हिंदी एक सरल, सक्षम और समृद्ध भाषा है – डॉ.शहाबुद्दीन शेख

उज्जैन : समन्वयात्मकता, सर्व समावेशकता, लचीलापन तथा सर्वग्राहृयता के आधार पर हिंदी एक सरल,सक्षम और समृद्ध भाषा है। इस आशय का प्रतिपादन राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के राष्ट्रीय मुख्य संयोजक प्राचार्य डॉ. शहाबुद्दीन नियाज मुहम्मद शेख, पुणे, महाराष्ट्र ने किया। राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के तत्वावधान में हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित आभासी अंतरराष्ट्रीय गोष्ठी में वे अध्यक्षीय उद्बोधन दे रहे थे। डॉ. शहाबुद्दीन शेख ने आगे कहा कि हिंदी के पास हजार-बारह सौ से अधिक वर्षों की गौरवशाली परंपरा है।

लोक व्यवहार व एक संपर्क भाषा के रूप में हिंदी ने जनमानस की भाषा बनने का गौरव प्राप्त किया है। सहज, सुलभ, सुगम, प्रवाहमयी तथा अपनी सुबोधता के कारण हिंदी आज व्यापार, संचार व बाजार की प्रमुख भाषा के रूप में उभर रही है। मुख्य अतिथि डॉ. शैलेंद्र कुमार शर्मा, कुलानुशासक, हिंदी विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन ने कहा कि मानसिक गुलामी को तोड़ने के लिए हिंदी के गौरव का आत्म सम्मान करना होगा। हिंदी ने भारतीय मानस को परंपरागत मूल्यों से जोड़ा है। चालीस देशों के चालीस करोड़ भारतीय भारत के बाहर हिंदी का प्रचार कर रहे हैं। प्रवासी भारतीय राष्ट्रभाषा के सामर्थ्य के साक्षी हैं।

नागरी लिपि परिषद, नई दिल्ली के महामंत्री डॉ. हरिसिंह पाल ने कहा कि, हिंदी दिवस अर्थात भारतीय संस्कृति की अस्मिता का दिवस है। हिंदी निसंदेह समृद्ध भाषा है। क्योंकि साढ़े नौ लाख शब्दों की शब्दावली भारत सरकार ने तैयार की।

राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के महासचिव डॉ. प्रभु चौधरी, महिंद्पुर, उज्जैन ने कहा कि राष्ट्रभाषा के लिए हिंदी के पास समस्त तत्व विद्यमान हैं। श्रीमती सुवर्णा जाधव, मुंबई ने कहा कि हिंदी भारत की आत्मा में बसी है। राष्ट्रभाषा का प्रचार करना राष्ट्रीयता का द्योतक तक है। सुरेश चंद्र शुक्ल, ओस्लो, नार्वे ने कहा कि, हिंदी संस्कार की भाषा है। हिंदी में तू, तुम, व आप का प्रयोग होता है, जबकि अंग्रेजी में सबके लिए मात्र ‘यू’ का प्रयोग होता है।ग्रेसियस कॉलेज, रायपुर, छत्तीसगढ़ की डॉ.मुक्ता कान्हा कौशिक ने कहा कि राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर 1953 से प्रतिवर्ष हिंदी दिवस मनाने की परंपरा शुरू हुई। हिंदी के माध्यम से हमें आजादी मिली है।

डॉ. परवीन बाला, पटियाला, चंडीगढ़, पंजाब ने कहा कि आज समूचा देश हिंदी का प्रयोग कर रहा है। हिंदी परिपूर्ण व वैज्ञानिक भाषा है। हिंदी से जुड़ना, संस्कृति से जुड़ना है। डॉ. रश्मि चौबे, गाजियाबाद, उ.प्र. ने कहा कि आज हिंदी ने अंतरराष्ट्रीय रूप धारण किया है। हिंदी हमारे जीवन का मूल आधार है। डॉ. संगीता शर्मा-कुंद्रा, चंडीगढ़, पंजाब ने कहा कि हमारे सोच की भाषा अपनी ही हो। सतीश शर्मा, गुदगुदा, धमतरी, छत्तीसगढ़ ने कहा कि हिंदी हमारी पहचान है, अतः हिंदी का सर्वत्र मान होना चाहिए।
गोष्ठी में प्रा. लता जोशी, प्रा. रूली सिंह, मुंबई, केशव, राजस्थान, प्रा. रोहिणी डावरे, अकोले, महाराष्ट्र सहित अनेकों की उपस्थिति रही।

गोष्ठी का शुभारंभ सतीश शर्मा की सरस्वती वंदना से हुआ। डॉ.सुरेखा मंत्री, यवतमाल, महाराष्ट्र ने स्वागत उद्बबोधन दिया। मंच संचालन पूर्णिमा कौशिक, रायपुर, छत्तीसगढ़ ने किया तथा भुवनेश्वरी जायसवाल, कोरबा, छत्तीसगढ़ ने सभी का आभार माना।

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