हर्ष फायरिंग पर रोक लगाए सरकार

राज कुमार गुप्त। अक्सर सुनने या देखने में आता है कि अमुक जगह शादी या किसी अन्य समारोह में हर्ष फायरिंग के दौरान कोई आहत हो गया या मौत हो गई। तो इस तरह की दुर्घटनाओं के बाद प्रशासन हरकत में आता है और कारवाई करता है। तब क्यों नहीं हर्ष फायरिंग करने को कानून अपराध करार दिया जाता है? क्यों किसी निर्दोष के मरने का इंतजार किया जाता है?

अभी दो दिन पहले की एक घटना में उत्तर प्रदेश के मेरठ में दूल्हे के मेहमानों द्वारा जश्न के माहौल में की गई गोलीबारी जिसे की हर्ष फायरिंग कहते हैं में दुल्हन के चाचा के घायल होने के बाद ईरम नामक दुल्हन ने शहजाद नामक दूल्हे के साथ अपनी शादी ही रद्द कर दी।

अक्सर इस तरह की दुर्घटनाओं के बाद संबंधित थाने की पुलिस मौकाए वारदात पहुंच कर अभियुक्त के खिलाफ धारा 307 (हत्या का प्रयास) या फिर हत्या हो जाने के मामलों में धारा 302 के तहत प्राथमिकी दर्ज कर अपनी इति श्री कर लेती है।

अगर गोली लाइसेंसी हथियार से चलाई गई होती है तो हथियार लाइसेंस रद्द करने की रिपोर्ट भेज दी जाती हैऔर अगर बिना लाइसेंस का हथियार हुआ तो एक और धारा जोड़ दी जाती है। परंतु इससे क्या फर्क पड़ता है? फिर किसी दूसरी जगह हर्ष फायरिंग के नाम पर जाने अंजाने इसी तरह की दुर्घटना को दुहराई जारी है।

देश भर के विभिन्न इलाकों में शादियों या अन्य खुशी वाले समारोहों के दौरान जश्न मनाने के तौर पर हर्ष फायरिंग की अनगिनत घटनाएं सामने आती रहती है, परंतु सरकार और संबंधित प्रशासन सोया हुआ रहता है। कह सकते हैं कि सब कुछ जानते हुए भी आंखे मूंदे हुए रहती है। माननीय अदालत भी इन दुर्घटनाओं पर मौन बनी हुई है! जबकि अन्य छोटी से छोटी घटनाओं पर स्वतः संज्ञान लेते हुए मामले को देखती है।

हालाकि मंत्रालय ने हर्ष फायरिंग के दोषियों के लिए 2 साल की सजा और 1 लाख तक का जुर्माना लगाने का प्रस्ताव दिया है। फिर भी सरकार को चाहिए कि आर्म्स ऐक्ट 1959 में बदलाव कर हर्ष फायरिंग के खिलाफ सख्ती बढ़ाए या फिर इसे गैर कानूनी करार दे, जिससे की सार्वजनिक समारोह, धार्मिक स्थल, शादी की पार्टियों और दूसरे खुशी के मौकों पर हर्ष फायरिंग बिलकुल बंद हो।

देश के सभी नागरिकों से भी अनुरोध है कि हर्ष फायरिंग करने जैसी बुराइयों को दूर करने में लोगों को जागृत करें। क्यों की अपनी खुशी की खातिर आप हर्ष फायरिंग के नाम पर किसी भी नागरिक की जान नहीं ले सकते हैं या उनकी जान को जोखिम में डाल सकते हैं।

(नोट : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी व व्यक्तिगत है। इस आलेख में दी गई सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई है।)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

2 × 1 =