आशा विनय सिंह बैस की कलम से : चाय बनाम कॉफी!!

1.चाय में अपनापन है क्योंकि इसके – मसाला चाय, अदरक चाय, तुलसी पत्ती चाय, रामप्यारी चाय, नींबू चाय, काली चाय जैसे देसी नाम होते हैं। काफी पराई है क्योंकि इसके – एस्प्रेसो… कैपुचिनो… लाटे… कैफे अमेरिकानो… मोचा… आयरिश कॉफी… लॉंग ब्लैक… जैसे विदेशी नाम होते हैं।

2. चाय किफायती है। मैंने अपने अब तक के जीवन में सबसे महंगी ₹99 की साकेत मैक्स अस्पताल (जी हां अस्पताल) में पी है। कॉफी एलीट वर्ग के लिए है। यह बहुत महंगी है। मैंने अब तक की सबसे महंगी कॉफी नेहरू प्लेस के स्टारबक्स में पी है जिसकी कीमत ₹450 थी। वहां पर इससे भी महंगी कई किस्म की कॉफी थी।

3. चाय पिलाने वाला प्रधानमंत्री बन सकता है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण देश के सामने है। कॉफी पिलाकर कोई मंत्री भी बना हो, ऐसा कोई उदाहरण फिलहाल हमारे सामने नहीं है।

4. शादी का ख्याल आने पर प्रेमिका की मां चाय पर बुलाती है। कम से कम मैंने तो आज तक किसी प्रेमिका की मां को अपने भावी दामाद को कॉफी पर बुलाते नहीं सुना।

5. चाय के पौधे की कोमल पत्तियां महिलाएं अपने कोमल हाथों से तोड़ती हैं, इसीलिए चाय में नफासत, नजाकत और पवित्रता है। दुनिया की सबसे अच्छी कॉफी, जिसके एक कप की कीमत लगभग 6 हजार रुपए होती है, वह बिल्ली की तरह दिखने वाले सिवेट (Civet) नाम पशु के मल से तैयार होती है। छी छी छी–

6. कट चाय, हाफ चाय पीने से सामाजिकता और दोस्ती बढ़ती है। कॉलेज लाइफ से लेकर कार्यालय तक हम लोग इसी तरह सामाजिकता और दोस्ती बढ़ाते रहे हैं। कॉफी बांटकर पीने का कोई आधिकारिक तरीका नहीं है। इसलिए कॉफी पीना एकाकीपन बढ़ाता है, अहंकार को जन्म देता है।

7. देश के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति ‘चाय पर चर्चा’ करते हैं। बॉलीवुड को भांडवुड बनाने वाले “कॉफी विद करन” नामक शो करते हैं।

8. चाय को ‘चाह’, ‘चाआआय’, ‘चियायाय’ आदि तमाम तरह से उच्चारित कर सकते हैं। कॉफी को सिर्फ आप कॉफी ही कह और बोल सकते हैं।

9. चाय बोलने से सुंदरी के होठों की लाली चिपकती नहीं है। इससे सुंदरी के आशिक या पति का खर्चा बचता है। कॉफी उच्चारित करने से लिपस्टिक बर्बाद हो जाती है। (कह के देख लीजिए) तात्पर्य यह है कि काफी का नाम लेना ही व्यय बढ़ाता है।

10. चाय को बीड़ी, सिगरेट के साथ पिया जा सकता है। लोग कहते हैं इससे तनाव दूर होता है और शरीर में स्फूर्ति आती है। कॉफी के साथ धूम्रपान का कोई कॉन्बिनेशन नहीं बैठता है।

11. घूस लेने वाले ‘चाय-पानी’ का खर्चा मांगते हैं। इससे ही हम दुखी हो जाते हैं। सोचो कहीं घूसखोर ‘काफी-पानी’ का खर्चा मांग लें, तो हमारा क्या हाल होगा??

12. चाय दिखावा नहीं करती। जितनी होती है, कप में उतनी ही दिखती है। काफी दिखावा करती है। इस का झाग पूरा कप भरा होने का भ्रम पैदा करता है।

13. पति-पत्नी साथ बैठकर चाय पीते हैं। इसलिए उनका संबंध टिकाऊ होता है। सात जन्मों तक बना रहता है। बॉयफ्रेंड-गर्लफ्रेंड साथ बैठकर किसी महंगे रेस्टोरेंट में कॉफी पीते हैं इसलिए उनका संबंध क्षणभंगुर होता है। हमारे मित्र संजीव जी कहते हैं कॉफी पीने वालों का संबंध 11 महीने से अधिक नहीं टिकता है।

14. चाय देश के हर हिस्से, उत्तर-दक्षिण, पूरब-पश्चिम, शहर-गांव, अमीर-गरीब सबके घर में मिलेगी। इसलिए चाय पीने वाले मिलनसार होते हैं, कहीं भी घुलमिल जाते हैं। कॉफी रईसों की पहचान है। यह सिर्फ शहरों, बड़े कस्बों में मिलती है। इसलिए कॉफी पीने वाले एकाकीपन का जीवन जीते हैं।

“जो खानदानी रईस हैं, वह चाय पीते हैं। तुम्हारा कॉफी पीना बता रहा है, तुम्हारी दौलत नई-नई है।।”

आशा विनय सिंह बैस, लेखिकाndi

(आशा विनय सिंह बैस)
खानदानी रईस

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