कोलकाता। कोलकाता में स्थित संगमरमर वास्तुकला का बेहतरीन नमूना माने जाने वाले और इंग्लैंड की महारानी विक्टोरिया को समर्पित ‘विक्टोरिया मेमोरियल हॉल’ को मंगलवार को 100 साल पूरे हो गए। देश में सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली विरासत इमारतों में से एक इस इमारत का उद्घाटन 28 दिसंबर, 1921 को कलकत्ता (अब कोलकाता) में तत्कालीन ‘प्रिंस ऑफ वेल्स’ ने भारत के अपने शाही दौरे के दौरान किया था। इमारत से संबंधित पुराने अभिलेखीय दस्तावेजों के अनुसार विख्यात उद्योगपति सर राजेंद्र नाथ मुखर्जी ने ठेकेदारों की तरफ से शाही अतिथि को एक ‘रत्नजड़ित चाबी’ सौंपी थी, जिससे वेल्स के राजकुमार ने इसका दरवाजा खोला।
इस दौरान कई गणमान्य लोग मौजूद थे, जिनमें बंगाल के तत्कालीन गवर्नर लॉर्ड रोनाल्डशाय समेत अन्य शामिल थे। इस इमारत के उद्घाटन के दौरान काफी धूमधाम और भव्यता रही थी लेकिन मंगलवार को इसके शताब्दी वर्ष पूरे होने के दिन ऐसा कोई कार्यक्रम नहीं हुआ। पुराने अभिलेख के अनुसार, इस स्मारक की आधारशिला तत्कालीन प्रिंस ऑफ वेल्स (बाद में राजा जॉर्ज पंचम) ने 4 जनवरी, 1906 को रखी थी। लेकिन संगमरमर की इस सुंदर इमारत का उद्घाटन उनके बेटे और तत्कालीन प्रिंस ऑफ वेल्स (बाद में राजा एडवर्ड अष्टम) ने किया था, जिन्हें प्रथम विश्व युद्ध समाप्त होने के बाद सद्भावना दौरे पर भारत भेजा गया था।
इस स्मारक की जब आधारशिला रखी गई थी तब कलकत्ता भारत में ब्रिटिश राज की राजधानी थी लेकिन बाद में 1911 में किंग जॉर्ज पंचम ने इसे दिल्ली स्थानांतरित करने की घोषणा की। वहीं, जब इस इमारत का उद्घाटन हुआ तो नई राजधानी बनकर तैयार ही हो रही थी। इंग्लैंड की गद्दी से महारानी विक्टोरिया ने भारत पर 60 साल से ज्यादा समय तक शासन किया और विक्टोरिया मेमोरियल हॉल (वीएमएच) में उनकी युवावस्था की संगमरमर से बनी प्रतिमा लगी हुई है।
इस ऐतिहासिक भवन की डिजाइन मुख्य वास्तुकार विलियम इमरसन ने तैयार की थी और विन्सेंट जेरोम एश ने उनकी मदद की थी। विक्टोरियनवेब डॉट कॉम के अनुसार इसे बनाने में ताज महल की तरह ही भारतीय संगमरमर का इस्तेमाल किया गया था। लगभग 57 एकड़ क्षेत्र में फैली यह इमारत केवल ‘विक्टोरिया’ नाम से भी प्रसिद्ध है। 1901 में भारत के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड कर्जन ने ब्रिटेन की महारानी के निधन के बाद उनके स्मारक के रूप में इसके निर्माण का विचार रखा था।