स्वप्न झरे फूल से, मीत चुभे शूल से
लुट गए सिंगार सभी बाग के बबूल से
और हम खड़े-खड़े बहार देखते रहे
कारवां गुजर गया गुबार देखते रहे!
इनका पूरा नाम गोपालदास सक्सैना ‘नीरज’ था। इनका जन्म : 4 जनवरी 1925 उत्तर प्रदेश में इटावा के पुरावली ग्राम में एक साधारण परिवार में हुआ था।बचपन में ही इनके पिता बाबू ब्रजकिशोर गुजर गए अतः इनका लालन-पालन अपने बुआ और फूफा बाबू हरदयाल प्रसाद (वकील) के यहां एटा में हुई इस हालत में वे अपने मां के स्नेह से वंचित होकर कठिन संघर्ष करते हुए आगे बढ़े और सन 1942 में एटा से प्रथम श्रेणी में हाई स्कूल की परीक्षा पास किया।
पद्म भूषण से सम्मानित हिन्दी साहित्यकार, कवि, शिक्षक एवं फ़िल्मों के प्रसिद्ध गीतकार थे। इन्हें शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में सरकार द्वारा दो-दो बार सम्मानित किया। जिन्होंने सरल हिंदी द्वारा कविता को एक नया आयाम दिया और युवा पीढी को सर्वाधिक प्रभावित किया। एक से बढ़कर एक गाने इन्होंने लिखें जो कि आज भी प्रसांगिक है और आगे भी रहेंगे। इन्होंने अपने गीतों के जरिए देश को एक नई दिशा दिखाया। इनकी मृत्यु : 19 जुलाई 2018 को 93 वर्ष की अवस्था में दिल्ली हुई, परंतु अपनी लिखी हुई कविताओं और गीतों में वे सर्वदा लोगों के दिलों में जिंदा रहेंगे।