नहीं रहे प्रख्यात इतिहासकार हरि शंकर वासुदेवन

कोलकाता : प्रख्यात इतिहासकार हरि शंकर वासुदेवन की रविवार को यहां एक अस्पताल में निधन ङो गया। वह 68 वर्ष के थे। वासुदेवन के परिवार के लोगों ने बताया कि तेज बुखार और सांस लेने में परेशानी होने पर उन्हें चार मई को अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जिसके बाद छह मई को उनकी कोविड-19 जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी।

उन्होंने बताया कि शनिवार और रविवार की दरम्यानी रात एक बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके परिवार में उनकी पत्नी ताप्ती गुहा ठकुरता और उनकी बेटी हैं। वासुदेवन को रूस और मध्य एशिया विषय के इतिहासकारों में अग्रणी नामों में एक माना जाता है। उनकी मृत्यु पर अपने बयान में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने कहा कि वासुदेवन की मृत्यु कोरोना वायरस से हुई।

‘वह भारत-रूस परियोजनाओं में शामिल थे…वह संस्कृति मंत्रालय, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, वाणिज्य मंत्रालय और विदेश मंत्रालय की परियोजनाओं/ संस्थानों में औपचारिक सलाहकार भी रहे थे और 2005 से राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के समाज विज्ञान विषयों के लिये पाठपुस्तिका विकास समिति के अध्यक्ष के रूप में अहम भूमिका निभाई।

जादवपुर विश्वविद्यालय के कुलपति एवं प्रख्यात इतिहासकार प्रो। सुरंजन दास ने कहा कि मैं उन्हें चार दशक से जानता था। यह मेरे लिये व्यक्तिगत नुकसान है। प्रसार भारती के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) जवाहर सरकार ने कहा कि वासुदेवन को रूसी, मध्य एशियाई और पूर्वी एशियाई इतिहास का एक विशेषज्ञ माना जाता था।

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