अशोक वर्मा “हमदर्द” की कलम से : भारत पुनः स्वर्णिम पथ की ओर

अशोक वर्मा “हमदर्द”, कोलकाता। भारत का परिचय वैदिक काल में स्वर्णिम भारत का रहा है। किंतु काल चक्र के प्रभाव से यह भारत बहुत दिनों तक गुलाम भी रहा और विदेशी आक्रांताओं के लूट का भी शिकार हुआ। आजादी के बाद भारत ने बहुत कष्ट भी झेले जिसमें अनुशासन हीनता प्रमुख रहा। अब समय बदला है, भारत सुनहरे भविष्य की ओर अग्रसर हो रहा है। जिसके जय जय की गूंज सात समंदर पार तक सुनने को मिल रही है। भारत की अपनी कुछ समस्या है लेकिन ये समस्या क्षितिज पर फैले प्रकाश को नही रोक सकती। भारत में वर्तमान सरकार का उद्देश्य अगर पूर्ण हुआ तो भविष्य में गरीबी एवम अल्प विकास का नामों निशान नहीं रहेगा। वह दिन दूर नही जब हमारे देश का प्रत्येक क्षेत्र उन्नति के पथ पर आगे की तरफ बढ़ता रहेगा जहां प्रत्येक समुदाय व प्रत्येक नागरिक भारत के समृद्धि एवं प्रगति रूपी फल का रसास्वादन करेगा।

इन 9 सालों में प्रजातंत्र विकास और सुरक्षा की दिशा में हमारी सरकार की अद्वितीय उपलब्धियां और प्रयासों से भारत अग्रसर हुआ। राजनैतिक स्थिरता सामाजिक शांति अर्थव्यवस्था में उफान और विवादित मुद्दों को सुलझाने के लिए ठोस एवं साहसी कदम तथा भारत की अंतर्राष्ट्रीय जगत में बढ़ती साख ऐसे कई पैमाने है जिनके पैमाने पर आम भारतीयों का उत्साह तथा राष्ट्र का आत्म विश्वास मापा जा सकता है। अर्थव्यवस्था के मायने में एक नया भारत का उदय हुआ है। जहां गरीबी और बेरोजगारी को तेजी से दूर करनें के लिये तीव्र आर्थिक वृद्धि करना है। केंद्रीय सांख्यिकी संगठन द्वारा वर्ष 2021-2022 के लिए अनुमानित सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर 8.9 प्रतिशत है जो राष्ट्रीय संपत्ति में सर्वाधिक वार्षिक वृद्धि है। लंबे समय से मुद्रास्फीति में कमी बनी हुई है।

अशोक वर्मा “हमदर्द”, लेखक

गृह मामले पर ध्यान दिया जाय तो दंगा जैसे शब्द देश से खत्म हो चले है। अन्य सरकारों की तुलना में विगत 9 वर्षों में सांप्रदायिक और जातिगत हिंसा में उल्लेखनीय कमी हुई है। नक्सलवाद भी इस सरकार में अब दम तोड़ता नजर आ रहा है। विदेश नीति पर अगर ध्यान दिया जाय तो दुनियां भर में भारतीय प्रतिष्ठा बढ़ी है। जो राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय में भारत की प्रतिष्ठा और सम्मान को बढ़ाया है। विदेश नीति के लुक – ईस्ट आयाम ने दक्षिण-पूर्व और पूर्व-एशियाई देशों के साथ साथ पूरे विकसित देशों के पारंपरिक संबंधों में नए प्राण फूंक दिए है। अगर देश की रक्षा पर ध्यान दिया जाय तो जय जवान का उद्घोष और प्रधान मंत्री मोदी के जवानों के साथ संबंधों में भारत के जवानों का मनोबल बहुत बढ़ा है। आज हमारी सेना हर विषम परिस्थितियों में हौसला के साथ लड़ने में पारंगत है। जो समय आने पर दुश्मनों के दांत खट्टा कर सकते है।

