‘छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती’ के शुभ अवसर पर बही काव्य की गंगा

कोलकाता। छत्रपति वीर शिवाजी महाराज की जयंती’ के शुभ अवसर पर श्रीराम वन गमन पथ काव्य यात्रा को समर्पित आभासी कवि संगोष्ठी को अंजाम देते हुए राष्ट्रीय कवि संगम पश्चिम बंगाल की नवगठित दक्षिण हावड़ा जिला इकाई ने बंगाल के प्रांतीय अध्यक्ष डॉ. गिरिधर राय जी की अध्यक्षता में, एक सराहनीय पहल करते हुए, ओज एवं वीर रस से परिपूर्ण काव्य की गंगा प्रवाहित की। उक्त कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ से मल्लिका रुद्रा विशिष्ट अतिथि एवं बंगाल के प्रांतीय महामंत्री राम पुकार सिंह मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।

संस्था की संरक्षक शुची रुंगटा एवं शैली कटारुका, संस्था की कोषाध्यक्ष नीलम मिश्रा एवं भोजपुरी के प्रख्यात कवि (जिन्हें भोजपुरी में उत्कृष्ट लेखन के लिए साहित्य अकादमी भाषा सम्मान देने की घोषणा हुई है) – अनिल ओझा ‘नीरद’ ने भी उपस्थित रहकर सभी रचनाकारों को प्रोत्साहन और आशीर्वाद दिया। हावड़ा जिला की अध्यक्ष हिमाद्रि मिश्रा के संयोजन में हुए इस कार्यक्रम का कुशल संचालन किया हावड़ा जिला इकाई की मंत्री मनोरमा झा ने।

इस अवसर पर हिमाद्रि मिश्रा ने विशेष रूप से संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगदीश मित्तल ‘बाबूजी’ के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा – ‘बाबूजी के संकल्प को पूरा करने के लिए हम सभी दृढ प्रतिज्ञ हैं और भारत के नव राष्ट्रीय जागरण के लिए निरंतर प्रयास करते रहेगें। कार्यक्रम का शुभारम्भ गीतकार आलोक चौधरी द्वारा मधुर सरस्वती वन्दना की प्रस्तुति के साथ हुआ। प्रांतीय मंत्री बलवंत सिंह गौतम ने छत्रपति शिवाजी की देश एवं धर्म के प्रति लगाव, उनका जुझारूपन, उनकी सेना में सर्व धर्म को मान्यता, उनके द्वारा नौ सेना का प्रारम्भ एवं उनका नारी के प्रति विशेष सम्मान – जैसे अनेक पहलुओं से सभी को अवगत कराया।

तत्पश्चात, सभी रचनाधर्मियों ने अपनी-अपनी रचनाओं से सभी को भाव विभोर कर दिया। इन रचनाओं में हिमाद्रि मिश्रा की ‘यह पावन धरती वीरों की’, स्वागता बसु की ‘आज वसंत को आने दो’, रीमा पांडेय की ‘जब ज़रूरत हुई मन ये हारा मिला’, श्यामा सिंह की ‘कौन कहता है हवा बेरंग है’, मनोरमा झा की ‘धन्य हुई भारत की धरती’, आलोक चौधरी की ‘खोया इतिहास कहीं से ला दो’, ऋषिका सरावगी की ‘कहानी सर्वगुण संपन्न शिवाजी की निराली’ रामचन्द्र झा ‘मिलन’ की ‘माननीय प्रधानमन्त्री जी’, विनय भूषण ठाकुर की ‘लहू का पहिया चले रे’, शंभुनाथ मिश्र की ‘अभिनन्दन हे मातृभूमि के महा सपूत’, मथुरा के आदित्य आर्य की ‘मेरा भारत विश्व गुरु था’, पुकार “गाजीपुरी” की ‘गौरव मराठा के रहे आजादी के मतवाले थे’ विशेष रूप से सराही गयी।

अंत में अध्यक्षीय वक्तव्य रखते हुए डॉ गिरधर राय ने शिवाजी महाराज के कवि भूषण से मिलने का रोचक प्रसंग की चर्चा करते हुए अपनी चिर प्रचलित मंचीय कविता सुनाई ‘मेरा क्या मैं तो ऐसे ही गीत सुनाऊंगा’ जिसने सभी के ह्रदय को अभिभूत कर दिया।इस अवसर पर दर्शक दीर्घा में मध्य कोलकाता के अध्यक्ष रामाकांत सिन्हा, देवेश मिश्रा, सुनीता झा, नीलम मिश्रा, अंतरा मिश्रा एवं मेनका ठाकुर सहित अनेक सुधि जन उपस्थित रहे। अंत में शंभुनाथ मिश्र ने धन्यवाद ज्ञापन कर कार्यक्रम को सफलतापूर्वक सुसंपन्न किया।

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