अंतरराष्ट्रीय फलक पर हिंदी : चुनौतियां और संभावनाएं पर केंद्रित राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं प्रतिभा सम्मान समारोह सम्पन्न

चरित्र और संस्कृति की परिचायक होती है भाषा – श्री इनामदार
प्रवासी भारतीय हमारे सांस्कृतिक राजदूत हैं – कुलपति प्रो पांडेय

उज्जैन। प्रवासी भारतीय दिवस एवं विश्व हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन की हिंदी अध्ययनशाला एवं पत्रकारिता और जनसंचार अध्ययनशाला द्वारा बैंक ऑफ बड़ौदा, क्षेत्रीय कार्यालय, भोपाल के सहयोग से एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। अंतरराष्ट्रीय फलक पर हिंदी : चुनौतियां और संभावनाएं पर केंद्रित इस संगोष्ठी की अध्यक्षता विक्रम विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय ने की। मुख्य अतिथि सुबोध इनामदार, क्षेत्रीय प्रमुख, बैंक ऑफ़ बड़ौदा, रतलाम क्षेत्र, कुलानुशासक एवं हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. शैलेंद्रकुमार शर्मा, चंदन कुमार वर्मा, मुख्य प्रबंधक (राजभाषा), बैंक ऑफ़ बड़ौदा, भोपाल, डॉ. स्वाति, प्रबंधक (राजभाषा), भोपाल ने संगोष्ठी में व्याख्यान दिए।

बैंक ऑफ बड़ौदा की ओर से अतिथियों द्वारा विक्रम विश्वविद्यालय में वर्ष 2020 एवं 2021 में एमए हिंदी में प्रावीण्य सूची में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले चार विद्यार्थियों को प्रशस्ति पत्र एवं सम्मान राशि अर्पित कर बैंक ऑफ बड़ौदा हिंदी प्रतिभा सम्मान से सम्मानित किया गया। इनमें वर्ष 2020 के लिए मोहन सिंह तोमर, उज्जैन, अंतरा वायगांवकर, रतलाम, वर्ष 2021 के लिए ज्योति शर्मा एवं युसूफ शेख, रतलाम सम्मिलित थे।

मुख्य अतिथि बैंक ऑफ बड़ौदा के क्षेत्रीय प्रमुख सुबोध इमानदार ने अपने उद्बोधन में कहा कि राष्ट्र भाषा या अपनी मातृभाषा संप्रेषण का सबल माध्यम होती है। हमें सटीक शब्दों का प्रयोग अपनी भाषा में करना चाहिए, क्योंकि भाषा ही हमारे चरित्र और संस्कृति की परिचायक होती है। जिस भाषा में किसी बात का मर्म समझ आए उसी में बात करना चाहिए। अपनी मातृ भाषा पर गर्व होना चाहिए। बैंक ऑफ बड़ौदा हिंदी को आगे बढ़ाने में सदैव तत्पर रहेगा।

कुलपति अखिलेश कुमार पाण्डेय ने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि प्रवासी भारतीय हमारे सांस्कृतिक राजदूत है, जो हमारी संस्कृति को आगे बढ़ाने का कार्य करते हैं। नई पीढ़ी को इस प्रकार के सॉफ्टवेयर विकसित करने चाहिए, जिससे हिंदी टंकण, अनुवाद आदि की समस्या को दूर किया जा सके। तकनीकी क्षेत्र में हिंदी के विकास से ज्यादा से ज्यादा लोग इसका उपयोग आसानी से कर पाएँगे। उन्होंने विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को बधाई देते हुए कहा कि बैंक ऑफ बड़ौदा प्रतिभावान विद्यार्थियों को सम्मान देता है। इससे विद्यार्थियों की जिम्मेदारी हिंदी को लेकर और बढ़ जाती है। उसे आगे बढ़ाते हुए विभिन्न विभागों और बैंकिंग में हिंदी भाषा के उपयोग के लिए उन्हें कार्य करना चाहिए।

