कोलकाता। पश्चिम बंगाल के बहुचर्चित शिक्षक नियुक्ति भ्रष्टाचार मामले में नए किरदार गोपाल दलपति और उसकी पत्नी हेमंती गांगुली के बारे में रोज चौकानेवाले राज खुल रहे हैं। अब पता चला है कि अपेक्षाकृत कम मशहूर दो चेंबर ऑफ कॉमर्स के कर्णधार गोपाल और हेमंती हैं। गोपाल कहीं गोपाल दलपति के नाम से है तो कहीं अरमान गांगुली के नाम से। इन दोनों चेंबरों के अंतर्गत 104 छोटी-बड़ी संस्थाएं हैं जिसके जरिए 30 करोड़ का निवेश हुआ है। इसका नेटवर्क पश्चिम बंगाल के साथ ही 11 राज्यों में फैला हुआ है।
सूत्रों ने बताया है कि कोलकाता और बेंगलुरु में दो अलग-अलग संस्थाओं का मालिकाना हेमंती के नाम पहले ही मिल चुका था। इसके बाद पता चला है कि 2013 से 14 के बीच कोलकाता के इंटाली इलाके में एक चेंबर की शुरुआत की गई थी। उसके कर्णधार गोपाल और हेमंती थे। इसके बाद पता चला है कि उसी चेंबर से संबंधित 58 संस्थाएं मध्यप्रदेश में हैं। जबकि बंगाल में 46 संस्थाएं हैं। इसके अलावा कर्नाटक, ओडिशा, हिमाचल प्रदेश और बिहार में एक-एक संस्थाएं हैं।
चार संस्थाएं मध्य प्रदेश और पंजाब में भी हैं। इनमें करीब 10 करोड़ का निवेश हुआ है जबकि कोलकाता में जो मर्चेंट चेंबर मिला है उसके नेटवर्क में 46 संस्थाएं हैं। इनमें से 36 बंगाल में हैं और बाकी बिहार, दिल्ली, महाराष्ट्र और गुजरात में एक-एक संस्थाएं हैं। मध्य प्रदेश और झारखंड में तीन-तीन संस्थाओं के बारे में पता चला है। इनके जरिए 30 करोड़ रुपये का निवेश हुआ है। अब इन तमाम लेन-देन का ब्यौरा ईडी खंगाल रही है।
दावा है कि शिक्षक नियुक्ति के नाम पर वसूली गई ब्लैक मनी को व्हाइट करने के लिए तमाम संस्थाओं का इस्तेमाल किया गया है। गोपाल दलपति तो दिल्ली में है लेकिन हेमंती कहां है, इस बारे में पता नहीं चल रहा। केंद्रीय एजेंसियां उसे ट्रेस करने में भी जुटी हुई हैं। इधर पुलिस को जब इस बात की भनक लगी है तो वह भी अलग से समानांतर जांच की तैयारी में है।