मुजफ्फरपुर । शहीद भगवान लाल स्मारक भवन स्थित श्री नवयुवक समिति के सभागार में नटवर साहित्य परिषद की ओर से मासिक कवि सम्मेलन सह मुशायरा का आयोजन किया गया। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि शुभनारायण शुभंकर, मंच संचालन सृजन गवाक्ष पत्रिका के संपादक व वरिष्ठ कवि-गीतकार डॉ. विजय शंकर मिश्र, स्वागत भाषण नटवर साहित्य परिषद के संयोजक डॉ. नर्मदेश्वर प्रसाद चौधरी व धन्यवाद ज्ञापन डॉ. लोकनाथ मिश्र ने किया। कवि सम्मेलन की शुरुआत आचार्य श्री जानकी वल्लभ शास्त्री जी के गीत – ‘मैं गाऊं तेरा मंत्र समझ, जग मेरी वाणी कहें, कहें ‘ से किया गया। वरिष्ठ कवि डॉ. विजय शंकर मिश्र ने अपनी कविता – ‘दुश्मनी ने क्या दिया कह दे जरा कोई मुझे, आदमियत गर नहीं तो क्या शिवालय बंदगी’ सुनाकर भरपूर तालियां बटोरी।
नटवर साहित्य परिषद के संयोजक डॉ. नर्मदेश्वर प्रसाद चौधरी ने अपनी ग़ज़ल – ‘करीब मौत खड़ी है ज़रा ठहर जाओ, कज़ा से आँख लड़ी है जरा ठहर जाओ’ सुनाकर भरपूर दाद बटोरी। वरिष्ठ कवि शुभनारायण शुभंकर ने – ‘बेटियां अनमोल हैं हम और खोएंगे नहीं’ सुनाकर तालियां बटोरी। वरिष्ठ कवि डॉ. लोकनाथ मिश्र ने – ‘झड़ते हैं पतझड़ में पते पर पतझड़ कब आता है’ सुनाकर तालियां बटोरी। युवा कवि सदैव सौरभ ने – ‘रही न अब मेरे अन्दर पुरानी बाते, तुम्हें याद है क्या अब भी हमारी बाते’ सुनाकर तालियां बटोरी। भोजपुरी के वरिष्ठ कवि सत्येन्द्र कुमार सत्येन ने भोजपुरी लोकगीत – ‘लिप पोत करेली धनिया घर रे अगनवा आवत होइहें परदेशिया सजनवा’ सुना कर भरपूर तालियां बटोरी।
शायर महफूज आरिफ ने – ‘मुझको खुश्बू की तरह दिल में बसाए रखना, मैं तेरा ख्वाब हूं आँखों में छुपाए रखना’ सुनाकर तालियां बटोरी। कवयित्री सविता राज ने कविता – ‘स्वजनों को भी निकृष्ट प्रतीत होने लगती नारी, जब चुराने लगती वक्त से थोड़ा वक्त स्व हेतु’ सुनाकर भरपूर तालियां बटोरी। युवा कवि सुमन कुमार मिश्र ने कविता – ‘मिले नहीं जो मन आपस में, नजर मिलाना बहुत कठिन है’ सुनाकर दाद बटोरी। वरिष्ठ कवि शशि रंजन वर्मा ने बज्जिका कविता – ‘बिन हाथी बिन घोड़ा के चांद पे पहुंचब कहियोले’ सुनाकर भरपूर तालियां बटोरी। हास्य कवि अचानक ईश्वर ने हास्य कविता – ‘नववर्ष में मेरी नई – नई लुगाई बोली, चलो जी चलो कहीं दूर चलते है हम’ सुनाकर तालियां बटोरी। कवि ओमप्रकाश गुप्ता – ‘खुद्दारी का दावा करते हैं नकली चेहरे वाले’ सुनाकर तालियां बटोरी।
युवा कवि राम कुमार ने कविता – ‘हे वीरांगना भारत के नारी, दीपक के लौ जैसी है न्यारी’ सुनाकर तालियां बटोरी। वरिष्ठ कवि विजय शंकर प्रसाद ने – ‘अंधेरा की अपनी है कहानी, बेवफाओं के वहां पर सरगम, सच पर सवाल से हानि झूठ से तो क्षणिक बेदम’ सुनाकर तालियां बटोरी। वरिष्ठ कवि मोहन कुमार सिंह ने – ‘क्या भूलूं क्या याद करूं, कहाँ जाकर फरियाद करूं’ सुनाया। वरिष्ठ कवि डॉ. जगदीश शर्मा ने – ‘मैं नामचीन प्राचीन कवि निराला हूं’ सुनाया। युवा कवि सागर कुमार ने – ‘वो इश्क से जो इक नज़र कर देंगे, अच्छे-अच्छों को यहां दर बदर कर देगी’ सुनाया। कवि सहज कुमार ने ‘जीवन के भागा भागी में, रात दिन के जागा जागी में’ सुनाकर तालियां बटोरी। कवि कमलेश दिग्दर्शी, रणवीर अभिमन्यु, योगेश आनंद, अर्जुन कुमार ने भी अपनी रचनाओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।