बर्लिन। जानी-मानी पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग को पश्चिमी जर्मनी में चल रहे एक विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने थोड़ी देर के लिए हिरासत में लिया। वह अन्य पर्यावरण कार्यकर्ताओं के साथ जर्मनी के एक निर्जन गांव लग्ज़राथ को तोड़ कर उसका कोयले के खदान के रूप में विस्तार किए जाने के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रही थीं। पुलिस का कहना है कि थनबर्ग को गिरफ़्तार नहीं किया गया। इसके बाद पुलिस ने कहा कि उनके पहचान पत्र की जांच कर उन्हें छोड़ दिया गया था।
थनबर्ग को तब हिरासत में लिया गया जब कार्यकर्ताओं का समूह ग्राजवाइलर 2 खदान की ओर ‘तेज़ी से आगे बढ़ने लगा।’ पुलिस अधिकारी ने कहा है कि जिन्हें भी हिरासत में लिया गया है उन पर कोई मुकदमा नहीं चलेगा। इस घटना का वीडियो सामने आया है जिसमें ग्रेटा थनबर्ग को तीन पुलिसकर्मी अपने साथ ले जाते नज़र आ रहे हैं और वह मुस्कुरा रही हैं। कार्यकर्ताओं का तर्क है कि ये कोयले से ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने की कोशिशों के खिलाफ है।
जर्मनी सरकार नॉर्थ राइन-वेस्टफ़ेलिया, जिस राज्य में खदान स्थित है, वहां कोयले को 2030 तक फ़ेज़-आउट करना चाहती है, वहीं पूरे देश में कोयले के इस्तेमाल को बंद करने का लक्ष्य 2038 है। लिग्नाइट कोयले का सबसे गंदा रूप है, और लग्ज़रथ के आसपास के क्षेत्र में हर साल इसके 25 मिलियन टन का उत्पादन होता है।
इस गांव का मालिकाना हक़ एनर्जी कंपनी आरईडब्लू के पास है और कंपनी का कहना है कि उसे यहां पाए जाने वाले कोयले की ज़रूरत इस ठंड के मौसम में है। सरकार का कहना है कि रूस से गैस ना आने के कारण जर्मनी में ऊर्जा की मांग पूरी करने के लिए कोयले की खदान का विस्तार करना ज़रूरी है।