क़िताबे-राज़ के पन्नों को आख़िर कौन खोलेगा – डॉ.राहुल अवस्थी
कोलकाता । राष्ट्रीय कवि संगम की पश्चिम बंगाल प्रांत की इकाई ने वीरांगना लक्ष्मी बाई की जयंती पर उनकी स्मृति में शनिवार को एक काव्य संध्या का आयोजन किया। अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त डॉ. मधु चतुर्वेदी ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की एवं सुपरिचित प्रख्यात ओजस्वी कवि डॉ. राहुल अवस्थी कार्यकम के मुख्य अतिथि थे। हिमाद्रि मिश्रा की सरस्वती वंदना के साथ कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। तत्पश्चात प्रांतीय महामंत्री राम पुकार सिंह ने स्वागत भाषण दिया।
प्रांतीय अध्यक्ष डॉ. गिरिधर राय ने विषय प्रवेश के साथ अतिथियों का स्वागत भी किया और उनसे प्रांत की त्रैमासिक ई-पत्रिका “राष्ट्र स्वर” के तृतीय अंक का औपचारिक लोकार्पण सम्पन्न करने का अनुरोध किया। माननीय अतिथियों द्वारा पत्रिका के लोकार्पण के पश्चात् रीमा पांडे की गज़ल ‘गीत मेरे खामोश न होंगे, कलम नहीं रुक पायेगी। देश को मेरे दर्द हुआ तो भावनाएँ अकुलाएँगी’ के साथ काव्य संध्या आरंभ हुई। स्वागता बसु की कविता ‘शून्य मेरे पास है, रिक्त मेरे हाथ हैं..’ को काफी सराहना मिली।
सुषमा राय ने रानी की गौरव गाथा आज भी सबकी जुवां पर है, शक्ति की अमर कथा आज भी सबकी जुबां पर है।‘ सुनाकर अतिथियों सहित सभी की प्रशंसा बटोरी। रमाकांत सिन्हा की कविता ‘हिन्दुस्तानी होने का तू अभिमान पैदा कर, तू अपने दिल में इक नया हिंदुस्तान पैदा कर।’ और चंद्रिका प्रसाद अनुरागी के गीत ‘राज पाट सूना, देख हुआ दुख दूना, बाप की दुलारी ले कटारी निकल आयी थी!’ को भी सराहा गया। हिमाद्रि मिश्रा ने कविता ‘अब वाणी में अंगार चाहिए, धमनी में उबाल चाहिए, राम राज्य हो आयावर्त्त मे, ऐसा हिन्दुस्तान चाहिए’ सुनाकर वातावरण में जोश भर दिया।
युवा कवि देवेश मिश्र की कविता भी ओज से परिपूर्ण थी। संस्था के महामंत्री गज़लकार राम पुकार सिंह की गज़ल ‘आजादी खातिर हिन्द की जिसने की आगवानी थी, थी वीर बाला हिन्द की झाँसी की वो रानी थी।‘ की सभी ने सराहना की। कार्यक्रम का कुशल संचालन श्यामा सिंह ने किया।उन्होंने अपनी क्षणिका ‘अभिनय, आज आदत नहीं मज़बूरी है, सच से अधिक ज़रूरी है’ सुनाकर सभी का दिल जीत लिया।
स्वनाम धन्य डॉ. राहुल अवस्थी ने अपनी प्रसिद्ध कविता ‘क़िताबे-राज़ के पन्नों को आख़िर कौन खोलेगा/अगर हम सच नहीं बोलेंगे तो फिर कौन बोलेगा’ सुनाने के साथ-साथ संस्था के आत्मीय सदस्य के रूप में धन्यवाद ज्ञापन भी किया। डॉ. गिरिधर राय ने अपनी कविता ‘मन करता है लिखूँ कहानी, झांसी वाली रानी की/काशी जिसकी जन्मभूमि है, लक्ष्मी उस मरदानी की’ सुनाकर झांसी की रानी के शौर्य का बखान किया।
कार्यक्रम की अध्यक्ष डॉ. मधु चतुर्वेदी ने अपनी राष्ट्र वंदना ‘राष्ट् आराधना, राष्ट्र की अर्चना, राष्ट्र की वन्दना हम करें! /राष्ट्र ही धर्म हो, राष्ट्र ही कर्म हो राष्ट्र हित हम जियें औ मरें!!’ सुनाकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। श्रोताओं के अनुरोध पर डॉ. मधु चतुर्वेदी ने अपनी दो प्रसिद्ध गज़लें और मुक्तक भी सुनाए एक शेर की बानगी देखें- ‘इससे पहले कि मेरे दिल में मलाल आ जाए, ये ही बेहतर है तुम्हें मेरा ख़याल आ जाए’। इस अवसर पर प्रसिद्ध समाज सेवी अरुण प्रकाश मल्लावत, दक्षिण कोलकाता अध्यक्ष सीमा सिंह एवं विष्णुप्रिया त्रिवेदी सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।