गजलों को भावपूर्ण स्वर देने वाले पंकज उधास जी को विनम्र श्रद्धांजलि

विनय सिंह बैस, नई दिल्ली। मुझे गीत, गानों, गजलों की ज्यादा समझ नहीं है। सुर, लय, ताल की तो बिल्कुल भी नहीं है। लेकिन मुझे शब्दों की समझ है, शब्दों के प्रभाव की समझ है। मुझे जज्बातों की समझ है, भावनाओं की समझ है। इसलिए मेरे जैसे तमाम लोग जो कम उम्र में घर छोड़कर कमाने के लिए बाहर निकल गए, जिनके घर में उस समय टेलीफोन नहीं था और जिनके पास मोबाइल नहीं था, बस चिट्ठियों का सहारा था, उनके लिए –

“चिट्ठी आई है,
वतन से चिट्ठी आई है”
लगभग हर शाम को सुनी जाने वाली गजल है।

उस समय ऐसा लगता था मानो यह गजल हमारे लिए ही लिखी और गाई गई हो। इस पूरी गजल में हमारे ही मनोभाव थे क्योंकि तब चेन्नई और बीदर भी हमारे लिए सात समंदर पार जैसा ही था। हमारे लिए चिट्ठियां सिर्फ कलम से लिखी पाती भर न थी, उनमें सिर्फ काले, नीले अक्षर न होते थे बल्कि अपनों का सारा स्नेह, प्यार, दुलार उनमें होता था। जिस दिन चिठ्ठी आती, उस दिन सारी थकान, पीड़ा गायब हो जाती। हम चिट्ठी को कई-कई बार पढ़ते। कभी खुश होते, कभी रोते, कभी सीने से लगाते, कभी आंखों में छुआते, कभी यादों में खो जाते।

इसी गजल में देखें तो मां के लिए अपनी बात कहना हमेशा ही आसान रहा है-
“सूनी हो गई शहर की गलियां, कांटे बन गई बाग की कलियां
पीपल सूना, पनघट सूना
घर श्मशान का बना नमूना”

लेकिन बाप के लिए जज्बाती दिखना मुश्किल है। वह तो बस इतना ही कह सकता है-
“मैं तो बाप हूँ, मेरा क्या है,
तेरी मां का हाल बुरा है।”

क्या यह एक लाइन सभी भारतीय पिताओं के मनोभाव व्यक्त कर देती है। क्योंकि पिता भावनाओं में नहीं बह सकता, रोने की तो सोच भी नहीं सकता।
“देश पराया छोड़ के आ जा,
पंछी पिंजरा तोड़ के आ जा।
आ जा उम्र बहुत है छोटी,
अपने घर में भी है रोटी।।”
तक आते-आते मां-बाप का दिल फट ही पड़ता है। अफसोस कि कमाने के चक्कर में हम कभी पिंजरा तोड़ न पाए, अपने घर लौट न पाए।

लेकिन इस कालजयी गजल को भावपूर्ण स्वर देने वाले पंकज उधास आज देह का पिंजरा तोड़कर अनंत आकाश में जरूर उड़ गए। उनको सुनकर बड़े हुए हम जैसे तमाम परदेसियों को ‘पंकज’ जी आज सचमुच ‘उदास’ कर गए।

स्वर्गीय पंकज उधास जी को विनम्र श्रद्धांजलि

(विनय सिंह बैस)
‘चिट्ठी आई है’ को सुनकर हर बार भावुक होने वाले

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे कोलकाता हिन्दी न्यूज चैनल पेज को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। एक्स (ट्विटर) पर @hindi_kolkata नाम से सर्च करफॉलो करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

13 − five =