विनय सिंह बैस, नई दिल्ली । सौदर्य प्रतियोगिताओं के फाइनल राउंड में दुबली-पतली, कुपोषण की शिकार विश्व सुंदरियों से निर्णायक बहुत गंभीरता से प्रश्न पूछते हैं –
“आपके जीवन का उद्देश्य क्या है? भविष्य में आप मानवता के लिए क्या करना चाहेंगी?”
तो सुंदरियों का बिल्कुल दिल से निकला हुआ मार्मिक जवाब होता है-
“1. मैं गरीबों की सेवा करना चाहती हूं।
2. मैं सबको प्यार बांटना चाहती हूं।
3. मैं समाज में समता स्थापित करना चाहती हूं। काले-गोरे का भेद मिटाना चाहती हूं। ब्लैक लाइव मैटर्स ”
ब्ला ब्ला ब्ला।।।।
यह तो हुई थ्योरी। प्रैक्टिकल दुनिया में, मैं भारत की कम से कम तीन विश्व सुंदरियों को जानता हूँ जो अपने वचन पर बिल्कुल खरी उतरी हैं।
1. एक ने मजलूम सलमान खान और कुपोषित विवेक ओबरॉय को प्यार देने के बाद एक गरीब महानायक के बेरोजगार बच्चे की सेवा करने हेतु उससे शादी कर लिया। उसे ऐश्वर्य प्रदान किया और खुद को बच्च(lन)
2. दूसरी विश्व सुंदरी ने टेनिस डबल्स के मशहूर खिलाडी, जो अपनी पत्नी से तलाक के बाद सिंगल हो गया था। उससे शादी करके, उसे फिर से डबल कर भूपति बना दिया। उसके बाद दोनों का जीवन लारा-लारा हो गया।
3. तीसरी और मेरी सबसे फेवरेट विश्व सुंदरी ने समाज में समता स्थापित की। काले-गोरे, बूढ़े-बच्चे, हिंदू-मुस्लिम का कोई भेद न रखा। कुल 11 लोगों को आधिकारिक रूप से प्यार बांटा। अनाधिकारिक वालों की गिनती फिलहाल जारी है–
और
उस दयालु और आत्मनिर्भर महिला ने अंत मे भारत देश से भागे हुए एक हताश-निराश, निराश्रित, दबे कुचले व्यक्ति को सहारा देखकर समाज और मानवता के प्रति अपने कर्तव्य का परिचय दिया। आज दोनों प्रकृति की ‘सुषमा’ निहारते हुए एक दूसरे की गोद मे ‘मोद (दी)’ मना रहे हैं।
हमारे यूपी के एक समाजवादी नेता के शब्दों में कहें तो-
“हाऊ कैन यू रोक ए विश्व सुंदरी फ्रॉम समाजसेवा एंड मानवता सेवा??”