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सभी के लिए मानवता, स्वतंत्रता, समानता और न्याय – डॉ. विक्रम चौरसिया

नई दिल्ली। हम सभी बचपन से सुनते आ रहे हैं कि जो इंसान दूसरों की मदद करता है प्रकृति, ईश्वर उसकी मदद खुद करती हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आज के इस दौर में मदद करने के मामले में कुछ लोग इतने स्वार्थी होते जा रहे हैं कि वो ये सोचकर मदद करने से बचते हैं कि मदद करने के बदले कोई रिटर्न मिलेगा या नहीं? या कही ये व्यक्ति मेरे से आगे तो नही निकल जायेगा?

देखे तो आज सबसे दुखद वियोग यही है की मानव का मानवता से दूर होते जाना, जितना ज्यादा लोग तरक्की कर रहे हैं, उतने ही ज्यादा मानवता की भावना से दूर होते जा रहे हैं। आज हाल ये है कि अक्सर लोग दूसरों की मदद करना तो दूर की बात है, अपनों की मदद करने से भी कतराने लगे हैं। याद रहे एक न एक दिन कोई आगे, कोई पीछे हम सभी लोग मिट्टी हो जाएंगे कोई यहां से बच के नहीं जाएगा। हम मनुष्य के जन्म का तो तय होता है कि 9 माह कोख में रहकर मां के गर्भ से इस धरती पर आएंगे। लेकिन जाने का कोई भी किसी का भी तय समय सीमा नहीं होता कब किसकी सांस इस मिट्टी के शरीर से निकल कर चला जाए। कोई किसी का तय समय सीमा निर्धारित नहीं है। इसी को देखते हुए देखे तो मानवाधिकार दिवस 2022 की थीम डिग्निटी, फ्रीडम और जस्टिस फॉर ऑल या गरिमा, स्वतंत्रता और सभी के लिए न्याय था।

आजादी के बाद आज इतने वर्षों से रास्ता लंबा, ऊबड़-खाबड़ रहा है और कभी-कभी ऐसा लगता है जैसे हम अपना रास्ता ही भूल गए हैं। आर्थिक प्रगति तो हुई है लेकिन जनसंख्या का एक बहुत ही बड़ा हिस्सा आज भी गरीबी व भेदभाव के दायरे से बाहर नहीं आया है। वही 2023 की थीम सभी के लिए स्वतंत्रता, समानता और न्याय रखा गया है देखते हैं आज इस बढ़ती खाई को कैसे भरते हैं। एक ओर जहां कुछ लोग अत्यधिक पोषण (ओवरन्यूट्रिशन) से परेशान है तो वही एक बड़ा तबका कुपोषण का शिकार है।

10 दिसंबर को पूरे विश्व में प्रत्येक वर्ष मानवाधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है। ज्ञातव्य हो कि 1948 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अपनाई गई मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा में निहित अधिकारों और स्वतंत्रता के प्रति सम्मान को बढ़ावा देने, जागरूकता पैदा करने और राजनीतिक इच्छा शक्ति जुटाने के लिए यह दिवस मनाया जाता है। विश्व मानवतावादी दिवस का उद्देश्य मानवता, समानता और सामाजिक न्याय को प्रोत्साहित करना है, यह दिवस मानवीय मूल्यों, विचारधारा और संस्कृति के महत्व को उजागर करता है ताकि हम एक बेहतर और समरसता से भरा विश्व निर्माण कर सकें। आज ही आप भी खुद से दृढ़ संकल्प ले की कोई भी जरूरतमंद वंचित मनुष्य या कोई भी जीव आपकी आंखों से परेशान दिखे तो अपने सामर्थ्य के अनुसार उसकी मदद के लिए हाथ जरूर आगे बढ़ाएं।

चिंतक/आईएएस मेंटर/ दिल्ली विश्वविद्यालय

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डॉ. विक्रम चौरसिया, चिंतक/दिल्ली विश्वविद्यालय

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