कोलकाता। न्यायमूर्ति अभिजीत गांगुली की एकल पीठ के आदेश पर नौकरी गंवाने वाले ग्रुप डी के 1911 कर्मियों को फिलहाल वेतन नहीं लौटाना होगा। न्यायमूर्ति सुप्रतिम मजूमदार और सुब्रत तालुकदार की खंडपीठ ने गुरुवार को यह आदेश दिया है। ग्रुप डी कर्मियों ने हाईकोर्ट की खंडपीठ में हलफनामा के जरिए याचिका लगाई थी। उन्होंने दावा किया था कि उन्होंने शिक्षक के तौर पर पांच सालों तक मेहनत की है। इसलिए मेहनताने के तौर पर मिला वेतन नहीं लौटाया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि फिलहाल 27 फरवरी तक ग्रुप डी कर्मियों के वेतन लौटाने संबंधी फैसले पर स्थगन रहेगा।
दरअसल ग्रुप डी के 2823 परीक्षार्थियों की ओएमआर शीट में छेड़छाड़ के साक्ष्य सीबीआई ने कोर्ट में पेश किए थे। इसके बाद एसएससी में भी स्वीकार किया था कि इन लोगों की ओएमआर शीट में छेड़छाड़ हुई है। इसलिए इनकी नौकरी रद्द की जानी चाहिए। इसके बाद कोर्ट ने इन्हें तत्काल प्रभाव से नौकरी से बर्खास्त करने और वेतन लौटाने का आदेश दिया था।
एसएससी ने इस संबंध में एक निर्देशिका जारी कर 1911 ग्रुप डी कर्मियों को नौकरी से हटाने की घोषणा कर दी थी। इसके बाद ही एसएससी के फैसले के खिलाफ खंडपीठ में याचिका लगाई थी। इसमें नौकरी रद्द करने के खिलाफ याचिका लगी है और वेतन लौटाने के आदेश के खिलाफ भी याचिका लगी है। फिलहाल वेतन नहीं लौटाना होगा और नौकरी बरकरार रखने संबंधी फैसले पर सुनवाई जारी रहेगी।