नंदीग्राम विधानसभा क्षेत्र की मतगणना याचिका पर 12 अगस्त को होगी सुनवाई

Kolkata Desk : नंदीग्राम विधानसभा क्षेत्र की पुनर्मतगणना याचिका की अगली सुनवाई कलकत्ता हाई कोर्ट में न्यायमूर्ति शंपा सरकार द्वारा 12 अगस्त को होनी हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सुप्रीमो ममता बनर्जी ने हाल ही में संपन्न विधानसभा चुनावों में नंदीग्राम सीट से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता सुवेंदु अधिकारी के चुनाव को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी।

कलकत्ता HC ने भारत के चुनाव आयोग (ECI) को चुनाव से जुड़े सभी दस्तावेजों, उपकरणों, चुनाव पत्रों और वीडियो रिकॉर्डिंग को संरक्षित करने का निर्देश दिया. अदालत ने प्रतिवादी (सुवेंदु अधिकारी), ईसीआई और रिटर्निंग ऑफिसर को भी नोटिस जारी किया।

“चुनाव याचिका में कोई दोष नहीं है जैसा कि लोक अधिनियम 1951 के 86 (1) में प्रदान किया गया है,” यह कहा गया है। इन सबके बीच बंगाल में विपक्ष के नेता शुवेंदु अधिकारी ने मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। शुवेंदु अधिकारी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर अपील की है कि मामले की सुनवाई कलकत्ता हाईकोर्ट के अलावा देश के किसी भी दूसरे हाईकोर्ट में की जाए।

न्यायमूर्ति कौशिक चंदा के तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो की चुनावी याचिका पर सुनवाई से अलग होने के बाद कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल ने मामले को न्यायमूर्ति शंपा सरकार की पीठ को सौंप दिया। सुवेंदु अधिकारी ने साल की शुरुआत में हुए विधानसभा चुनाव में नंदीग्राम निर्वाचन क्षेत्र से बनर्जी को 1,956 मतों से हराया था।

न्यायमूर्ति कौशिक चंदा ने इस मामले में सुनवाई से 7 जुलाई को खुद को अलग कर लिया था। न्यामूर्ति चंदा ने इस मामले से उन्हें अलग करने की मांग को लेकर ममता बनर्जी पर पांच लाख रुपये जुर्माना लगाया था।

बनर्जी की याचिका में न्यायमूर्ति चंदा के सुनवाई से अलग होने का अनुरोध करते हुए दावा किया गया था कि वह वर्ष 2015 में भारत के अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल नियुक्त किए जाने तक बीजेपी के सक्रिय सदस्य थे और चूंकि बीजेपी के एक उम्मीदवार के निर्वाचन को चुनौती दी गई है, इसलिए फैसले में पूर्वाग्रह होने की आशंका है।

न्यायमूर्ति चंदा ने कहा था कि वह बीजेपी के विधिक प्रकोष्ठ के संयोजक कभी नहीं रहे, लेकिन पार्टी की ओर से अनेक मामलों में कलकत्ता हाई कोर्ट में पेश हुए थे। बनर्जी के वकील ने हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर उनकी चुनाव याचिका किसी दूसरी पीठ को सौंपने का अनुरोध किया था।

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