।।जिद्दी बनो।।
गोपाल नेवार, ‘गणेश’ सलुवा
देश की परिस्थिति ऐसे हो गए है
अच्छे-अच्छे पढ़े-लिखे नौजवान
लेकर डिग्री साथ में घूम रहे है।
नौबत कुछ ऐसे आ गए है
शिक्षित-अशिक्षित बेरोजगार सारे
गरीबी के कारण भूखे सो रहे है।
नौकरी की तलाश में उम्र ढ़ल गए है
उम्मीद, चाह, हौसला जो भी बचे थे
वे सारे वक्त से पहले ही खो रहे है।
छोड़ दो औरों पर भरोसा करना
छोड़ दो किसी पर आश लगाना
इसी में ही समझदारी होगी
जिद्दी बनो खुद ही कुछ करने की
छोड़ दो सोचना लोग क्या कहेंगे
तब ही भविष्य सफल होगी।