रक्षा स्वदेशीकरण में तेजी से बढ़ावा भी भारत को विश्व के संवृद्ध देशों के श्रेणी में लाकर खड़ा करता है। कृषि के क्षेत्र में भी जय किसान पहले के स्लोगन किसानों के विकसित श्रेणी में रखता है। भारत में हरित क्रांति लाने के लिये सरकार किसानों के प्रति मुखर हुई है जिसे सस्ते व्याज दर पर बीज खाद पानी देने को राजी है। किसान क्रेडिट कार्ड द्वारा 9.00 प्रतिशत सालाना व्याज दर पर लोन उपलब्ध है, जिसकी सीमा 25 हजार से 3 लाख रूपये है जो किसान को साहूकारों से मोटे दर पर व्याज से मुक्ति दिलाता है। किसानों को सर्वोत्तम मूल्य दिलाने के लिये और खाद्यानों को मुक्त व्यापार और संचलन को सुगम बनाने हेतु आवश्यक वस्तु अधिनियम (1955) में संशोधन कर इसे सुगम बनाना है। देश के हर घर में पेय जल पहुंचाने को भी यह सरकार वचनबद्ध है जिसका कार्य प्रगति पर है।

हरियाली नामक एक नई पहल जिसे जल संभरण के शीघ्र विकास के लिए आरंभ किया गया प्रयास को पंचायतों द्वारा कार्यान्वित किया गया है। खाद्य सुरक्षा पर ध्यान दिया जाय तो देश को भूख-मुक्त भारत का निर्माण हुआ है। कोरोना काल से लेकर 2023 मे भी अबतक मुफ्त में कार्ड धारक को अनाज मुहैया कराया जा रहा है। जो देश के समृद्धि को उजागर करता है। अंत्योदय अन्न योजना विश्व की सबसे बड़ी खाद्य सुरक्षा योजना है। एक तरफ जहां भारत के पड़ोसी देशों के लोग भुखमरी की मार झेल रहे है वहीं भारत के लोग अन्न धन का लाभ उठा रहे है। ग्रामीण विकास पर अगर देखा जाए तो हमारे गांव भी अब सशक्त होते जा रहे है जहां ग्रामीण रोजगार योजना जैसे प्रकल्प से ग्रामीणों को मजबूती मिल रही है। सम्पूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना से स्थाई ग्रामीण आधारभूत ढांचे का विकास होता है तथा प्रति वर्ष 100 करोड़ श्रम दिवसों का रोजगार सृजित होता है।

प्रधानमंत्री ने खादी तथा ग्रामोउद्योग कार्यक्रमों का तेजी से विकास करनें के लिए एक बड़े खादी पैकज की घोषणा की है। हर घर शौचालय का निर्माण कर गावों को 80 प्रतिशत बीमारियों और स्वच्छ पेय जल के कमी को भी दूर किया है।लघुउद्योग के क्षेत्र में भी बड़े ही सहज तरीके से ऋण देकर लघु उद्योग को बढ़ावा देने का कार्य भी इस सरकार ने किया है। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग से नियंत्रण हटा लिया गया है और इसे लाइसेंस से मुक्त कर दिया गया है। अब यह क्षेत्र ऋण के लिए प्राथमिकता सूची में है। डिजिटल संपर्क यानी सबके लिए संचार सुविधा को भी सरकार ने सहज किया है। एक समय था जब फोन बड़े लोगों के लिए था मगर अब हर हाथ में यह सुविधा दिखता है। डिजिटल क्रांति का लाभ लॉक डाउन में समझ आया जब घर बैठे लोग अपना हर कार्य सुगमता से करते रहे खास कर शिक्षा और आई टी सेक्टर। भारत में 5जी जैसे सुविधा भी आ गए है जिससे संचार को एक और तेज गति मिलेगी।

समाचार और मनोरंजन पर ध्यान दिया जाय तो इस में एक नई लहर देखने को मिली है। एक समय ऐसा था जब हम समाचार के लिए राष्ट्रीय चैनलों की वाट जोहते थे शनिवार और रविवार को हमें फिल्म देखने को मिलती थी। किंतु अब ऐसा नहीं रहा। तमाम चैनल आपके सेवा में जहां प्रस्तुत है वहीं लाखों लोगों का रोजगार सृजन हो रहा है। हर हाथ मोबाईल हर व्यक्ति पत्रकार बन गया है। जिसकी वजह समाचार माध्यम भी बढ़ा है और हर खबरें मिनटों में लोगों तक पहुंच रही है। फिल्म निर्माण क्षेत्र को उद्योग का दर्जा भी अब दिया जा चुका है जिससे इस क्षेत्र को बैंकों और वित्तीय संस्थानों से धन मिल सकेगा और इस प्रकार यह क्षेत्र धन के लिये अवांछनीय स्त्रोतों पर निर्भर नही रहेगा। सूचना प्रद्योगिकी के क्षेत्र में भी भारत को गौरवान्वित भारत की श्रेणी में रख सकते है जहां भारत कंप्यूटर सॉफ्टवेयर उद्योग भारतीय अर्थ व्यवस्था में सबसे तेजी से विकास करने वाले क्षेत्रों में से एक है।

