बांकुड़ा। ठीक एक दिन बाद देश में मकर संक्रांति का पर्व है। उससे पहले बांकुड़ा में पारंपरिक टुसू जागरण की तैयारी चल रही है। बाकुंड़ा में महीने भर तक बिना रुके टुसू पूजा की जाती है और मकर संक्रांति पर जागरण के बाद उत्सव के समापन की घोषणा की जाती है। इससे पहले बांकुड़ा शहर के जुनवेदिया ग्राम पंचायत के हरियालगाड़ा गांव में जाकर देखा तो हर उम्र के लोग टुसू पर्व की खुशी में मशगूल थे।
इन सबके बावजूद आज के आधुनिक युग में टूसू को लेकर क्रेज कम होता जा रहा है। आधुनिक शहरी सभ्यता में पारंपरिक रित रिवाजों का क्षय की बात से वर्तमान पीढ़ी भी सहमत हैं। टुसू उत्सव का आनंद लेने वाली गृहिणियों का कहना है कि टुसू उत्सव मूल रूप से एक मजेदार त्योहार है। उनके सुख-दुख, अभाव, शिकायतों को इस गीत में उजागर किया गया है। हालांकि आधुनिक ‘डिजिटल युग’ में लोगों का इसके प्रति क्रेज कम होता जा रहा है।