कुलानुशासक प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि विदेशों में बसे साढ़े तीन करोड़ प्रवासी भारतीय अपनी संस्कृति और हिंदी का संवर्धन कर रहे हैं। भारतीय संस्कृति में मानव विषयक दृष्टिकोण अत्यंत व्यापक है। भारतीयों की दृष्टि में विश्व को वसुधैव कुटुम्बकम् के रूप देखा जाता है। हिन्दी आगे बढ़ेगी तो भारत आगे बढ़ेगा। महात्मा गांधी नई चेतना का संचार करने के बाद 9 जनवरी को दक्षिण अफ्रीका से लौटे थे, इसी दिन प्रवासी भारतीय दिवस मनाया जाता है। दुनिया के कई देशों में हिंदी अन्याय और भेदभाव के विरुद्ध संघर्ष का प्रतीक रही है। आज उसकी पताका सम्पूर्ण विश्व में लहरा रही है।

दुनिया के अनेक देशों के उच्च सदनों, विश्वविद्यालयों और दूतावासों में हिंदी का प्रयोग किया जा रहा है। हिंदी के साथ विश्व लिपि देवनागरी का प्रयोग आवश्यक है। आज उसके स्थान पर कई लोग रोमन को प्रोत्साहित कर रहे हैं। इस स्थिति को बदलना होगा। डिजिटल माध्यमों हिंदी भाषा का प्रयोग निरन्तर बढ़े यह जरूरी है। हिंदी भाषा को आगे बढ़ाने में विक्रम विश्वविद्यालय सदैव तत्पर रहेगा। चंदन कुमार वर्मा, भोपाल ने कहा कि पुरस्कार प्रेरणा और हौसला बढ़ाने के कार्य करते हैं। हर साल यह सम्मान हिंदी के प्रतिभावान विद्यार्थियों को दिया जाता है, जिससे वे हिंदी को आगे बढ़ाने का कार्य करें और हिंदी को राष्ट्र भाषा का सम्मान दिलाएँ।

कार्यालयीन हिंदी एक निश्चित परिपाटी पर कार्य करती है, किंतु आम बोलचाल की भाषा में खुलापन है। आम लोग ही भाषा को आगे बढ़ाने का कार्य करते हैं। बोलियो को हिंदी से अलग कर देंगे तो हिंदी बोलना कठिन हो जाएगा। विभिन्न बोलियों से ही हिंदी का अस्तित्व है। आज बाजार में भी हिंदी अपना प्रभुत्व जमा रही है। बड़ी- बड़ी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने भी हिंदी भाषा का प्रयोग करना शुरू कर दिया है। हम सशक्त ढंग से हिंदी का प्रयोग करे तो विश्व पटल पर हिंदी को व्यापकता दिला सकते हैं।

डॉ. स्वाति, भोपाल ने कहा कि हिंदी सिर्फ संप्रेषण का माध्यम नहीं है बल्कि यह हमारे जीवन को अपने कंधे पर उठाती है। भाषा में ग्रहणशीलता होनी चाहिए उसी से कोई भी भाषा आगे बढ़ती है। अंग्रेजी सीखने का अर्थ अप टू डेट होना नहीं होता, बल्कि ज्ञान में वृद्धि अप टू डेट होना चाहिए। हमें इस कुंठा से बाहर आना होगा कि हिंदी बोलने से हमें लोग अप टू डेट नहीं समझेंगे।

कार्यक्रम को कुलसचिव डॉ. प्रशांत पुराणिक, डीएसडब्ल्यू डॉ. एस.के. मिश्रा, डॉ. जगदीश चंद्र शर्मा, डॉ. प्रतिष्ठा शर्मा आदि ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में बैंक ऑफ बड़ौदा के अधिकारियों द्वारा अतिथियों को पुस्तक अर्पित कर उनका सम्मान किया गया। वाग्देवी भवन, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में आयोजित कार्यक्रम में डॉ. सुशील शर्मा, हीना तिवारी आदि सहित बड़ी संख्या में सुधीजन, शोधकर्ता एवं विद्यार्थी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. जगदीश चंद्र शर्मा ने किया और आभार डॉ. प्रतिष्ठा शर्मा ने माना।

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