंदी मेला सामाजिक विभाजन और विद्वेष की जगह मानवीय प्रेम का संदेश देता है। प्रेमचंद के इन शब्दों से प्रेरणा लेने की जरूरत है कि साहित्य राजनीति के पीछे चलने वाली नहीं, आगे मशाल दिखाने वाली सचाई है। इसका लक्ष्य भारतीय संस्कृति की अमूल्य थाती हिंदी साहित्य के उच्च मूल्यों का प्रचार है। नाट्यकर्मी सुशील कान्ति ने कहा कि इस बार हिंदी मेले में परंपरागत नाटक की जगज लघुफिल्म निर्माण को प्रोत्साहन मिला।
हिंदी मेला की ओर से डॉ राजेश मिश्रा ने वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। डॉ अनीता राय ने संचालन करते हुए नाट्य प्रतियोगिता का परिचय दिया। सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन के संयुक्त महासचिव प्रो. संजय जायसवाल ने कहा कि आज से 31 दिसंबर 2020 तक हिंदी मेला की सभी प्रतियोगिताएं और कार्यक्रम ऑनलाइन पर हो रहे हैं और यू-ट्यूब तथा फेसबुक पर देश भर में आकर्षण के केंद्र हैं। इस अवसर पर प्रसिद्ध नृत्यांगना चंद्रिमा मंडल, मनिषा चक्रवर्ती, ईशिता गुप्ता, रौनक पांडेय एवं हावड़ा नवज्योति की ओर से सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ हुईं। कार्यक्रम को सफल बनाने में विनोद यादव, पंकज सिंह, विकास जायसवाल, धनंजय प्रसाद, संजय सिंह, नागेंद्र पंडित, रूपेश यादव, सूर्यदेव राय, निखिता पांडेय तथा समस्त संस्कृति कर्मियों का विशेष सहयोग रहा। धन्यवाद ज्ञापन उत्तम कुमार ठाकुर ने दिया।