शिक्षित युवाओं के लिये रोजगार के लिये यह एक बहुत बड़ा प्लेटफॉर्म साबित हुआ है। भारत में ई-कॉमर्स के विकास को बढ़ावा देने और साइबर अपराधों के निवारण के लिए कानून की भी व्यवस्था की गई है जिससे यह क्षेत्र सुरक्षित और सुगम तरीके से आगे बढ़े। भारत के राज मार्गों और वर्तमान के सरकार की तुलना की जाय तो यह हमारे गौरव को बढ़ाता है 1950-51 में राष्ट्रीय राजमार्गों की लम्बाई 19.811 किलोमीटर थी जो जो वर्तमान की सरकार में 2021-22 में बढ़ कर 1,40,995 हो गई है वहीं 2013-14 में 4,260 किलो मीटर की तुलना में 2021-22 में 13,327 किलो मीटर राष्ट्रीय राज मार्ग का निर्माण किया जा रहा है जो इस सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि है। हाल हीं के दिनों में सरकार ने ऐलान किया था की 2022-23 में 18 हजार किमी राष्ट्रीय राजमार्ग बनाएगी। जो 50 किमी प्रति दिन की रिकॉर्ड गति से निर्माण कार्य जारी है। वहीं प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना में भी क्रांति आई है जो गांव को शहर से जोड़ने की केंद्रीय प्रायोजित योजना है।

भारत में जल संसाधनों को जोड़ना भी इस सरकार के व्यापक सोच का नतीजा है जहां देश के कुछ भागों में सूखे की सतत समस्या तथा कुछ अन्य भागों में बाढ़ की समस्या के दीर्घकालीन समाधान के लिए पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के सपनों को भारत की बड़ी नदियों को समयबद्ध ढंग से आपस में जोड़ने की घोषणा को मूर्त रूप देना है।रेल के क्षेत्र में भी भारतीय रेल तीव्रतर गमन सुरक्षित आगमन को लेकर आगे बढ़ रही है। जहां रेलवे ने दूरदराज तथा पिछड़े क्षेत्रों की लंबे समय से लंबित सभी रेल परियोजनाओं का कार्य पूरा करनें के लिए वचन बद्ध है। साथ ही साथ कई नई परियोजनाओं पर भी भारतीय रेल काम कर रही है। वायु मार्ग को जोड़ने का भी कार्य भारत सरकार कर रही है।

जिससे घरेलू उड़ान को बढ़ावा मिलेगा जहां एक व्यापक और प्रगतिशील नागर विमानन नीति के घोषणा का लाभ भारतीयों को मिलेगा ऊर्जा सुरक्षा की बात की जाय तो एलपीजी गैस सिलेंडर के कनेक्शन लेने के लिए वर्षों का प्रतीक्षा समाप्त हो गया है। अब तो भारत में खाना पकाने के स्वच्छ ईंधन और बिजली की आपूर्ति का लगभग 100 प्रतिशत पहुंच हासिल कर ली है। 1947 से 1987 तक 40 वर्षों में जहां 3.37 करोड़ कनेक्शन दिए गए थे वहीं आज भारत के दूर दराज के सुदूर गांवों तक भी यह ईंधन उपलब्ध है। विद्युत के क्षेत्र में भी भारत अंधेरे में रोशनी की किरण बिखेरा है जिसका श्रेय इस सरकार को जाता है। विद्युत क्षेत्र में समयबद्ध एवं बेहद जरूरी सुधार लाने के लिये राज्य सरकारों के साथ राजनीतिक आम सहमति बनाकर इसका लाभ सबको दिया गया। विद्युत क्षेत्र को सशक्त बनाने के लिये अधिक क्षमता बढ़ाने को प्रोत्साहित करने, वितरण में सुधार लाने, उपभोक्ताओं को संरक्षण, बिजली की चोरी रोकने आदि के लिये एक अत्यंत महत्व पूर्ण अधिनियम बनाया गया है और लोगों को बिजली के कटौती की समस्या से निजात मिला है।

