I-Core Chitfund Case: चिटफंड मामले में तृणमूल विधायक मदन मित्रा को CBI ने किया तलब

Kolkata: I-Core चिटफंड मामले में पूर्व मंत्री और तृणमूल के विधायक मदन मित्रा को CBI ने फिर पुछताछ के लिए बुलाया है। चिटफंड घोटाले की जांच कर ही सीबीआई (CBI) ने तृणमूल नेताओं पर शिकंजा कसना शुरू किया है। मंत्री पार्थ चटर्जी और मंत्री डॉ. मानस रंजन भुइयां के बाद अब सीबीआई ने पूर्व मंत्री मदन मित्रा को तलब किया है।

आई-कोर चिटफंड मामले में पश्चिम बंगाल सरकार के पूर्व मंत्री और कमरहटी के तृणमूल विधायक आज सुबह लगभग 11.20 बजे सॉल्टलेक स्थित सीबीआई कार्यालय पहुंचे। उनसे सीबीआई के अधिकारी पूछताछ कर रहे हैं। उनके बेटे स्वरूप मित्रा को भी तलब किया गया है। उन्हें इस मामले में कल पेश होने को कहा गया है।

इससे पहले सीबीआई ने आईसीओ चिटफंड घोटाले के सिलसिले में उद्योग मंत्री पार्थ चटर्जी और मंत्री मानस भुइयां को भी तलब किया था। सीबीआई के तलब के बाद तृणमूल के इन नेताओं ने सीबीआई कार्यालय जाने से इनकार कर दिया था। इसके बाद सीबीआई की टीम इनके कार्यालय में जाकर पूछताछ की थी। सीबीआइ की आर्थिक अपराध शाखा के तीन सदस्यीय दल ने जल संसाधन मंत्री से खाद्य भवन स्थित उनके कार्यालय में पूछताछ की थी।

तृणमूल कांग्रेस के नेताओं को कथित तौर पर आइ-कोर के सार्वजनिक कार्यक्रमों में देखा गया था। यह कंपनी अब बंद हो चुकी है और कंपनी पर लोगों को निवेश के बदले अच्छी खासी रकम देने का वादा करके उन्हें ठगने का आरोप है। गौरतलब है कि 2015 में आइकोर चिटंफड घोटाला सामने आया था। पहले जांच का जिम्मा सीआइडी को सौंपा गया था, जिसने मामले में आइकोर ग्रुप के प्रमुख अनुकूल माइती, उनकी पत्नी व ग्रुप के दो निदेशकों को गिरफ्तार किया था। बाद में जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंप दिया गया था।

आइकोर समूह ने बंगाल, ओडिशा, असम, झारखंड और बिहार के लाखों लोगों के करोड़ों रुपये गबन कर लिए हैं। गत 17 अगस्त को ईडी ने आइकोर चिटफंड समूह के प्रमुख रहे दिवंगत अनुकूल माइती की पत्नी कणिका माइती को भी पूछताछ के लिए बुलाया था। उन्होंने कई सारे दस्तावेज भी जमा कराए हैं जिसमें इन नेताओं के संबंधों की जानकारी मिली है।

उल्लेखनीय है कि चिटफंड कंपनी से तृणमूल नेताओं के आरोप के मद्देनजर कुछ नेताओं की गिरफ्तारी भी हो चुकी है, लेकिन फिलहाल वे जमानत पर हैं। इन नेताओं में मदन मित्रा भी शामिल थे, लेकिन फिलहाल जमानत पर रिहा हैं। विधानसभा चुनाव में भी चिटफंड कंपनी से तृणमूल नेताओं का तालमेल मुद्दा बना था।

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