माघ मास की महिमा

माघ मास 25 जनवरी से 24 फरवरी तक

वाराणसी। माघ मास की बड़ी भारी महिमा है। चार युगों में अलग-अलग प्रभाव होता है। कलियुग में दान का प्रभाव है, कभी यज्ञ का प्रभाव है, कभी सत्य का प्रभाव है लेकिन माघ मास के स्नान का प्रभाव चारों युगों में है। माघ मास में सूर्योदय से पहले कोई स्नान करता है तो गंगा स्नान माना जायेगा। शारीरिक फायदे तो होंगे ही होंगे लेकिन भगवान की प्रीति मिलेगी। माघ मास के सभी दिन पर्व हैं, सब जल गंगाजल, सब भूमि तीर्थमयी हैं।

माघ मास में सूर्योदय से थोड़ी देर पहले स्नान करना पाप नाशक और आरोग्यप्रद और प्रभाव बढ़ाने वाला है। पाप नाशनी उर्जा मिलने से बुद्धि शुद्ध होती है, इरादे सुंदर होते हैं।  पद्म पुराण में ब्रह्म ऋषि भृगु कहते हैं की तप परम ध्यानं त्रेता याम जन्म तथाह। द्वापरे व् कलो दानं। माघ सर्व युगे शुच।।

माघ मास में स्नान की चारो युग में बड़ी भारी महिमा है। सभी दिन माघ मास में स्नान कर सकें तो बहुत अच्छा नहीं तो 3 दिन तो लगातार करना चाहिए। बीच में तो करें लेकिन आखरी 3 दिन तो जरूर करना चाहिए। माघ मास का इतना प्रभाव है कि सभी जल गंगा जल के तीर्थ पर्व के समान हैं।

पुष्कर, कुरुक्षेत्र, काशी, प्रयाग में 10 वर्ष पवित्र शौच, संतोष आदि नियम पालने से जो फल मिलता है माघ मास में 3 दिन स्नान करने से वो मिल जाता है, खाली 3 दिन। माघ मास प्रात: स्नान सब कुछ देता है। आयु, आरोग्य, रूप, बल, सौभाग्य, सदाचरण देता है।

माघ प्रात: स्नान से विद्या निर्मल, कीर्ति बढ़ती है, आरोग्य और आयुष्य, अक्षय धन की प्राप्ति होती है। जो धन कभी नष्ट ना हो, वह अक्षय धन की भी प्राप्ति होती है। समस्त पापों से मुक्ति और इंद्र लोक की प्राप्ति सहज में हो जाती है अर्थात स्वर्ग लोक की प्राप्ति। पद्म पुराण में वशिष्ट जी भगवान कहते हैं, वैशाख में जल, अन्न दान उत्तम हैं। कार्तिक में तपस्या और पूजा, माघ में जप और होम दान उत्तम है।

प्रिय वस्तु अर्थात रूचिकर वस्तु का त्याग करने से व्यक्ति वासनाओं की गुलामी के जंजाल को काटने का बल ले आता है। नियम पालन – पवित्र नियम पालने से अधर्म की जड़े कटती हैं। जो लोग तत्वज्ञान सुनते हैं लेकिन अधर्म करते रहते हैं तो तत्वज्ञान में रूचि नहीं होती, तत्वज्ञान उनको पचता नहीं है।

इस मास में पति-पत्नी के सम्पर्क से दूर रहनेवाला व्यक्ति दीर्घायु होता है और सम्पर्क करनेवाले के आयुष्य का नाश होता है। भूमि पर शयन अथवा गद्दा हटाकर पलंग पर सादे बिस्तर पर शयन करें।

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पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री

ज्योतिर्विद् वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 9993874848

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