इस्पात व कोयला के महत्वपूर्ण क्षेत्र का भी सुदृढ़ीकरण कर सरकार ने लौह इस्पात के क्षेत्र में स्वचालित रूट के माध्यम से शतप्रतिशत विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की अनुमति देकर लाभ बढ़ाया है। कोयले व इस्पात के चोरी पर भी सरकार अपनी सख़्त रवैया अपनाकर इस क्षेत्र को सुदृण बनाया है। इस सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम में बढ़ते लाभ के लिए केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के कई उपक्रमों ने अपनें कामकाज व उत्पादकता में काफी अधिक सुधार किया है। कपड़ा उद्योग के लिये भी इस सरकार ने पुनरुद्धार की नीति तैयार किया है। जिससे एकीकृत इकाइयों के 8-9 प्रतिशत तक की काम व्याज सहित प्रयाप्त सहायता उपलब्ध कराया जा रहा है जो इस योजना के लिए सहायक होगा। आवास योजना की बात करें तो pmay के तहत् ग्राम से शहर के तमाम कच्चे मकान को छत के रूप में परिणित करने की योजना है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के जय विज्ञान की पहल को यह सरकार पूरा करने जा रही है। प्रधान मंत्री ने लाल बहादुर शास्त्री जी द्वारा दिए गए प्रेरणादायक नारे जय जवान जय किसान के साथ जय विज्ञान को जोड़ा है।

अंतरिक्ष को लेकर भी हमारी सरकार ने सफलता की नई ऊंचाइयों को छुआ है जो भारत के लिये एक सुखद अहसास है। इस सरकार ने पर्यटन और संस्कृति को लेकर भी बहुत सारे आयाम खड़े किए है जिनके माध्यम से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और लोगों को भारत की विरासत का दर्शन करने का मौका मिलेगा। भारत सरकार के इस प्रयास से पर्यटन अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया है। मानव संसाधन विकास की बात की जाय तो सभी को अच्छी शिक्षा मिले उसके लिए 6 से 14 वर्ष की आयु से सभी बच्चों को मुफ्त शिक्षा व अनिवार्य शिक्षा प्रदान करनें के लिये क्रांतिकारी संविधान संशोधन अधिनियम बनाया गया है।भारत में आईआईटी विश्वविद्यालयों की सूची में भी बढ़ोतरी की गई है।इंजीनियरिंग महाविद्यालयों, क्षेत्रीय इंजीनियरिंग महाविद्यालयों तथा बिहार इंजीनियरिंग कॉलेज को राष्ट्रीय प्रद्योगिकी संस्थान का दर्जा दिया गया है।

सबके लिए स्वास्थ के गति के लक्ष्य को तेज किया गया है जहां हर राज्य को एक एम्स देने का लक्ष्य रखा गया है।सामाजिक सुरक्षा, जनजाति मामले, खेल एवं युवा मामले, विधिक सुधार, पर्यावरण सुरक्षा, पूर्वोत्तर राज्यों का विकास, रोजगार सृजन जैसे क्षेत्र में भी सरकार ने बहुत बारीकी से इसे नये आयाम देने की पहल की है। कुल मिलाकर कहा जाए तो देश में आजादी के 67 साल के तमाम कार्यों को महज 9 साल में एक नई ऊर्जा दी गई है जो स्वर्णिम भारत उन्नत भारत के रूप में परिणित होने जा रहा है। अब देखना है की 2024 के लोकसभा चुनाव में जनता को यह विकास पसंद आता है या दलगत राजनीति या फिर जातिगत, भाषा प्रांत अथवा धर्म की राजनीति। यह तो समय बताएगा किंतु मेरा मानना है की जनता को आगे की सोच को रख कर अपना फैसला बरकरार रखना है।

(स्पष्टीकरण : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी व व्यक्तिगत है। इस आलेख में दी गई सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई है।)

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