कोरोना महामारी में कुछ जिम्मेदारी आम नागरिकों की भी बनती है

राज कुमार गुप्त

कोरोना के इस संक्रमण काल में सिर्फ सरकार के भरोसे बैठे न रह कर बहुत कुछ ऐसी भी चीजें है जो हमलोग स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से या अकेले भी कर सकते हैं। जरूरी नहीं कि इसके लिए आर्थिक रूप से हम सक्षम हो तभी कुछ कर सकते हैं, आप अपना शरीरिक और मानसिक सहयोग भी दे सकते हैं।

कोविड के पहले दौर में सैनिटाइजर, मास्क से लेकर जरूरतमंदों के बीच रोजमर्रा की खाने-पीने की सामग्री भरपूर वितरित की गई थी। परंतु महामारी के इस दूसरे दौर में कोरोना की रफ्तार बढ़ने के साथ इस प्रकार की सेवा संस्थाओं की रफ्तार भी अब कम होती जा रही है।

वैसे भी अब लोगों को खाने-पीने के सामानों की जरूरत उतनी नहीं है, कारण खाने की जुगाड़ तो लोग कही से भी कर लेते हैं परंतु आज ऑक्सीजन और दवा की, समय पर संक्रमित व्यक्ति या परिवार को डॉक्टर या एम्बुलेंस की, संक्रमित परिवार के घर-मकान को सेनेटाइज करवाने में मदद की, संक्रमित परिवार को मास्क, हैंड ग्लोब्स, फेसशील्ड, सेनेटाइजर की जरूरत है। साथ ही गुजर गए लोगों के दाहसंस्कार में सहयोग की आज बहुत ही जरूरत है।

संक्रमित परिवार को कोरोना से संबंधित सभी आपातकालीन सेवाओं का विश्वसनीय स्थानीय नंबर उपलब्ध करवाने में भी सहयोग कर सकते हैं।
स्वस्थ लोगों को टीकाकरण करवाने में भी सहयोग कर सकतें हैं। कम समझदार लोगों को कोरोना की भयावहता को बताये और बचाव का रास्ता भी बताये जितना आपसे संभव हो सके।

आज सबसे बड़ी जरूरत ऑक्सीजन का मिलना है। पास में रुपया रहते हुए भी समय पर नहीं मिल पा रहा है। अतः इस निराशा भरे माहौल के बीच भी आज मध्य हावड़ा में कई महीनों से लगातार जरूरतमंदों को निःशुल्क ऑक्सीजन सिलेंडर देकर अखंड पुण्य का काम “सलाम एजुकेशनल ट्रस्ट” कर रहा है। संस्था के अध्यक्ष खुशनुद अख्तर खान ने बताया कि पिछले एक साल से उनकी संस्था जरूरतमंदो में निःशुल्क ऑक्सीजन गैस उपलब्ध करा रही है। 2020 में इसकी पहल उनके बड़े भाई स्व.अब्दुल सलाम खान ने की थी जो कि दुर्भाग्य से कोरोना से ही कुछ महीने पहले गुजर चुके हैं।

मेरे कहने का मतलब यही है कि पीड़ितों को छोटे-छोटे सहयोग तो अकेले दम पर भी किया जा सकता है और सामाजिक लोग कर भी रहे हैं परंतु ज्यादा सहयोग के लिए स्वयंसेवी संस्थाओं के साथ ही सहयोग करना पड़ेगा। सभी आमजनों से भी अनुरोध है कि इस संक्रमण काल मे ज्यादा से ज्यादा अपने नजदीकी संस्थाओं, क्लबों, मित्रों, रिश्तेदारों से फोन द्वारा संपर्क में रहे। इस महामारी के जंग को हमे मिलजुल कर ही हराना होगा।

(नोट : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी व व्यक्तिगत है। इस आलेख में दी गई सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई है।)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

14 − three =