आशा विनय सिंह बैस की कलम से…चाय बनाम कॉफी!!

1. चाय में अदरक, चीनी, इलायची, लौंग, तुलसीपत्ती जैसे घरेलू सामानों का उपयोग होता है, इसलिए चाय घरेलू है।
2. चाय ‘रामपियारी’ होती है, इसलिए चाय देसी और भक्तिमय है।
3. कुल्हड़ वाली चाय पीने से हम देश के विभिन्न भागों की मिट्टी को चूमते हैं, इसलिए चाय पीना देशभक्ति है।
4. चाय का कुल्हड़ बनाने वालों के श्रम और कारीगरी को हम चाय पीकर मान और सम्मान देते हैं, इसलिए चाय पीना ‘सर्वहारा वर्ग’ का सम्मान करना है।
5. मित्रों के साथ चाय पीने से दोस्ती और मजबूत तथा प्रगाढ़ होती है, इसलिए चाय फ़्रेंडशिप बैंड जैसी है।
6. अपनी मनपसंद गोरी के हाथ से चाय पीकर प्यार और परवान चढ़ता है, इसलिए चाय प्रेमियों का सोमरस है।

7. घूस लेने वाले बाबू हमेशा ‘चाय-पानी’ के पैसे मांगते हैं, इसलिए चाय को कार्यपालिका का भी प्रश्रय प्राप्त है।
8. रात-रात भर जागकर परीक्षाओं की तैयारी करने वाले चाय पीकर ही नींद भगाते हैं, इसलिए चाय प्रतिभागियों का ‘लोकल अभिवावक’ है।
9. चाय सस्ती और सुलभ है, इसलिए ‘साम्यवादी’ है।
10. हर वर्ग, जाति और धर्म के लोग चाय पीते हैं, इसलिए चाय ‘समाजवादी’ है।
11. पुरुषों, महिलाओं में चाय समान रूप से लोकप्रिय है, इसलिए चाय ‘लिंगभेद’ मिटाती है।
12. चाय की दुकान चलाने वाला आज देश चला रहा है। इसलिए चाय में ‘अपार संभावनाएं’ हैं।

निष्कर्ष :-
1.जो देशी युवा सस्ती, सर्वसुलभ, स्वादयुक्त चाय पीकर अपनी ‘जीवनसाथी’ चुनते हैं, उन्हें जिंदगी भर अपनी ‘धर्मपत्नी’ के हाथ से बनी चाय पीने को मिलती है।
2. जो मॉडर्न युवा महंगी, स्वादहीन कॉफी पीकर अपनी ‘would be’ को इम्प्रेस करते हैं, उन्हें जीवनभर अपनी ‘वाइफ’ को बेड पर कॉफी पिलानी पड़ती है।

(आशा विनय सिंह बैस)
चाय प्रेमी

आशा विनय सिंह बैस, लेखिका

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